राष्ट्रीय खेलों से बिहार को प्रतिबंधित किये जाने के भारतीय ओलंपिक संघ .आईओए. के फैसले से जहां एक ओर बिहार के सैकड़ों खिलाडि़यों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार के रूख में अबतक कोई नरमी नहीं आने से राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की छवि धूमिल हो रही है। पिछले वर्ष बिहार सरकार ने एक नये कानून के तहत बिहार में खेल संघों के पंजीकरण को जरूरी बना दिया था। कानून के तहत विभिन्न संघों को अपने बही खातों तक की जानकारी सरकार को देना था। हालांकि खेल संघों ने इस कानून का कड़ा विरोध किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तब इस कानून का र्समथन करते हुए कहा था कि सरकार का उद्देश्य राज्य के खेल संघों पर कब्जा करना नहीं बल्कि उनकी मदद करना है । इस कानून के तहत एक खेल के लिये एक ही संघ का पंजीकरण करने की बात कही गयी थी और विवाद की स्थिति में राज्य सरकार को किसी भी संघ को सम्बद्धता दिये जाने का अधिकार था। बिहार स्पोट्र्स रजिस्ट्रेशन .रिकॉगनिशन एंड रेगुलेशन एक्ट 2013 एक्ट को लागू करने के सरकार के फैसले के बाद से ही आईओए और बिहार सरकार के बीच गतिरोध जारी था। इस दौरान ओईओए राज्य सरकार को लगातार पत्र लिखकर इस एक्ट को वापस लेने की मांग कर रही थी लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं होते देख आईओए ने बिहार को राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया।
आईओए के महासचिव राजीव मेहता ने कुछ दिन पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को पत्र लिखकर सूचित कर दिया कि बिहार को राष्ट्रीय खेलों के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। पत्र में यह साफ कर दिया गया है कि आईओए ने यह कार्रवाई सरकार की खेल नीति के तहत रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन एक्ट को खेल संघों पर अनाश्वयक सरकार हस्तक्षेप मानते हुए की है। पत्र में इस बात को साफ किया गया है कि संघ ने 11 अप्रैल . 06 सितम्बर और दस दिसम्बर को बारीशबारी से चिट्ठी लिखकर सरकार को इसकी जानकारी दी थी। इस बीच राज्य के खेल मंत्री विनय बिहारी का कहना है कि पूरे मामले पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने खेल विधेयक में संशोधन की बात पर साफ किया कि वे विधेयक में संशोधन के लिए तैयार हैं और इस संबंध में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से बातचीत करेंगे। सरकार की लापरवाही और फैसले लेने में नाकामी ने राज्य के युवा प्रतिभाओं की मेहनत पर पानी फे र दिया है। केरल के तिरूवनंतपुरम में होने वाले राष्ट्रीय खेल के शुरू होने में करीब एक माह का समय बाकी है और यदि आने वाले कुछ दिनो में सरकार कोई ठोस निर्णय लेती है तो राज्य के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा जरूर मनवा सकते हैं।

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