विशेष आलेख : चुनावी मौसम में बदहाल शिक्षा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

विशेष आलेख : चुनावी मौसम में बदहाल शिक्षा

जम्मू एवं कष्मीर राज्य में सियासी पारा अपने चरम पर है। सभी राजनीतिक पार्टियां पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार के अभियान में जुट गईं हैं। राज्य में 25 नवंबर को पहले चरण के मतदान के तहत 15 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे और नतीजे 23 दिसंबर को नतीजे आएंगे। बाढ़ से पीडि़त जनता भी इस बार सत्ता की कमान उस राजनीतिक पार्टी को सौंपना चाहती है जो बाढ़ के बाद राज्य के पुनर्वास का काम तेज़ी से करे और लोगों को रोज़गार मुहैया कराए। राज्य ने बाढ़ में षिक्षा व्यवस्था को भी पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है। सीमावर्ती जि़ले पुंछ में भी बाढ़ के बाद षिक्षा व्यवस्था अभी तक पटरी पर नहीं लौट सकी है। पुंछ की जनता भी इस बार पिछले लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए सत्ता की कमान उस राजनैतिक पार्टी को सौंपना चाहती है जो लोगों के पुर्नवास के साथ साथ राज्य में षिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति को पटरी पर ला सके। सीमावर्ती पुंछ जि़ले की तहसील सुरनकोट के षिंदरा गांव में पहले से ही बदहाल षि़क्षा व्यवस्था का बाढ़ के बाद और ज़्यादा बुरा हाल हो गया है। 
            
षिंदरा गांव में दो पंचायतें हैं जिसकी कुल आबादी लगभग 55,000 है। गांव में षिक्षा की स्थिति के बारे में यहां के स्थानीय निवासी नियाज़ अहमद बताते हुए कहते हैं कि इस गांव के मोहल्ला मुगलां में दो स्कूल हैं प्राईमरी और मीडिल स्कूल। प्राईमरी स्कूल, मुगलां की इमारत पिछले 14 सालों से बन ही नहीं पायी है। यह स्कूल जब षुरू हुआ था तो इसमें बच्चों की तादाद 2 सौ थी लेकिन अब स्कूल में सिर्फ 35 बच्चे हैं। इसकी वजह यह है कि स्कूल की बिल्डिंग न होने की वजह से यहां के बच्चों ने स्कूल में दाखिला लेना छोड़ दिया है। वह आगे कहते हैं कि इस स्कूल के भवन के बारे में कई बार षिक्षा विभाग को बताया भी गया और ज़ोनल एजूकेषन आॅफिसर ने यहां आकर स्थिति का निरीक्षण भी किया था। उन्होंने स्कूल के भवन के निर्माण के लिए जगह का भी चयन कर लिया था लेकिन दुर्भाग्यवष आज तक स्कूल के भवन का निर्माण नहीं हो सका है। इसकी वजह से यहां के प्राईमरी स्कूल के बच्चों की षिक्षा का नुकसान एक आम सी बात हो गयी है। इसी मोहल्ले के गवर्नमेंट हाईस्कूल, षिंदरा की इमारत को बाढ़ की वजह से ज़मीन खिसकने से काफी नुकसान पहुंचा है। इसके कमरे अब बच्चों के बैठने लायक नहीं रहे हैं और जिस प्लेग्राउंड में बच्चे खेलते थे वह भी बुरी तरह तहस-नहस हो गया है। बाढ़ के बाद अभी तक स्कूल के भवन का निर्माण कार्य षुरू नहीं हुआ है। इन परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि मानों बच्चों के भविश्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस गांव के हायर सेकेंडरी स्कूल का हाल भी कुछ इसी तरह का है। इस स्कूल में सिर्फ चार कमरे हैं जिनमें से एक कमरे में कार्यालय है। ऐसे में अंदाज़ा लगया जा सकता है कि मात्र तीन कमरों में कक्षाओं का संचालन कैसे होता होगा और बच्चे किस तरह षिक्षा ग्रहण करते होंगे।
           
राज्य में चुनावी पारा अपने चरम पर है। ऐसे में यहां की जनता को बड़ी सोच समझ कर सत्ता की कमान ऐसी पार्टी को सौंपनी होगी जो पुंछ समेत पूरे राज्य में षिक्षा की बदहाल व्यवस्था को दोबारा पटरी पर ला सके। षिंदरा गांव के लोग भी आने वाली सरकार से यही आस लगाए बैठे हैं कि आने वाली सरकार षिंदरा गांव में स्कूली षिक्षा को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी कदम उठाएगी और यहां के बच्चे पुंछ जाने के बजाय गांव में ही स्कूली षिक्षा हासिल कर सकेंगे। षिंदरा में स्कूली षिक्षा में सबसे बड़ी बाधा एक नाला है जिस पर एक लंबे अर्से से पुल का निर्माण नहीं हुआ है। इस बारे में सरपंच मंजूर अहमद का कहना है कि षिंदरा गांव की आधी आबादी पुल के इस पार और आधी पुल के उस पार रहती है। लोगों को इस पार से उस पर जाने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। गांव के बच्चे भी इसी नाले को पार करके षिक्षा ग्रहण करने के लिए जाते हैं। बारिष के दिनों में नाले में पानी का स्तर  बढ़ने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और उनकी पढ़ाई अधर में लटकी रहती हैं। वह आगे कहते हैं कि इस पुल के निर्माण के लिए हमने बार-बार सरकार से आग्रह किया लेकिन आज तक सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है। उन्होंने आगे बताया कि एक ठेकेदार को 2009 में इस पुल का ठेका मिला था लेकिन उसने भी पुल के निर्माण का कार्य पूरा नहीं किया। हमने इस बारे में जब ठेकेदार से बात की तो उसने बताया कि मुझे इस पुल के निर्माण का कार्य मिला था। कुल 17 लाख का काम था लेकिन इसमें से सिर्फ तीन लाख रूपये ही मुझे मिला। इसके बाद आज तक कोई पैसा नहीं मिला है जिसकी वजह से मुझे काम बीच में बंद करना पड़ा। 
            
दूर-दराज़ के इलाकों में षिक्ष़्ाा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए आरटीई, एसएसए और आरएमएसए आदि योजनाएं चल रही है लेकिन दूर-दराज़ के इलाकों में ज़मीनी सतह पर यह योजनाएं कहीं नज़र नहीं आतीं। यहां की जनता सरकार से अपील करते हुए कहती है कि इन तमाम योजनाओं के कार्यान्वयन के बाद भी 14 साल से मुंगला प्राईमरी स्कूल की इमारत का निर्माण क्यों नहीं हुआ? बाढ़ के बाद हमारा गवर्नमेंट हाईस्कूल, षिंदरा क्या इसी हाल में रहेगा? क्या हायर सेकेंडरी स्कूल के लिए और कमरों का इंतेज़ाम नहीं होगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन तमाम बुनियादी से वंचित यहां की जनता में सरकार के प्रति इतना गुस्सा भरा हुआ है कि वह राजनेताओं से अपील करते हुए कह रहे हैं कि अगर वह वोट मांगने आएं तो इन सवालों का जबाब साथ लेकर आएं, वरना नहीं। 






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सैय्यद एजाज़-उल-हक-बुखारी
(चरखा फीचर्स)

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