कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीएजी की रिपोर्ट में साफ कहा गया है की पिछली सरकार ने नियम और कानून को ताक पर रखकर वाड्रा के अलावा पांच और बिल्ड़रों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया इनमें पूर्व कांग्रेस मंत्री विनोद शर्मा की कंपनी पिकाडली समेत डीएलएफ भी शामिल है।
रॉबर्ट वाड्रा की जमीन सौदे का मामला इस कदर कांग्रेस के लिए गले की फांस बन गया है की पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं लेता है हालांकि उस समय की हुड्डा सरकार ने वाड्रा की जमकर वकालत की थी और इस मामले को उजागर करने वाले आई ए एस अशोक खेमका को काफी परेशानी भी झेलनी पड़ी थी लेकिन फिलहाल सीएजी की रिपोर्ट ने खेमका दवारा उठाये गए सवालों को जायज करार दिया है।
फिलहाल सीएजी ने वाड्रा के अलावा कई और कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने की बात कही है ये कम्पनियां हैं पिकाडली होटलस् प्राइवेट लिमिटेड (विनोद शर्मा की कम्पनी है ) ए एंड डी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, -उप्पल हाऊसिंग प्राइवेट लिमिटेड, एस वी हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड, त्रिशूल इंडस्ट्रीज और डीएलएफ यूनिवर्सल प्राइवेट लिमिटेड।
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी पर हरियाणा सरकार ने जमकर मेहरबानी की यहां तक की कमर्शियल कॉलोनी के लिए पर्याप्त जमीन न होते हुए भी कंपनी को लाइसेंस जारी किया गया यहां तक की कॉलोनी के लिए जरुरी 2 एकड़ एफआरए के नियम को ही बदल दिया गया,अशोक खेमका ने इस जमीन के म्यूटेशन रद्द कर दी थी, लेकिन सरकार ने टीम मेंबर कमेटी बनाकर यहां भी नियम की अनदेखी की।
हालांकि इस जमीन को एक खास प्रोजेक्ट के लिए कृषि से बदलकर कमर्शियल बनाने का लाइसेंस दिया गया था, लेकिन वाड्रा की कम्पनी ने ये प्रोजेक्ट लगाए बिना कई गुना कीमत पर ये जमीन लाइसेंस समेत डीएलएफ को बेच दी नियमों के मुताबिक ऐसा करने पर कंपनी द्वारा अर्जित मुनाफे का बड़ा हिस्सा सरकारी खजाने में जाना चाहिए था, लेकिन ये मुनाफा वाड्रा की कम्पनी को चला गया, बीजेपी ने इस मुद्दे को चुनाव से पहले और सरकार बनने तक उठाया जरूर, लेकिन किया कुछ नहीं और अभी भी सरकार का जवाब वही है की उचित कार्रवाई की जाएगी।
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