लखनऊ 30 सितम्बर। उत्तर प्रदेश के सभी 0 से 6 आयु वर्ष के बच्चों को कुपोषण की स्थिति से दूर रखने के लिए उत्तर प्रदेश फोर्सेस द्वारा सेव द चिल्ड्रेन के संयुक्त तत्वावधान में कोर कमेटी की बैठक की गई जिसमें विभिन्न जनपदों के सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय प्रतिभाग किया। यह बैठक विज्ञान फाउण्डेशन के सभागार में आयोजित की गई।
इस बैठक में आगामी आने वाले 3 माह की रणनीति पूर्णतया तैयार की गई तथा मुद््दे को किस प्रकार पैरवी की ओर लेकर आगे बढ़ना है इस पर भी गहन चर्चा की गई। कुपोषण के मुद््दे पर चर्चा करते हुए उत्तर प्रदेश फोर्सेस के राज्य समन्वयक श्री रामायण यादव ने कहा कि बच्चों को स्वस्थ भविष्य देने के लिए सर्वप्रथम उन्हें शारीरिक रूप से मज़बूत बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्हें कुपोषण से बचाना बेहद जरूरी है।कुपोषित बच्चे हमारे समाज के लिए चुनौती है इससे निपटने के लिए सरकार के प्रयास को और प्रभावी बनाने की जरुरत है। इसक लिए समाज के हर तपके के लोगो को आगे आने की जरुरत है।
इस अवसर पर अनुप मुरारी राजन ने देश व प्रदेश में बच्चों की स्थिति का ब्योरा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को सही ढंग से क्रियान्वित करने में हो रही समस्याओं को आकने के लिए उत्तर प्रदेश फोर्सेस द्वारा प्रस्तावित अध्ययन से सही दिशा मिल सकती है। वही उन्होने बच्चों के कुपोषण से बचने के लिए उपाय सुझाये। इसी क्रम में ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान के सचिव श्री राजदेव चतुर्वेदी ने बताया कि फोर्सेस कमेटी आगामी 3 माह में उत्तर प्रदेश के 40 जनपदों में विस्तृृत रूप से कार्य करेगी तदुपरान्त जनवरी 2015 से कुल 20 जनपदों में सघन रूप से कार्य करेगी।
क्रियेट संस्था की सचिव सुश्री शुभ्रा टण्डन ने बच्चों के विकास की ओर अपने विचार रखते हुए कहा कि 0 से 3 वर्ष की आयु में बच्चों का दिमाग सबसे अधिक चीजों को समझता व जानता है। इस छोटी उम्र में बच्चे को कुपोषण से बचाये रखने की पहल हमने शुरू कर दी है। बैठक में उपस्थित विज्ञान फाउण्डेशन के सचिव श्री संदीप खरे ने बताया कि 0 से 6 आयु वर्ष के बच्चे अपनी बात रखने में अक्षम होते है। उनकी बात उनके विचार उठाने का बीड़ा उत्तर प्रदेश फोर्सेस ने उठाया है। बच्चों के मुद््दे पर पैरवी कर बड़े मंच पर उठाने की रणनीति बनाने की आवष्यकता है। उन्होने बताया कि जल्द ही इसे कार्यरुप में बदलना जनहित मे होगा। इस अवसर पर सुश्री प्रीति राय, सुधाीर सिंह, राम ललित यादव, हरिहर पाठक, असरार अहमद, राजेन्द्र कुमार वर्मा, विश्वम्भर भाई आदि ने अपना विचार रखा।
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