बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शनिवार को पार्टी मुखिया मायावती को एक बार फिर सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। बैठक का मुख्य एजेंडा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराना था। केंद्रीय इकाई के वरिष्ठ पदाधिकारी व राज्यसभा सदस्य अम्बेथ राजन ने चुनाव के बाद सर्वसम्मति से मायावती को राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया।
मायावती ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यदि सभी का कार्यकर्ताओं, समर्थकों का सहयोग इसी तरह मिलता रहा तो अपने देश में फिर दलित व अन्य पिछड़े वर्गो (ओबीसी) में समय-समय पर जन्मे हमारे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों में भी खासकर महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, नारायण गुरु, बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर व मान्यवर कांशीराम जी आदि के सपनों को जरूर साकार किया जाएगा।
गौरतलब है कि मायावती को पार्टी संस्थापक कांशीराम ने अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था और उनके बाद से वर्ष 1995 से ही मायावती इस पद पर काबिज हैं। 15 जनवरी 1956 को पैदा हुईं मायावती प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने राज्य में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया और माया मुख्यमंत्री बनीं। मायावती इससे पहले भी तीन बार छोटे-छोटे कार्यकाल के लिए सन् 1995, 1997 और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से वर्ष 2002 से 2003 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।
13 मई 2007 को उन्होंने प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार कमान संभाली, लेकिन वर्ष 2012 में सपा को पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा। मायावती देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री भी रही हैं और उनकी छवि एक तेज-तर्रार नेता की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने बसपा को एक अलग पहचान दी और यही वजह है कि अपनी पार्टी में उनका कद इतना ऊंचा है कि वह एक बार फिर निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन ली गईं।
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