डॉ. जाकिर अली ‘रजनीश’ को प्रथम हरिकृष्‍ण देवसरे पुरस्‍कार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

डॉ. जाकिर अली ‘रजनीश’ को प्रथम हरिकृष्‍ण देवसरे पुरस्‍कार

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नई दिल्‍ली। हरिकृष्‍ण देवसरे बालसाहित्‍य न्‍यास द्वारा आयोजित एक भव्‍य समारोह में साहित्यकार डॉ. जाकिर अली 'रजनीश' को प्रथम हरिकृष्ण देवसरे बाल साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया। दिनांक 20 नवम्‍बर, 2014 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, में आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें 75 हजार रुपये की पुरस्कार राशि व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। यह पुरस्‍कार उनकी विज्ञान कथा पाण्‍डुलिपि 'गणित का जादू तथा अन्‍य कहानियां' के लिए प्रदान किया गया। ज्ञातव्‍य है कि ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ एक चर्चित साहित्‍यकार एवं विज्ञान लेखक हैं। अब तक उनकी 5 दर्जन से अधिक पुस्‍तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा उन्‍हें देश-विदेश की दो दर्जन से अधिक संस्‍थाएं पुरस्‍कृत/सम्‍मानित कर चुकी हैं।

कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि बाल साहित्‍य लिखना दर्शनशास्‍त्र की पुस्‍तकें लिखने से कठिन कार्य है क्‍योंकि यह बच्‍चों की संवेदनाओं के स्‍तर पर उतर रचा जाता है। उन्‍होंने कहा कि डॉ. हरिकृष्ण देवसरे बालमन के हर आयाम को अपनी कलम के द्वारा उकेरने में सक्षम थे। वह निरंतर नई पीढ़ी में वैज्ञानिक चेतना, कल्पनाशीलता एवं आधुनिक सोच भरने का कार्य करते रहे। उनका सपना था एक ऐसा कल जहां आज के बच्चे स्वयं को भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बना सकें। उनके सपने को साकार करने के लिए हरिकृष्ण देवसरे चिल्ड्रेंस लिटरेचर ट्रस्ट की स्थापना की गई।

इससे पूर्व  साहित्‍य अकादेमी के उप-सचिव बृजेन्‍द्र त्रिपाठी ने डॉ. हरिकृष्‍ण देवसरे के कार्यों और विशेषकर साहित्‍य अकादेमी द्वारा उनके सम्‍पादन में प्रकाशित पुस्‍तकों के बारे में विस्‍तार से चर्चा की तथा डॉ. देवसरे की अध्‍येतावृत्ति को विशेष रूप से रेखांकित किया। उन्‍होंने इस अवसर पर देवसरे परिवार को बधाई देते हुए कहा कि जिस प्रकार देवसरे जी ने अपने जीवनकाल में बालसाहित्‍य को दिशा दिखाने का कार्य किया, आशा करता हूं कि यह ट्रस्‍ट भी सद्साहित्‍य को प्रोत्‍साहित करने का कार्य करेगा। 

कार्यक्रम में पधारे जाने-माने पत्रकार आलोक मेहता ने डॉ. देवसरे के जीवन से जुड़े अनेक महत्‍वपूर्ण प्रसंगों का उल्‍लेख करते हुए कहा कि उनके भीतर प्रतिभा को परखने की अदभुत कला थी और यह काम उन्‍होंने 'पराग' के माध्‍यम से बखूबी किया। उन्‍होंने कहा कि यह प्रसन्‍नता का विषय है कि इस ट्रस्‍ट के द्वारा आप लोग भी बालसाहित्‍य की महत्‍वपूर्ण प्रतिभाओं को पुरस्‍कृत कर रहे हैं, जोकि अत्‍यंत प्रशंसा का विषय है। 

कार्यक्रम के प्रारम्‍भ में वरिष्‍ठ बालसाहित्‍यकार विभा देवसरे ने पुरस्‍कार समारोह में उपथित अभ्‍यागतों का स्‍वागत किया, जब‍कि निर्णायक मण्‍डल के सदस्‍य देवेन्‍द्र मेवाड़ी ने निर्णय प्रक्रिया के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन ट्रस्‍ट की न्‍यासी क्षिप्रा देवसरे ने किया। इस अवसर पर दिल्‍ली के प्रमुख साहित्‍यकार उपस्थित रहे, जिनमें दिविक रमेश, बालस्‍वरूप राही, शेरजंग गर्ग, सुरेखा पाणंदीकर, रमेश तैलंग, देवेन्‍द्र मेवाड़ी, बलराम अग्रवाल, देवेन्‍द्र कुमार देवेश, कुसुमलता सिंह आदि के नाम प्रमुख हैं।

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