बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने आज दल बदल कानून के तहत सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड :जदयू :के चार बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी . विधानसभा अध्यक्ष श्री चौधरी ने जदयू के बागी विधायक और पूर्व मंत्री अजित कुमार :कांटी:. सुरेश चंचल :सकरा:. पूनम देवी :दीघा: और राजू कुमार सिंह :साहेबगंज: की विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दी। इसके साथ हीं सभाध्यक्ष ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि इन चारों विधायको को पूर्व विधानसभा सदस्य के रूप में मिलने वाली सुविधा भी नहीं मिलेगी . गौरतलब है कि कि राज्यसभा उप चुनाव के दौरान पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ खड़े निर्दलीय उम्मीदवार का प्रस्तावक बनने के कारण जदयू के मुख्य सचेतक और संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने विधान सभा अध्यक्ष को लिखित शिकायत की थी कि इन विधायकों ने स्वेच्छा से पार्टी छोड़ दी है इसलिये इनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दी जाये। इसी आधार पर पार्टी के चार अन्य बागियों ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू.राहुल सिंह.रवींद्र राय और नीरज कुमार बबलू की सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी। इन चारों ने पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. जिसपर कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है । पूर्व मंत्री अजीत कुमार और बागी नेता राजू कुमार सिंह ने अध्यक्ष के फैसले को तुगलकी फरमान बताया और कहा कि आज जो फैसला आया है वह पहले से तय था। उन्हें पहले से पता था कि इसी प्रकार का फैसला आने वाला है । उन्होंने कहा कि वे अब इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय के साथ ही जनता की अदालत में भी जाएंगे. जनता र्सवोपरि है ।
बागी नेता राजू कुमार सिंह ने कहा कि वे जनता से पूछेंगे कि उन्हें आगे क्या करना चाहिए. राज्य के विकास के लिए जो मापदंड श्री नीतीश कुमार ने तय किए थे वह उसके साथ थे लेकिन अब उन्हें बागी की उपाधि दे दी गई है । जनता ऐसे नेताों को सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता है । जिन नियमों के तहत ये कार्रवाई की गई है वह उनपर लागू हीं नहीं होता है । सरकार की अब उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बर्खास्त विधायक सुरेश चंचल ने कहा कि श्री नीतीश कुमार के इशारे पर विधानसभा अध्यक्ष ने यह कार्रवाई की है। श्री कुमार ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। उन्होंने कहा कि अभी उनकी सरकार के कुछ माह बाकी रह गये हैैं इसलिए वे जितनी चाहे मनमानी कर लें। अगले विधानसभा चुनाव के बाद वे कहीं के नहीं रहेंगे . श्रीमती पूनम देवी ने कहा कि लोकतंत्र की हत्या हुई है. सभाध्यक्ष की कुर्सी को कलंकित किया गया है । जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभाध्यक्ष ने उनकी बातों को नहीं सुना और सफाई देने का भी समय नहीं दिया 1अध्यक्ष ने नियमों की अनदेखी कर एकतरफा फैसला सुनाया है । अवकाश के बाद उच्च न्यायालय के खुलते ही इस मामले को लेकर अपील की जाएगी.

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