खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत शासन द्वारा निहित मात्रा अनुसार सामग्री की जाएगी प्रदाय
खण्डवा (06 सितम्बर,2014) - जिला आपूर्ति अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया की शासन द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत अन्त्योदय कार्डधारियों और प्राथमिकता कार्डधारी परिवारों को माह सितम्बर 2014 से शासन द्वारा निर्धारित अनुपात में साम्रगी प्रदान की जाएगी जिसमें - अन्त्योदय कार्डधारियों को 30 किलो गेहॅू प्रतिकार्ड, 05 किलो चावल प्रतिकार्ड, 1 किलो शक्कर प्रतिकार्ड, और 1 किलो नमक प्रतिकार्ड समस्त अन्त्योदय कार्डधारियों को पूर्ण मात्रा में दिया जाना है। इसी प्रकार प्राथमिकता परिवारों को 3 किलो गेहूॅं प्रति सदस्य, 2 किलों चावल प्रति सदस्य, 1 किलो शक्कर प्रतिकार्ड, और 1 किलो नमक प्रतिकार्ड, समस्त प्राथमिकता कार्डधारियों को पूर्ण मात्रा में दिया जाना है। इसी प्रकार माह में जिस उचित मूल्य दुकान की पात्रता पर्ची जिस दुकान की जारी हुई है वे कार्डधारी परिवार उसी दुकान से सामग्री प्राप्त करना सुनिश्चित करेगेें।
समेकित बाल संरक्षण योजना : कूड़ा-पन्नी बीनने वाले बच्चों की परवरिश राशि में वृद्धि
- लगभग 7000 बच्चे होंगे लाभान्वित
खण्डवा (06 सितम्बर,2014) - गरीब, बेसहारा, अनाथ, कूड़ा-पन्नी बीनने वाले बच्चों के पोषण और संरक्षण की राशि में वृद्धि की गई है। महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने बताया कि मंत्रि-परिषद् द्वारा हाल ही में लिये गये इस निर्णय से लगभग 7000 बच्चे लाभान्वित होंगे। बच्चों की यह संख्या अस्थाई है। समय-समय पर जरूरतमंद बच्चों को भी इस योजना का लाभ दिया जायेगा। महिला-बाल विकास मंत्री ने बताया कि समेकित बाल संरक्षण योजना के वित्तीय मापदंडों को भारत सरकार ने पुनरीक्षित किया है। तदनुसार राज्य सरकार ने भी इस योजना में राज्यांश की राशि में वृद्धि की है। मंत्रि-परिषद् द्वारा लिये गये निर्णय से पुनरीक्षित मापदंडों के अनुसार वर्ष 2014-15 से वर्ष 2016-17 तक तीन वर्ष में राज्य सरकार पर राज्यांश के रूप में 66 करोड़ 54 लाख 33 हजार रुपये का अतिरिक्त भार आयेगा। इसके अनुसार बच्चों के खाने, रहने, उनके वó, शिक्षण-प्रशिक्षण और स्वास्थ्य पर खर्च की जाने वाली राशि अब 750 से बढ़ाकर 2000 रुपये प्रतिमाह कर दी गई है। बच्चों के बिस्तर के लिये प्रतिवर्ष व्यय की जाने वाली राशि अब 500 से बढ़ाकर 800 रुपये कर दी गई है। इसी तरह ऐसे बच्चों, जिनके माँ-बाप नहीं हैं और उनके रिश्तेदार उनका पालन-पोषण का दायित्व निभाते हैं उन्हें फास्टर-केयर योजना में दी जाने वाली 750 रुपये की राशि बढ़ाकर 2000 रुपये प्रतिमाह कर दी गई है। स्पांसरशिप योजना में ऐसे बच्चों, जिनका कोई परिवार या रिश्तेदार नहीं है और समाज का कोई व्यक्ति उनका पालन-पोषण करता है, को प्रतिमाह दी जाने वाली 1000 की राशि बढ़ाकर 2000 रुपये कर दी गई है। योजना में वित्तीय मापदंडों का पुनरीक्षण करने से 667 संविदा कर्मचारी भी लाभान्वित होंगे। योजना में विभिन्न श्रेणी के 7 आश्रय स्थल संचालित किये जा रहे हैं। इनमें शिशु, बाल, आश्रय, पश्चातवर्ती, संप्रेक्षण, विशेष और खुला आश्रय गृह शामिल हैं। इसके अलावा फास्टर-केयर और स्पांसरशिप योजना भी संचालित की जा रही है। इन सभी में वर्तमान में लगभग 7000 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।
अब 30 रुपये में मिलेगी बीटीबी
खण्डवा (06 सितम्बर,2014) - वित्त विभाग द्वारा बिल ट्रांजिट बुक (बीटीबी) के शुल्क में संशोधन कर दिया गया है। अब बीटीबी 30 रुपये में मिलेगी। तीस रुपये के चालान की मूल प्रति के आधार पर कोषालय द्वारा नवीन बीटीबी क्रमांक 26001 से 26500 तक का प्रदाय किया जायेगा।
जन्म प्रमाण-पत्र उपलब्ध न होने पर खिलाड़ी शालेय खेल में भाग लेने से वंचित नहीं होंगे
खण्डवा (06 सितम्बर,2014) - राज्य शासन ने जन्म प्रमाण-पत्र की अनुपलब्धता के कारण खिलाड़ियों के शालेय खेलों में सहभागिता से वंचित न होने देने के निर्देश समस्त संभागीय संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण एवं डीईओ को दिये हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में जारी निर्देश में स्पष्ट किया है कि जन्म प्रमाण-पत्र उपलब्ध न होने की स्थिति में माध्यमिक शिक्षा मण्डल की हाई स्कूल परीक्षा की अंक-सूची को मान्य किया जाए। चौदह वर्ष से कम एवं आठवीं कक्षा से नीचे वाली कक्षा में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की जन्म-तिथि की पुष्टि के लिये जिला शिक्षा अधिकारी या संकुल प्राचार्य से प्रतिहस्ताक्षरित अंक-सूची को मान्य किया जाए। उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा शालेय खेलों में भाग लेने के लिये जन्म प्रमाण-पत्र को अनिवार्य किया गया है।
संविदा पर्यवेक्षक के मानदेय में 2600 रुपये की वृद्धि, दस वर्ष में तीसरी बार मानदेय बढ़ाया गया
खण्डवा (06 सितम्बर,2014) - महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह की पहल पर संविदा पर्यवेक्षकों के मानदेय में 2600 रुपये की वृद्धि की गई है। बढ़ा हुआ मानदेय जनवरी 2014 से देय होगा। पिछले दस वर्ष में संविदा पर्यवेक्षकों के मानदेय में तीसरी बार वृद्धि की गई है। संविदा पर्यवेक्षक जिनकी संख्या एक हजार से अधिक है को आज से दस वर्ष पूर्व 5000 रुपये का मानदेय मिलता था, जिसे बढ़ाकर 7500 रुपये और बाद में 10 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया। मंत्री श्रीमती सिंह ने पर्यवेक्षकों द्वारा किये गये आग्रह पर सहानभूतिपूर्वक विचार कर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा की। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद इस आशय के आदेश आठ अगस्त को जारी किये गये। संविदा पर्यवेक्षकों को इस वृद्धि के साथ अब प्रतिमाह 12 हजार 600 रुपये का मानदेय मिलेगा। संविदा पर्यवेक्षक आँगनवाड़ी के जरिये दिये जाने वाले पोषण आहार के वितरण तथा उसके संचालन पर निगरानी रखते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें