संयुक्त राष्ट्र की एक रपट में मंगलवार को कहा गया है कि भारत को बच्चों में तेजी से गिरते लिंगानुपात की रोकथाम के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए।
'लिंगानुपात एवं लिंग आधारित भ्रूण परीक्षण : इतिहास, विमर्श एवं भावी दिशानिर्देश' विषय के अध्ययन में कहा गया है कि भारत में बाल लिंगानुपात में चिंताजनक गिरावट हुई है। 1961 में जहां प्रति एक हजार लड़कों के मुकाबले 976 लड़कियां थीं, वहीं 2011 में प्रति एक हजार लड़कों के मुकाबले 918 लड़कियां रह गईं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) से समर्थित संयुक्त राष्ट्र महिला के द्वारा यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
लैंगिक समानता एवं महिलाओं की अधिकारिकता के लिए काम करने वाला संयुक्त राष्ट्र महिला, संयुक्त राष्ट्र का एक संगठन है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत उन कुछ चुने हुए देशों में से है, जहां लड़कों के मुकाबले लड़कियों का मृत्यु दर अत्यंत बदतर है। इस लिहाज से अन्य देश नेपाल और बांग्लादेश हैं।
संयुक्त राष्ट्र महिला की उपनिदेशक लक्ष्मी पुरी ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "लिंग के आधार पर भ्रूण का परीक्षण लड़कियों और महिलाओं के प्रति सामाजिक नजरिए की सबसे पहली और अग्रिम झलक है।" उन्होंने कहा, "लिंगानुपात में गिरावट से देश में आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति का पता चलता है। हमारे समाज में महिलाओं और बेटियों की हैसियत बोझ वाली बनी हुई है।"

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