रंजीत सिन्हा के खिलाफ आरोपों पर हलफनामा तलब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 4 सितंबर 2014

रंजीत सिन्हा के खिलाफ आरोपों पर हलफनामा तलब


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सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सीपीआईएल को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ आरोप लगाने वाले दस्तावेजों की पुष्टि के लिए हलफनामा दायर करने के लिए कहा। एनजीओ ने कहा है कि सिन्हा ने एक अवधि के दौरान उन लोगों से मुलाकात की जो 2जी एवं अन्य मामलों या तो एजेंसी के जांच के दायरे में थे या जिनके खिलाफ अभियोजन शुरू हो चुका था। न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू और न्यायमूर्ति एस.ए. बोब्डे की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण से शपथ पत्र दाखिल कराने का निर्देश देते हुए कहा, "दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद हमें लगता है कि हलफनामा दायर किए जाने की जरूरत है।"

न्यायालय ने पंजीयक से एनजीओ द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों को उसे सीलबंद लिफाफे में वापस करने का निर्देश देते हुए कहा कि वह पेश दस्तावेजों के आधार पर कैसे संज्ञान ले सकता है। अदालत ने कहा कि इसे शपथपत्र के साथ पेश करने की अपेक्षा है। इस बीच, न्यायालय ने सीबीआई निदेशक की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ एनजीओ द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में मीडिया रिपोर्टिग पर रोक लगाने की अपील की थी।

सिन्हा के वकील विकास सिंह ने न्यायालय से कहा, "प्रशांत भूषण जैसे लोग सरकार के उच्च अधिकारी को बदनाम कर रहे हैं।" सिंह ने कहा कि दस्तावेजों को मीडिया को लीक कर प्रशांत भूषण ने अदालत की शुचिता को भंग किया है, जबकि वे दस्तावेज अदालत को सील बंद लिफाफे में सौंपे गए हैं। सिंह के यह कहने पर कि मीडिया को केवल अपने टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) की चिंता है जबकि सीबीआई निदेश की प्रतिष्ठा को 'भरपाई नहीं होने योग्य क्षति' हो चुकी है। इसके बाद अदालत ने कहा, "हम आवेदन (सीबीआई निदेशक सिन्हा की अर्जी) पर सुनवाई नहीं करने जा रहे हैं।"

सिन्हा के वकील के यह कहने पर कि सीबीआई निदेशक से उनके आवास पर कौन मिलने आया था इस पर मीडिया रिपोर्ट उनकी निजता के बुनियादी अधिकार में 'भारी हस्तक्षेप' है, न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा, "प्रेस को अपनी आजादी है और उसे ऐसी स्थिति में और जवाबदेह होना चाहिए।" मामले की अगली सुनवाई अगले सोमवार को होगी।

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