देश को नई दिशा देने की नीयत से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज वियतनाम की चार दिवसीय यात्रा को रवाना हेा गए हैं। 14-17 सितंबर तक की इस प्रायोजित यात्रा के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर की उम्मीद की जा रही है। इन समझौतों में दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवा, और भारत के लिए दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस की तलाश से संबंधित समझौते बताए जा रहे हैं।
मुखर्जी हनोई और हो ची मिन्ह, दोनों शहरों का दौरा कर देश-विदेश में सर्वहित नीतियों पर विमर्श करेंगे। उनके साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी है, जिसमें केंद्रीय तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान, और छह सांसद हैं।
इन सांसदों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, कांग्रेस के के वी थॉमस और भारतीय जनता पार्टी के परवेश वर्मा भी हैं, जिनके साथ प्रणब दा तमाम विदेशी पहलुओं से देश को जोड़ने की पहल करेंगे। अपनी यात्रा से पहले वियतनाम की समाचार एजेंसी को यहां दिए साक्षात्कार में मुखर्जी ने कहा, "हम वियतनाम को अपनी पूर्वोन्मुखी नीति में एक महत्वपूर्ण स्तंभ मानते हैं। वियतनाम आसियान के भीतर और वृहत्तर क्षेत्र में भारत का एक रणनीतिक साझेदार है।"इसी के साथ इस यात्रा के क्या परिणाम होंगे इसका जवाब अभी वक्त के पास है।

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