लखनऊ, : ऑक्सफेम इंडिया, उत्तर प्रदेश फोर्सेस नेटवर्क के संयुक्त तत्वाधान में आज “’समेकित बाल विकास केंद्र के पुनर्गठन’ पर राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन होटल बाबियान इन, लखनऊ में किया गया। कार्यक्रम के दौरान सभी का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश वोल्यूनटरी हैल्थ असोशिएशन के अध्यक्ष श्री वी पी पाण्डेय नें कहा कि ‘प्राथमिक बाल्यावस्था देखभाल एवं विकास’ एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसमें कि प्रदेश के सभी बच्चों को शामिल करने के लिए साझे प्रयास कि जरूरत है।
सभा को संबोधित करते हुए यश भारती पुरस्कार से सम्मानित श्री रमेश भईया नें कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों द्वारा कुपोषित बच्चों को ट्रैक कर न्यूट्रिशन एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर (एन0आर0सी0) में हस्तानांतरित किया जाना है परंतु प्रदेश 20 से भी कम जिलों में एन0आर0सी0 संचालित है जो की बाल मृत्यु का एक महत्वपूर्ण कारण है।
‘बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा समेकित बाल विकास केंद्र को पुनर्गठित किया गया है जिसके तहत आंगनवाड़ी केन्द्रों को “जीवंत प्राथमिक बाल्यावस्था विकास केंद्र” (Vibrant ECD Centre) के रूप में विकसित करने की बात कही गयी है जो की ग्राम स्तर पर स्वास्थ, पोषण एवं पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के लिये कम से कम छः घंटों तक संचालित होने वाला केंद्र होंगी। उत्तर प्रदेश में 2011 की जनगणना के अनुसार तकरीबन 19% बच्चें 0-6 वर्ष तक के हैं जिससे पूर्व बाल्यावस्था देखभाल व विकास के मुद्दे पर कार्य प्रदेश के भविस्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में आंगनवाड़ी केंद्र में होने वाले ‘ग्राम स्वास्थ एवं पोषण दिवस’ की ब्रांडिंग मात्र टिककरण दिवस के रूप में कर दी गयी है जिससे की आंगनवाड़ी केंद्र में मिलने वाले शाला पूर्व शिक्षा, टिकाकरण, स्वास्थ, पोषण, रिफ़रल सेवाएँ तथा अन्य मत्वपूर्ण सेवाओं को मात्र टिकाकरण में समेट कर रख दिया गया है। आई0सी0डी0एस0 के पूरर्गठन के अनूसार सभी आंगनवाड़ी में ‘पूर्व शिक्षा किट’ को दिया जाना सुनिश्चित किया गया है जिसे की मजबूत करने की आवश्यकता है। हाल हीं में पूर्व बाल्यावस्था देखभाल एवं विकास की नीति, करीक्यूलम व क्वालिटी फ्रेमवर्क का निर्माण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया गया है जिसका जामिनीकरण करने की अत्यंत अवश्यकता है। शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 11 को ध्यान में रखते हुए पूर्व बाल्यावस्था देखभाल एवं विकास की नीति के अनूसार महिला व बाल विकास विभाग के अंदर पूर्व बाल्यावस्था देखभाल व शिक्षा के लिए अलग से विभाग स्थापित करने की बात कही गयी है जिसे की प्रदेश में लागू करने की अवयक्षकता है।’ ऑक्सफेम इंडिया के क्षेत्रीय प्रबन्धक श्री नन्द किशोर सिंह ने कहा।
उत्तर प्रदेश वोल्यूनटरी हैल्थ असोशिएशन के अधिसाशी निदेशक श्री जे पी शर्मा ने कहा की ‘प्रदेश में 1.88 लाख आंगनवाड़ी हैं जिसमें की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्राथमिक सेवा प्रदाता हैं परंतु उन्हें सरकार द्वारा नियमित रूप से वेतन नहीं मिलता। एक सर्वे के अनुसार 98% आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों ने यह बताया की उनके वेतन का भुगतान नियमित नहीं होता और कभी-कभी तो यह 2-3 माह के बाद भी मिलता है जिसपर सरकार को कार्य करने की अवयश्यकता है। प्रदेश में 12% बाल मृत्यु निमोनिया, व 13% बाल मृत्यु डायरिया के कारण होता है जिसके लिए सरकार व स्वयं सेवी संस्थाओं को अभियान के रूप में प्रयास करना चाहिए।‘
कार्यक्रम के दौरान सेव द चिल्ड्रेन के श्री सुनील ने कहा “आई0सी0डी0एस0 के पूरर्गठन के बाद बच्चों हेतु उपलब्ध सेवाओं में नाना प्रकार के बदलाव आये है, जिनमें बच्चों में कुपोषण को दूर कर उनमें पोषण सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है। इसमें आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पूरक आहार मिलने का प्रावधान भी सम्मिलित है। मल्टीसेक्टोरल अप्रोच पर स्वास्थ, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास व अन्य विभागों को एकजुट हो कर कार्य करना होगा।
नेटवर्क के श्री अवधेश नें कहा कि ‘प्राथमिक बाल्यावस्था देखरेख और शिक्षा आजीवन विकास के लिए अपरिहार्य बुनियाद है, जिसका शिक्षा के प्राथमिक चरण कि सफलता पर गहरा असर पड़ता है। इसी वजह से जरूरी हो जाता है कि आई0सी0डी0एस0 को प्राथमिकता दें और मांग के अनुरूप संसाधन मुहैया कराकर पर्याप्त तौर पर निवेश करें।
सम्मेलन के दौरान उत्तर प्रदेश फोर्सेस नेटवर्क से जुड़े तकरीबन 50 जिलों से ‘प्राथमिक बाल्यावस्था देखभाल एवं विकास’ पर कार्यरत सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों नें अपने विचारों को व्यक्त किया और अगले वर्ष की रणनीति पर चर्चा की।
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