उपहार में प्राप्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशिष्ट शूट नीलामी के बाद भी विवाद के घेरे में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 23 मार्च 2015

उपहार में प्राप्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशिष्ट शूट नीलामी के बाद भी विवाद के घेरे में

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उपहार में प्राप्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशिष्ट अर्थात स्पेशल शूट के नीलामी में 4.31 करोड़ रुपए में बिक जाने के बाद प्राप्त राशि को गंगा सफाई योजना में लगाये जाने के बाद भी यह मामला विवाद के घेरे में आने से बच नहीं सका । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस शूट की नीलामी पर प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या  शूट की नीलामी कानून के दायरे में आती है? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि मंत्रियों के लिए बने कोड ऑफ कंडक्टब के तहत नीलामी के लिए सरकारी तोहफे जमा कराई जाने वाली तोषखाना की इजाजत लेनी जरूरी होती है। परन्तु अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मोदी ने यह तोहफा तोषखाना (जहाँ सरकारी तोहफे जमा कराए जाते हैं) में जमा कराया था या नहीं। और अगर उन्होंने जमा कराया था तो इसकी नीलामी की इजाजत ली थी अथवा नहीं? इसके अतिरिक्त , तोषखाने से यह उपहार अर्थात गिफ्ट वापस लेते समय क्या मोदी ने नियम के मुताबिक इसके लिए कोई रकम चुकाई थी? प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से भी अब तक इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है, जिसके कारण धुंध की परत अब तक हट नहीं सकी है । शूट उपहार अर्थात गिफ्ट में मिलने की बात सामने आने के बाद काँग्रेस ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और इस नीलामी प्रकरण पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री निजी उपहार कैसे ले सकते हैं ? कांग्रेस नेता अजय माकन और राशिद अल्वी ने कहा कि बतौर प्रधानमंत्री क्या मोदी निजी गिफ्ट स्वीकार कर सकते हैं। अगर वे ऐसा गिफ्ट स्वीकार कर रहे हैं, तो इसके पीछे मकसद क्या है? इतना महंगा गिफ्ट देने वाला कौन है और अगर उसने गिफ्ट दिया है, तो इसके पीछे वह अपना क्या काम निकलवाना चाहता है? या फिर उस व्यक्ति ने अपना कोई काम करा लिया है।

