राष्ट्रीय पहचान बनाने में सभी समुदायों का ख्याल रखने की जरूरत : हामिद अंसारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 29 दिसंबर 2014

राष्ट्रीय पहचान बनाने में सभी समुदायों का ख्याल रखने की जरूरत : हामिद अंसारी

संघ परिवार के हिंदुवादी एजेंडे के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज आस्था और इतिहास के घालमेल और देश में 4,600 से ज्यादा समुदायों की मौजूदगी के बीच 'एक ही प्रकार की' पहचान के प्रचार के खिलाफ आगाह किया।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि 'समरूप राष्ट्र' का विचार ही समस्याएं पैदा करता है। भारतीय इतिहास कांग्रेस के 75वें सत्र का उद्घाटन करते हुए अंसारी ने कहा, 'भारतीय मानव-शास्त्र सर्वेक्षण (एएसआई) के मुताबिक हमारे देश में 4,635 समुदाय हैं और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय पहचान बनाने में सभी समुदायों का ख्याल रखने की जरूरत है।'

उप राष्ट्रपति ने कहा, 'आधुनिक समय में वैश्विक परिदृश्य में जटिलताएं और तनाव हैं। हम राष्ट्र राज्यों की दुनिया में रहते हैं, लेकिन समरूप राष्ट्र का विचार समस्याएं पैदा करता है। आज सबसे समरूप समाजों में भी विविधताओं की पहचान होती है।' अंसारी ने कहा कि भारत में बहुलतावादी संरचनाओं ने छह दशक से ज्यादा समय तक सफलतापूर्वक हर परीक्षा का सामना किया है और इसके 'लगातार पोषण' की जरूरत है।
उन्होंने इतिहास की व्यावहारिक प्रासंगिकता पर जोर दिया और कहा कि इससे पिछली गलतियों से सीखने में मदद मिलती है।

अंसारी ने जोर देकर कहा कि इतिहास 'आस्था पर आधारित' नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, 'दोनों के दायरे अलग-अलग हैं और दोनों के घालमेल से किसी का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।' उप राष्ट्रपति ने कहा, 'इतिहास से हमें पिछली गलतियां जानने और उनसे सीख लेने में मदद मिलती है। वे गलतियां फैसलों में कमजोरी से जुड़ी हैं जिनसे प्रशासन एवं राजव्यवस्था में गलतियां हुईं।' भारतीय इतिहास कांग्रेस के सत्र का आयोजन पहली बार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में किया गया।

कोई टिप्पणी नहीं: