भारतीय न्याय व्यवस्था में किसी मुकदमे का सालों तक लंबित रहना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने इस परिदृश्य को बदलने के लिए जरूरी कदम उठाना शुरु कर दिया है. सीजीआई एचएल दत्तू ने मुकदमों को पांच साल के भीतर निपटाए जाने का आश्वासन दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू ने बताया कि वह और उनके साथी न्यायाधीश प्रयास कर रहे हैं कि कोई भी मामला अधिकतम पांच साल से ज्यादा लंबित ना रहे. पुराने केसेज को भी खत्म किए जाने की अधिकतम सीमा पांच साल ही बताई. इसके बाद जब दत्तू से पूछा गया कि वह सालो से लंबित मामलों को निपटाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं तो इसके जवाब में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पांच सालों की समय सीमा का अर्थ है कि इस दौरान इन मामलों की सुनवाई समाप्त हो जानी चाहिए.
चीफ जस्टिस ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के मामलों में वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि कोई भी मामला दो वर्ष से ज्यादा अदालत में ना रुके. लेकिन हाईकोर्ट के मामले में अपील में थोड़ा और समय लग सकता है. इसके बाद सीजीआई ने न्यायाधीशों की कमी की ओर संकेत करते हुए कहा कि भारतीय जनसंख्या के मुकाबले जजों की संख्या काफी कम है और एक साल में जज सिर्फ 190 दिन काम करते हैं. उन्होंने कहा कि इन 190 दिनों में वे दिन रात मुकदमों से जुड़ी पढ़ाई-लिखाई में वक्त गुजारते हैं. कई बार वे अपने बच्चों और फेमिली के साथ समय नहीं गुजार पाते. इसके बाद दिल्ली गैंगरेप पर हो रही देरी पर बोलते हुए कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 23 में से एक आरोपी की मौत की सजा लंबित है.
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