उल्लेखनीय है कि गुजरात के अनिवासी भारतीय अर्थात एनआरआई हीरा कारोबारी रमेश विरानी ने दावा किया है कि उन्होंने अपने बेटे की शादी का इनविटेशन कार्ड देते समय इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री मोदी को नरेंद्र दामोदरदास मोदी  नाम का धारीदार शूट  गिफ्ट में दिया था। उन्होंमने इसकी कीमत नहीं बताई। लेकिन यह तय माना जा रहा है कि शूट की कीमत पाँच  हजार रुपए से तो अधिक ही होगी। फिर, अभी तक यह भी सामने नहीं आया है कि विरानी मोदी के रिश्ते दार हैं अथवा नहीं ? इस कारण इसे कोड ऑफ कंडक्टक का उल्लंंघन माना जा रहा है।प्रधानमंत्री मोदी को उपहारस्वरूप प्राप्त इस शूट को गुजरात के धर्मनंदन डायमंड्स प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन लालजी भाई पटेल ने नीलामी में 4.31 करोड़ रुपए में खरीदा है। 1955 में गुजरात के भावनगर के एक गाँव में जन्मे और शुरुआती दौर से ही डायमंड्स के लिए काफी क्रेजी रहे धर्मनंदन ग्रुप के लालजी भाई पटेल का कहना है कि इस शूट को अपने कार्यालय में रखेंगे और इस बात को सदैव स्मरण रखेंगे कि हमने एक अत्यन्त पवित्र कार्य  में कभी भागीदारी की थी। खबरिया चैनल सीएनएन ने इस शूट को संसार का दूसरा सबसे महँगा शूट करार दिया है। इस सबसे महँगे शूट में पचास हाफ कैरेट हीरे लगे हुए हैं। हालाँकि यह अनुमान बोली के आधार पर है। इस शूट की कीमत को लेकर काफी विवाद हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह शूट अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के समय पहना था। शूट के नीलामी से प्रापर राशि को गंगा के सफाई अभियान में खर्च किया जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मंत्रियों (केंद्रीय या राज्य) के लिए जारी कोड ऑफ कंडक्ट  के क्लॉज 4.1 के अनुसार, मंत्री को अपने रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त किसी अन्य से कोई महंगा गिफ्ट नहीं लेना चाहिए। उसे ऐसे व्यक्ति से गिफ्ट नहीं स्वीकारना चाहिए, जिसके साथ कभी कार्यालयीन कार्य अर्थात ऑफिशियल डीलिंग्स हो सकती है। कोड ऑफ कंडक्ट के क्लॉज 4.2 के अनुसार, प्रधानमंत्री या उनके साथी मंत्री केवल विदेश यात्रा के दौरान या फिर विदेशी मेहमानों से प्राप्त गिफ्ट ही स्वीकार कर सकते हैं। ये गिफ्ट भी दो श्रेणी के होते हैं। एक तो ऐसे तोहफे जो प्रतीकात्मक होते हैं, जैसे कि सम्मान में दी जाने वाली तलवार, शॉल, स्मृति चिह्न, प्रतिमाएं आदि। इस तरह के गिफ्ट मंत्री अपने पास रख सकते हैं। दूसरी श्रेणी में ऐसे तोहफे आते हैं जो प्रतीकात्मक नहीं होते। इस श्रेणी में मिलने वाले तोहफों की कीमत पाँच हजार रुपए से ज्यादा है तो उसे मंत्री को तोषखाने में जमा कराना पड़ता है। सम्बंधित मंत्री बाद में अगर वह गिफ्ट अपने पास रखना चाहता है तो उसे कीमत चुकानी होती है। तोहफे की कीमत जितनी आँकी जाती है, उसमें से पाँच हजार रुपए घटाकर बाकी रकम चुकाने के बाद तोषखाने से वह गिफ्ट खरीदा जा सकता है।तोषखाना विदेश मंत्रालय के तहत काम करता है।

ध्यातव्य है कि मोदी सरकार ने भी अपने मंत्रियो वरिष्ठ अधिकारियों केलिए कोड ऑफ कंडक्टख जारी करवाया था ।10 जून, 2014 को स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में कामकाज करने के तरीकों को लेकर कुछ दिशा-निर्देश दिए थे। इनमें यह बात भी शामिल थी कि कोई मंत्री किसी से महंगे गिफ्ट न ले। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रियों के समक्ष नैतिक जिम्मेदारियों की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त रखी थी। इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मंत्रियों के लिए कोड ऑफ कंडक्टस जारी कारवायां था। इसे पिछले वर्ष जून में मोदी सरकार ने फिर से जारी करवाया। कहा जाता है कि कोड ऑफ कंडक्ट का पालन ठीक से हो रहा है कि नहीं, इस पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थकों का कहना है कि इसके बाद भी अगर प्रधानमंत्री से अगर उपहार प्राप्त के सम्बन्ध में यह चूक हुई है और अनजाने में आचार संहिता भंग हो गई हो तो उन्होंने उपहार में प्राप्त उस शूट को नीलामी कर उससे प्राप्त धन को गंगा सफाई योजना में लगाकर उसकी भरपाई कर दी है । कुछ मोदी समर्थक यह भी कहते हैं , मोदी ने अपने पुराने मित्र से उपहार में प्राप्त शूट को भी नीलाम कर के अच्छे काम मे पी लगा दिये , इस पर भी आपत्ति है उन कांग्रेसियों को जो खुद अपने शासन में लाखो करोड़ों का घोटाला कर गये । अब देखना यह है यह मामला अंततः क्या रंग लाता है ?



---अशोक “प्रवृद्ध”---
गुमला (झारखण्ड)

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