जनता परिवार के सदस्य रहे छह दल अपनी महाविलय योजना के अगले कदम के रूप में आज जंतर मंतर से नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे. मोदी सरकार के विभिन्न मोर्चों पर असफल रहने और चुनावी वायदों को पूरा नहीं करने के खिलाफ एक मंच को साझा करके ये दल जनता का ध्यान इस ओर दिलाएंगे.
सूत्रो के अनुसार छह दलों के महाविलय में अभी कुछ समय लग सकता है और शुरुआत के रूप में सोमवार को लालू प्रसाद के नेतृत्व वाला राजद और नीतीश कुमार की अगुवाई वाला जदयू एक हो सकते हैं. बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी का संयुक्त रूप से सामना करने की तैयारी के लिए ये दोनों दल महाविलय की प्रतीक्षा किए बिना पहले से ही संभवत: एक दल का रूप ले लेंगे.
लोकसभा चुनावों में बिहार में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के हाथों जदयू, राजद और कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया था. बाद में राज्य विधानसभा की कुछ सीटों के लिए हुए उप चुनाव में इन तीनों दलों ने आपसी तालमेल से चुनाव लड़ा और बेहतर प्रदर्शन किया. इस महाविलय के प्रयास में सबसे सक्रिय शरद यादव ने रविवार को कहा कि दिल्ली में 22 दिसंबर को महाधरना दिया जाएगा जो छह दलों के संभावित विलय की ओर पहला ठोस कदम होगा. उन्होंने हालांकि, इस महाविलय की कोई समय सीमा तय करने के इंकार किया.
पिछले कई महीनों से इस विलय की प्रक्रिया जारी है और पिछले महीने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पांच राजनीतिक दलों, जदता दल यू, जनता दल एस, इंडियन नेशनल लोकदल, समाजवादी जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं को दिल्ली स्थित अपने आवास पर भोज बैठक में बुला कर इसे सार्वजनिक किया. बैठक में शरद यादव, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, आईएनएलडी के दुष्यंत चौटाला और एसजेपी के कमल मोरारका शामिल हुए थे.
सूत्रों ने बताया कि सोमवार को यहां जंतर मंतर पर होने वाले महाधरना में ये सभी नेता उपस्थित होंगे. लालू प्रसाद की पुत्री राजलक्ष्मी का मुलायम सिंह के पोते तेज प्रताप यादव से विवाह तय होने से इन दोनों के बीच पारिवारिक संबंध भी हो गए हैं. महाधरना में कालाधन वापस लाने के नरेन्द्र मोदी के लोकसभा चुनाव में किए गए वायदे को पूरा नहीं करने पर उनकी सरकार को निशाने पर लिया जाएगा. इसके अलावा युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में सरकार के कथित तौर पर नाकाम रहने पर भी उसे घेरा जाएगा.

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