लोकसभा में विपक्ष ने गुरुवार को एक बार फिर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव का मुद्दा उठाया जिसके बाद सरकार ने उन्हें मामले पर जल्द फैसला लिए जाने का आश्वासन दिया। शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) सदस्य धर्मेद्र यादव ने कहा कि पुलिस ने अनशन कर रहे छात्रों पर अन्यायपूर्ण तरीके से लाठीचार्ज किया है। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार हिंदी भाषा की पक्षधर होने का दवा करती है, लेकिन इसका क्या सबूत है? सरकार ने मामले का एक सप्ताह के अंदर निपटारा करने का भरोसा दिलाया था लेकिन सरकार क्या कर रही है?" धर्मेद्र यादव ने सरकार से इस मुद्दे के समाधान के लिए समय सुनिश्चित करने की मांग की।
राजद सदस्य पप्पू यादव ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे छात्र समझदार थे और अपनी जिम्मेदारियों से अच्छी तरह से परिचित थे। उन्होंने सवाल उठाया, "यह न सिर्फ हिंदी बल्कि सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सवाल है। अगर छात्र लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, तब पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों की।" सरकार की तरफ से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा, "सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और प्रधानमंत्री ने भी इसे गंभीरता से लिया और इसको लेकर एक कमेटी गठित की गई है। यह राजनीतिक या पक्षपातपूर्ण मुद्दा नहीं है।"
उन्होंने कहा, "मैं सदन की पूरी बात सरकार के समक्ष रखूंगा, ताकि इस पर जल्द फैसला लिया जाए और सरकार की बातों से सदन को अवगत कराउंगा।" परीक्षा के पाठ्यक्रम से सिविल सर्विसेज एप्ट्यिुट टेस्ट (सीसैट) को हटाए जाने की मांग को लेकर यूपीएससी अभ्यर्थियों ने विरोध जारी रखते हुए बुधवार रात दो बसों और पुलिस के एक बूथ में आग लगा दी। उत्तर दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में 400-500 अभ्यर्थियों ने कैंडल मार्च निकाला। पुलिस ने उन्हें बारा हिंदू राव हॉस्पीटल की तरफ मार्च करने के दौरान रोका। इस दौरान 50 अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया गया और उन्हें पुलिस थाने ले जाया गया, जबकि कुछ घायलों को अस्पताल ले जाया गया।
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