यूपीए एक की सरकार के समय में जनादेश 2007 पदयात्रा सत्याग्रह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

यूपीए एक की सरकार के समय में जनादेश 2007 पदयात्रा सत्याग्रह

  • यूपीए दो की सरकार के समय में जन सत्याग्रह 2012 पदयात्रा सत्याग्रह
  • और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने वादाखिलाफी करके रसातल में चले गए

ekta parishad
यूपीए एक की सरकार के समय में पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डा.रद्युवंश प्रसाद सिंह ने आश्वासन दिया।यूपीए दो की सरकार के समय में जन सत्याग्रह 2012 पदयात्रा सत्याग्रह के वक्त पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने लिखित समझौता किया। अब देखना है कि पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार के समय के केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री    क्या रूख अपना रहे हैं?

गया। यूपीए एक की सरकार के समय में जनादेश 2007 पदयात्रा सत्याग्रह के दौरान पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डा.रद्युवंश प्रसाद सिंह ने आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति बनायी जाएगी। इन दोनों के सहयोग से राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनायी जाएगी। मगर यूपीए एक की सरकार ने शासन चलाने में मस्त रहकर आश्वासन ही पूरा नहीं किया।

यूपीए दो की सरकार के समय में जन सत्याग्रह 2012 पदयात्रा सत्याग्रह के वक्त पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने लिखित समझौता किया। इसमें राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने पर जोर दिया गया। भूमि संबंधी मसले को कानून के तहत त्वरित कार्रवाई करने पर बल दिया गया। सरकार ने चतुराई करके अपने माथे पर के बोझ को एडवाइजरी के माध्यम से राज्य सरकार को भूमि समस्याओं को हल करने को लिख दिया।इससे संबंधित गाइड लाइन को हरेक स्टेट के चीफ मिनिस्टर को भेजा। जो केन्द्र और राज्य सरकार पूर्ण नहीं कर सके।यूपीए एक और यूपीए दो की सरकार ने अपने कार्यकाल के सत्याग्रह पदयात्रा जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 से संबंधित मसले को सात साल में सात कदम भी आगे नहीं बढ़ा सके। इसके आलोक में जनता ने कांग्रेस को (यूपीए सरकार ) को 2014 के आम चुनाव में रसातल तक पहुंचा दिए। अब पैदल चलकर सत्याग्रही पीएम नरेन्द्र मोदी के समक्ष यूपीए सरकार की वादाखिलाफी को रखेंगे।

एकता परिषद के राष्ट्रीय स्तर के जनवकालत समन्वयक अनीश कुमार कहते हैं कि हमलोगों ने 2 अक्टूबर 2012 को महात्मा गांधी जी को नमन करके ग्वालियर से दिल्ली की ओर कूच किए। देश-विदेश-प्रदेश के एक लाख की संख्या में वंचित समुदाय पदयात्रा सत्याग्रह मंे शिरकत किए। जब हम सत्याग्रही 11 अक्टूबर 2012 को आगरा पहुंचे। तब केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश भी धमक आए। यूपीए सरकार के द्वारा भूमि संबंधी मसौदा को साथ में लेकर आए। उस मसौदा को आम सभा में पढ़ा गया। काफी मंथन करने के बाद ही आम सभा की अनुमति लेकर जन संगठन एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष पी.व्ही.राजगोपाल ने मसौदा पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश जी ने भी हस्ताक्षर किए।

मौके पर श्री राजगोपाल ने ऐलान कर दिए कि अगर सरकार जनता के समक्ष किए गए वादे को पूर्ण नहीं करती तो आगरा में विराम देने वाले सत्याग्रह को आगरा से ही शुरू करके दिल्ली की ओर कूच कर देंगे। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने समझौता पर हस्ताक्षर करने के बाद भी दो साल में राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को मंत्रिमंडल से स्वीकृत नहीं करा सके। अब तो कांग्रेस और यूपीए का सफाया हो गया। 27 मई 2014 को केन्द्र में पीएम नरेन्द्र मोदी जी की सरकार आ गयी है। पीएम सरकार के द्वारा भी 6 माह के बाद भी कुछ नहीं किया।

आदिवासी अधिकार पदयात्रा के समापन पर एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष पी.व्ही.राजगोपाल ने कहा कि मुस्कराकर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रियों ने जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 के समय समझौता और वादा करके चले गए। अब समय आ गया है कि जन सत्याग्रह 2012 के समय जहां पर रूके थे वहीं से सत्याग्रह आगे की ओर बढ़े। 15 मार्च 2015 से आगरा से सत्याग्रह आगे बढ़ेगा। सत्याग्रही पैदल चलकर दिल्ली पहुंचेंगे। किए गए समझौताओं को धरती पर उतारने के लिए पीएम को स्मार पत्र पेश करेंगे।




आलोक कुमार
बिहार 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को और बेहतर बनाने के लिए इसे दूसरे विभागों की परियोजनाओं से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। इससे मनरेगा में सामग्री मद के लिए राशि की कमी नहीं रहेगी और स्थाई परिसम्पत्तियों का निर्माण हो सकेगा। जयपुर के एक पांच सितारा होटल में मंगलवार को मनरेगा को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। 
चौधरी ने बताया कि बैठक में सबसे महत्वपूर्ण सुझाव यही रहा कि मनरेगा के तहत अच्छे और स्थाई काम हों, इसके लिए दूसरे विभागों की योजनाओं को इससे जोड़ा जाना जरूरी है। मनरेगा के तहत सामग्री मद में 40 प्रतिशत राशि ही काम में ली जा सकती है। ऐसे मे गुणवत्तापूर्ण काम नहीं हो पाते। इस कमी को दूसरे विभागें की योजनाओं से जोड़कर दूर किया जा सकता है।
बैठक में रोजगार देने में आयु सीमा तय किए जाने का सुझाव भी आया है। चौधरी ने कहा कि उनका मंत्रालय अभी ऐसी दो बैठकें और करेगा। इनमें से एक बैठक छह जनवरी को त्रिवेन्द्रम में होगी, जिसमें दक्षिण व पश्चिम के राज्य आएंगे और इसके बाद 30 जनवरी को पटना में बैठक होगी, जिसमें उत्तर-पूर्व और पूर्वी क्षेत्र के राज्य आएंगे। इन सब राज्यों से मिले सुझावों के आधार पर इस योजना को बेहतर बनाने का काम किया जाएगा।
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