आलेख : जिन्दगी यूं गले आ लगी है , कोई खोया हुआ वर्षों के बाद आ गया...... - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 18 नवंबर 2014

आलेख : जिन्दगी यूं गले आ लगी है , कोई खोया हुआ वर्षों के बाद आ गया......

आज कल भारतीय सिनेमा ने दर्शको को एक फिल्म दिया *किल दिल* इस फिल्म में एक खुबसूरत सा गीत है जिसके बोल है.. जिन्दगी यूं गले आ लगी है , कोई खोया हुआ वर्षों के बाद आ गया... इस गाने को आज के राजनितिक सन्दर्भ में देखें तो सटिक बैठता है.वर्षो तक भारत पीड़ित और उपेक्षित रहा.आजादी के नाम पर सत्ता का हस्तान्तरण हुआ. विक्टोमैकाले के मानसपुत्रों से सत्ता नेहरूवियन के हाथों गुलाम हुई. देश के आम नागरिक आज भी वहीँ हैं जहां ६७ साल पहले थे. 

इस सन्दर्भ में उसी इंग्लैंड, जिसने अपनी सत्ता नेहरूवियन के हाथों सौपी थी वहाँ के प्रसिद्ध अखवार “द गार्जियन” ने १८ मई २०१४ को अपने रविवासरीय सम्पादकीय India: another tryst with destiny नामक शीर्षक से लिखता है ---Today, 18 May 2014, may well go down in history as the day when Britain finally left India. अपने तथाकथित सेकुलर मित्रों को बता दूँ की “द गार्जियन” भारत के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या संघ परिवार का अनुषांगिक संगठन का पत्र नही है और उस पत्र के सम्पादक भी संघ के स्वयंसेवक नहीं हैं. किन्तु जो बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज़ादी के बाद से कहता आ रहा था उसे भारत के फिरकापरस्तो ने हमेशा दवाने का घृणित प्रयास किया. सत्य कुछ समय केलिए द्व सकता किन्तु पराजित नही हो सकता है और यही बात २०१४लोकसभा में साबित भी हुई. 

सत्य को स्वीकार करते हुए “द गार्जियन” आगे लिखता है-- Narendra Modi's victory in the elections marks the end of a long era in which the structures of power did not differ greatly from those through which Britain ruled the subcontinent. India under the Congress party was in many ways a continuation of the British Raj by other means. The last of midnight's children are now a dwindling handful of almost 70-year-olds, but it is not the passing of the independence generation that makes the difference. “द गार्जियन” का यह सम्पादकीय भारत के सत्ता पर काविज रही नेहरूवियन के मंशा को स्पष्ट करती है. 

भारत की राजनीति ने २०१४ में जो करबट ली बह सिर्फ भारत को ही नही सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगा. केंद्र में श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रही महज छ: माह के अभिनव कार्यकाल से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. किन्तु जो लोग धृतराष्ट्री संस्कृति में जीतें है उन्हें यह सत्य का अनुभव हो इसकी संभावना नगण्य है. 

अभी हाल में “वाक् फ्री फाउंडेशन” ने विश्व के १६७ देशों पर रिसर्च कर ग्लोवल स्लेवरी इंडेक्स जारी किया. इसके अनुसार विश्व में कुल ३.५८ करोड़ गुलाम की जिन्दगी जीते है उनमे १.४३ करोड़ यानी दुनिया के ४० फीसदी गुलाम भारतीय है. आज़ादी के ६७ साल होने को है. भारत अबतक मानव तस्करी, बेगारी, क़र्ज़, जबरन शादी और यौन उत्पीडन से त्रस्त देश के रूप में जाना जाता रहा है. नेहरूवियन सत्ता के ६० सालों में भारत अबतक गुलामो का देश बना रहा? यह मानवता का अपमान है.जिस गांधीजी के नाम को भुना भुना कर ये नेहरूवियन सत्तालोलुपों ने आम भारतीय जन गण को इस मुकाम तक पहुचाया है. भारत का युवा गिन गिन कर इन नेह्ररुवियनो से हिसाब चुकता करेगा? 

