दूसरी तिमाही में मंद पडी विकास की रफतार ऋण हो सकता सस्ता - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

दूसरी तिमाही में मंद पडी विकास की रफतार ऋण हो सकता सस्ता

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औद्योगिक उत्पादन विशेषकर विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास की रफतार मंद पडने और महंगाई में आयी नरमी से भारतीय रिर्जव बैंक पर ब्याज दरो में कटौती करने का दबाव बढ गया है। आज जारी सरकारी आंकडो के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विनिर्माण गतिविधियों में आयी सुस्ती से आर्थिक विकास दर मंद पडकर 5.3 प्रतिशत पर आ गयी है जबकि पहली तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत रही थी। इस तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 0.1 प्रतिशत रही है जबकि पहली तिमाही में यह 3.5 प्रतिशत रही थी। इस वर्ष अक्टूबर में खुदरा और थोक महंगाई दोनों में भारी गिरावट र्दज की गयी है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई अब तक के रिकार्ड निचले स्तर 5.52 प्रतिशत पर आ गयी। इसी तरह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित थोक महंगाई भी पांच वर्ष के निचले स्तर 1.77 प्रतिशत पर रही। विश्लेषको का कहना है कि महंगाई विशेषकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में जिस तरह से कमी आयी है और खुदरा महंगाई रिर्जव बैंक के सहज स्तर के दायरे में आने से ब्याज दरो में कमी किये जाने की उम्मीद बनी है।

विश्लेषकों ने कहा कि विनिर्माण गतिविधियों की सुस्ती से विकास दर में नरमी आना चिंता का विषय है। महंगाई में नरमी और विकास दर में सुस्ती से रिर्जव बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव है। रिर्जव बैंक ने अब तक महंगाई के जोखिम के मद्देनजर चालू वर्ष में एकबार भी ब्याज दरो में कमी नहीं किया है। साख निर्धारण एजेंसियां और बाजार अध्ययन करने वाली एजेंसियां अभी भी कह रही है कि रिर्जव बैंक दो दिसंबर को चालू वित्त वर्ष की रिण एवं मौदि्रक नीति की पांचवीं द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरो में कमी नहीं करने जा रहा है लेकिन फरवरी 2015 में वह इसमें कुछ कटौती कर सकता है। सरकारी आंकडो के अनुसार पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 5.2 प्रतिशत रही थी। सितंबर में समाप्त इस तिमाही में जिन क्षेत्रों का प्रर्दशन बेहतर रहा है उनमें निर्माण 4.6 प्रतिशत  बिजली  गैस एवं जलापूर्ति 8.7 प्रतिशत  सामाजिक  सामुदायिक एवं व्यक्तिगत सेवा 9.6 प्रतिशत  वित्त  बीमा  रियल्टी और कारोबारी सेवा 9.5 प्रतिशत शामिल है। जिन क्षेत्रों का प्रर्दशन सुस्त पडा है उनमें कृषि 3.2 प्रतिशत  खान एवं खनन 1.9 प्रतिशत  विनिर्माण 0.1 प्रतिशत  व्यापार, होटल परिवहन और संचार क्षेत्र 3.8 प्रतिशत शामिल है। इसमें कहा गया है कि पिछले वर्ष खरीफ सीजन की तुलना में चालू वित्त वर्ष के खरीफ सीजन में अनाज  दलहन और तिलहन के उत्पादन क्रमश: 6.6 प्रतिशत  13.6 प्रतिशत और 12.2 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है।

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