27 मार्च को रीलिज होने जा रही फिल्म ‘बरखा’ आम फिल्मों की लीक से हटकर एक अलग तरह की फिल्म है यह कहना है सह-निर्माता संजय बेडिया का। संजय कहा कि फिल्म में हमने माजिक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने का प्रयास किया है। जोहरा प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित निर्मात्री शबाना हाशमी की फिल्म ‘बरखा’ इन दिनों चर्चा में है,पाकिस्तानी अभिनेत्री लॉरेन के हाॅट सींन्स को लेकर। इस फिल्म से संजय को काफी उम्मींदे है। फिल्म एक साथ छह सौ थिएटरों में प्रदर्शित हो रही है। इस रोमांटिक थ्रिलर के बारे में वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक अशोक कुमार निर्भय ने सह निर्माता संजय बेड़िया से हुई बातचीत की प्रस्तुत है उस बातचीत के प्रमुख अंश हुई।
ऐसा लगता है कि आपकी फिल्म कहीं तब्बू अभिनीत फिल्म ‘चांदनी बार’ की कहानी से प्रभावित है?
रत्ती भर भी नहीं। ‘बरखा’ बार गर्ल की कहानी नहीं है .यह एक जुनूनी लड़की के संघर्ष की यात्रा है.देखने के बाद आप इसे समझ पाएंग। ऐसे कथानक पर एक फिल्म चमेली भी बनीं थीं।लेकिन हमारी फिल्म नारी प्रधान है।
लेकिन हमारे यहां पारी प्रधान फिल्मों का जोखिम कम ही निर्माता उठाते है?
ऐसा नहीं है,मदर इंडिया,फूल बनें अंगारे,उमराव जान,चमेली.... जैसी अनेकों फिल्मों के बाद बरखा भी नारी प्रधान फिल्म है। मेरा मानना है कि कहानी में दम है तो फिल्म चलेगी।
फिल्म का टाईटल ‘बरखा’ रखने की कोई वजह ?
वैसे तो आजकल फिल्मों के टाईटलं एक चुनौती है, मेरे दिमाग के अनेक नाम आएं, लेकिन बाद में ‘बरखा’ पर सबकी सहमती बनीं।‘ बरखा’ फिल्म की नायिका का नाम है।
लगता है कहानी में बरखा का जीवन ही रेखाकिंत किया है?
जी हाॅ। आज हमारी युवा पीढी कहीं ग्लैमरस से प्रभावित है। बरखा हिमाचल के छोटे से कस्बे से है। छोटे शहर से होने के चलते वह सुपरस्टार बनने का सपना लेकर बड़ी होती है। वह एक आम नारी नहीं है। उसके अंदर ढेर सारी इच्छाएं है,जो दबी है। जिंदगी में उसका मकसद एक सफल हीरोइन बनना है,और मुमंई की ओर रुख करने की तैयारी करने लगती है.
फिल्म बरखा के सघर्ष की कहानी है,इस प्रकार के कथानक पर कई फिल्में बन चुकी फिर इसकी कहानी में क्या नयापन ?
कहानी की सूत्रधार बरखा जिंदगी में अपने सपनों को पूरा करने के लिए जब अंजाने शहर की और निकलती है,तो उसको अनेक परिस्थितियों से जूझना पंडता है, उसके जीवन के उतार चढाब को दर्शाया है। अनेक घटनाओं के चलते उसकी जिंदगी का एक नया मोड़ है। यहां से शुरू होता है एक नये रिश्तें का दौर। हालत उसे अभिनेत्री तो नही बार बाला बना देती है,बस यहीं कहानी का नयापन है।
बरखा को बार की जिंदगी पसंद है या मजबूरी वह ले जाती है?
ना पसंद उसकी बार है ,ना ही कोई मजबूरी है पर जिंदगी को एक नयी राह देने के लिए उसे किसी-न-किसी पत्थर पर तो रगड़ना पड़ेगा इसलिए वह इसे एक चुनौती के रूप में लेती है और बार गर्ल बन जाती है.
फिर कोई हादसा होता है?
नहीं ,वह अपना ख्याल रखना जानती है.वह जतिन उसे मिलता है.जतिन बरखा पर लट्टू हो जाता है और प्यार करना शुरू करता है ,बरखा इस बात से बिलकुल अंजान रहती है।फिर आगे का प्रेम-प्रकरण परवान चढ़ता है।
यही तो खास बात है इस फिल्म की जो थिएटर में देखने पर पता चलेगा.‘बरखा’ सचमुच की एक अलग फिल्म है.एक लंबे अरसे से किसी मौलिक कथानथ को लेकर कोई ऐसी फिल्म नहीं आयी।
‘बरखा’ का किरदार में कौन है ऑफ -स्क्रीन परिचय दे?
सारा लॉरेन ने इस फिल्म बरखा के किरदार में नजर आएगीं। वह पिछली बार ‘मर्डर 3‘ में देखा होगा। सारा भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी लोकप्रिय है। उनकी पाकिस्तानी फिल्मों‘अंजुमन’ (पाक ) हिट फिल्म थी।
और जतिन कौन है ?
जतिन सबरवाल की भूमिका ताहा शाह ने निभायी है।ताहा को आपने ‘गिप्पी और लव का द एंड’ में देखा होगा.लव का द एंड में वह निगेटिव भूमिका में थे,मगर यहाँ वह बिलकुल ही बदले अंदाज में दिखेंगे।
फिल्म में संगीत का एक अलग महत्व होता है ?
जी हाॅ,अमजद नदीम ने इंडियन वेस्र्टन संगीत के मिश्रण सेे तैयार किया है मिला जुला म्यूजिक । गीत भी लुभावने बने है। जो आम लोगों की पंसद है। .हालाँकि हमारी फिल्म का टारगेट ऑडियंस युथ है लेकिन यह फिल्म सबको पसंद आएगी ।
पूरी टीम नयी है,फिर भी आप इतने आस्वस्थ कैसे है?
क्योंकि हमने फिल्म एक मिशन के रूप में बनायीं है। हमे अच्छी फिल्म बनानी थी सो हमने बनायीं .इसके लिए मैं शबाना जी को धन्यवाद दूंगा जिन्होंने मुझे प्रोत्साषित किया और मैं अपने निर्देशक शादाब मिर्जा को खुली छूट दी। नतीजा -‘बरखा’ के रूप में एक अच्छी फिल्म हमारे हाथ में है।इसको हम छह सौ सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज कर रहे है और आस्वस्त है की हमारी ‘बरखा’ आपको भी प्रभावित करेगी.
अशोक कुमार निर्भय
वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक

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