अब तक भारत जिसको विक्टोमैकाले रूपी नेहरूवियन इंडिया ने अपना गुलाम बना रखा था. इस गुलामी से उसे २०१४ के आम चुनाव में मुक्ति मिली. “द गार्जियन” श्री मोदी के बारे में लिखता है-- Mr Modi is a gifted politician. We must hope that he understands that his new India will sooner or later hold him to account.श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आम नागरिक एक बार फिर बोल उठा -- फीके फीके थे दिन रात मेरे, साथ मेरे, छुया तूने तो जीने का स्वाद आ गया.... ,

आज विश्व भारत की ओर आशा भरी नज़रों से देख रहा है.अमेरिकी मैगजिन “फारेन पालिसी” ने १०० टॉप ग्लोवल थिंकर्स में भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का नाम डिसीजन मेकर्स में पहला और जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल को दुसरे नम्बर पर रखा है. मैगजीन के श्री मोदी को करिश्माई और बिजनेस फ्रेंडली व्यक्ति बताया है.जब सारी दुनिया भारत और भारत के वर्तमान नेतृत्व में विकास का मूर्त रूप देखता है तब भी भारत के इस नेहरुवियन संस्कृति को कुछ भी नही दिखता ? सही कहा गया है अंधों के लिए आइने का क्या महत्व. 

जब भारत का नेतृत्व विदेशों में अपनी डंका बजा रहा था तब भारत में इसी नेहरुवियन संस्कृति के लोग ये कहकर अपनी छाती पिट रहे थे की – “गलत तरीके से जीतने से बेहतर सही तरीके से हारना है.” यानी २०१४ के चुनाव में जब इस देश के संवेदनशील राष्ट्रभक्त मतदाताओ ने ऐसे फिरकापरस्तों की जमात और नेहरुवियन संस्कृति के सोच को सिरे से खारिज कर  दिया तो यह चुनाव में जीतने का तरिका गलत हो गया ? यह भारत के आम मतदाताओ के ऊपर एक गंभीर आरोप है जिसका लोकतंत्र में कहीं जगह नहीं है.लोकतंत्र के लिए ऐसे घृणित सोच से पीड़ित फिरकापरस्तों की ज़मात कैसर के भी ज्यादा घातक है .इस नेहरुवियन संस्कृति से भारत को हर हाल में मुक्त कराना ही मतदाताओं का राष्ट्रीय कर्तव्य है. 

श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सतत विकास के उस पथ की ओर अग्रसर है जहाँ कभी भारत सोने की चिड़िया के रूप स्थापित था. वह दिन अब दूर नही जब भारत एकबार फिर विश्व गुरु के रूप में आतंक से त्रस्त मानवता को बचा सही रास्ता दिखाएगा. अभी हाल में म्यंमार में आयोजित पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में जो रुतवा भारत का दिखा वह वन्दनीय है. १९९९ में गठित जी-२० देशों के सम्मलेन में भी भारत की विदेशनीति स्पष्ट और दूरगामी प्रभाव छोड़ने बाली थी. जिस तरह से उन्होंने काले धन पर विश्व का ध्यान खीचा वह स्वागत योग्य है.ऐसा विश्वास है की २०१५ तक कोई न कोई वैश्विक राजकोषीय ढांचा तैयार हो जाएगा जो बेस एरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग की कार्य योजना के तहत विद्यमान अंतरराष्ट्रीय कर नियमों में सुधार कर पायेगा और विदेशो में जमा काला धन लाने में अडचने दूर करेगी.कल तक जो भारत को हेय दृष्टि से देखता था वह आज पलकें बिछाये खड़ा है. इंग्लैंड की प्रसिद्ध अखवार “द गार्जियन” में छपी टिप्पणी आँखे खोलने बाली है. जी-२० देशों के सम्मलेन पर पत्र लिखता है—कभी बहिष्कृत नरेन्द्र मोदी १४ नवम्बर को जी-२० शिखर सम्मलेन में एक राजनितिक रॉक-स्टार की तरह पहुचे. 

“द गार्जियन” ने १४ नवम्बर २०१४ को Narendra Modi: from international pariah to the G20's political rock star... Ben Doherty शीर्षक में  लिखा -- Modi is the first Indian PM to visit Australia since Rajiv Gandhi came to see his great friend Bob Hawke in 1986. He speaks excellent English but is reluctant to. Instead he almost always chooses Hindi, इतने पर ही पत्र नही रुकता आगे लिखता है-- Modi is one of the most popular figures at this G20. A leader others want to see, and be seen with.जब विश्व इस आकर्षक नेता को गले लगाने को उतावला है. विश्व की सबसे ताकतबर देश के राष्ट्रपति जिसे Man of Action कहकर संबोधित करता हो. जिसके दीवाने मेडिसन स्कुआर से लेकर आस्ट्रेलिया के अलफोंस एरिना में हो तब नेहरुवियन संस्कृति से निजात पाने बाले भारतीय क्यों नही कहेंगे-- एक तरह के आवारा थे एक तरह की आवारगी ,दीवाने तो पहले भी थे अब और तरह की दीवानगी.....  





live aaryaavart dot com

--संजय कुमार आजाद 
शीतल अपार्टमेन्ट निवारणपुर 
रांची-834002 
फोन-09431162589
इमेल-azad4sk@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं: