बिहार : ईसाई समुदाय का आगमन काल शुरू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 30 नवंबर 2014

बिहार : ईसाई समुदाय का आगमन काल शुरू


  • 24 दिसम्बर की मध्य रात्रि में प्रभु येसु ख्रीस्त का जन्म दिन 
  • इस दिन को आप क्रिसमस और बड़ा दिन भी कह सकते 

Christian-News
गया/पटना। आज से ईसाई समुदाय का आगमन काल शुरू हो गया। इसका प्रतीक प्रस्तुत किया गया है। संत माइकल हाई स्कूल के सामने प्रेरितों की महारानी ईश मंदिर के अलावे अन्य गिरजाघरों में भी पुआल से गौशाला बनाया गया है। चार मोमबत्ती खड़ा कर दिया गया है। गौशाला के अंदर सफेद कपड़ा रखा गया है। इसी में 24 दिसम्बर की मध्यरात्रि में बालक येसु को लिठा दिया जाएगा। आइए प्रभु आइए! लिखकर प्रभु येसु ख्रीस्त को बुलाया जा रहा है। बालक येसु के जन्म दिन को क्रिसमस और बड़ा दिन भी कहा जाता है। 

अब क्रिसमस केवल ईसाई समुदाय का ही बनकर नहीं रह गया है। वरण सभी सम्प्रदाय के लोगों का पर्व हो गया है। होटलों को आकर्षण ढंग से सजाया जाता है। सिरिज बल्ब लगाया जाता है। भला शांता क्लाॅज को कौन भूल सकता है। लाल रंग के पोशाक पहनकर शांता की भूमिका निभाने लगते हैं। मतलब गिफ्ट देने लगते हैं। इसके आलोक में संत विन्सेंट डी पौल समाज ने 14 दिसम्बर को बच्चों के लिए क्रिसमस चित्रांकन,2014 प्रतियोगिता आयोजित की है। प्रथम से आठवीं कक्षा के बच्चे भाग ले सकते हैं। प्रवेश शुल्क 10 रू.रखा गया है। प्रतियोगिता स्थल हार्टमन स्कूल है। 

अल्पसंख्यक समुदाय बालक येसु के जन्म लेने का इंतजार कर रहने लगे हैं। बालक येसु का जन्म 24 दिसम्बर की मध्यरात्रि को हुआ था। सराय में जगह नहीं होने से बालक येसु का जन्म गौशाले में हुआ था। बालक येसु के पालक पिता संत जोसेफ और स्नेही माता मरियम हैं। पालक माता और पिता ने बालक येसु को उठाकर चरणी में लिठा दिया। 

आज ईसाई समुदाय के लोग चर्च में रविवारीय मिस्सा पूजा में भाग लेने गए। पुरोहित ने अपने उपदेश में बालक येसु के आगमन के बारे में जानकारी दिए। 24 दिसम्बर की मध्यरात्रि में बड़ा दिन का मिस्सा पूजा होगी। क्रिसमस पर्व 25 दिसम्बर को है। केवल सुबह में मिस्सा पूजा होगी। शाम को मिस्सा पूजा नहीं होगी। पुरोहित ने सुझाव दिया कि हमलोगों बाहरी आडम्बर नहीं करें। बल्कि अपनी आत्मा को तैयार करें। ऐसा करने से अंतिम दिनों में फायदा होता है। 

खैर, ईसाई समुदाय का क्रिसमस पर्व की उल्टी गिनती  शुरू हो गयी है। परिजनों को बच्चों को वस्त्र बनवाना है। घर के रंग रोगन करना है। बड़ा दिन के अवसर पकवान बनाना है। वहीं युवाओं को क्रिसमस केक बनवाना है। किशोर और किशोरियों को क्रिसमस कैरोल साॅग में भाग लेना है। 



आलोक कुमार 
बिहार 

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