उत्तराखंड की विस्तृत खबर (19 अप्रैल) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 19 अप्रैल 2015

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (19 अप्रैल)

बच्चे गेट के बाहर, मास्साब टैक्सी के अंदर
  • -मजाक बनी सरकारी शिक्षा व्यवस्था
  • -हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शुरू नहीं बायोमैट्रिक्स व्यवस्था
  • -शिक्षकों के बच्चे पढ़ रहे पब्लिक स्कूलों मंे, एमडीएम ढ़ाबे बने प्राथमिक विद्यालय

uttrakhand-news
अभी पिछले दिनों पौड़ी जनपद के कल्जीखाल विकासखंड के एक स्कूल में एक वाकया देखने को मिला, हुआ ये कि जिले के जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक केएस रावत स्कूल खुलने के नियत समय यानी सात बजे एक स्कूल में पहुंच गए। वहां न गेट का ताला खुला था और न ही कमरों के ताले, बच्चे गेट से बाहर मास्टरनियों का इंतजार कर रहे थे। लिहाजा डीईओ साहब भी शिक्षिकाओं का इंतजार करने लगे,लेकिन एक घंटे यानी आठ बजे तक भी वे न पहुंची। आखिरकार डीईओ को स्कूल की प्रधानाध्यापिका और सहायक शिक्षिका के निलंबन की संस्तुति करनी पड़ी। मामला पौड़ी-कांसखेत-सतपुली प्रांतीय राजमार्ग संख्या-32 से लगे प्राथमिक विद्यालय बूंगा द्वितीय का है। बच्चों की अच्छी खासी संख्या होने के बावजूद शिक्षिकाओं के लापरवाह रवैय्ये को देखते हुए डीईओ को इन दोनो शिक्षिकाओं को निलंबित करना पड़ा। बताया जा रहा है कि यह दोनो शिक्षिकाएं यहां से करीब 65 किमी दूर कोटद्वार से रोज इस अपने विद्यालय तक आवाजाही करती हैं। करें भी क्यों नहीं, इनके द्वारा अपने पाल्यों के बेहतर भविष्य की खातिर उन्हे कोटद्वार के पब्लिक स्कूलों में जो पढ़ाया जा रहा है। यह एक उदाहरण पके हुए चावल में एक दाने को आजमाने जैसा है, दरअसल समूचे सरकारी शिक्षा व्यवस्था का तंत्र पूरी तरह से चरमरा गया है। प्रदेशभर में सरकारी विद्यालय प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार देने का जरिया मात्र बन कर रह गए हैं। सीधे सीधे कहा जाए तो सरकारी स्कूल उस एमडीएम ढ़ाबे की तरह हो चुके हैं जिसमें दिन का भोजन निःशुल्क वितरित किया जाता है। हकीकत यह है कि गांवों में बेहद मुफलिसी में जीवन यापन कर रहे परिवारों के पाल्य इन स्कूलों में सिर्फ इसलिए प्रवेश ले रहे हैं या हाजिरी बजा रहे हैं कि उन्हे दिन का भरपेट दालभात मुफ्त में मिल सके। कोई एक डेढ़ दशक पूर्व देखने को मिलता था कि पहाड़ व तलहटियों में बसे नगर कस्बों के मुख्य चैराहों पर सुबह के समय दिहाड़ी की तलाश में बिहारी व नेपाली मजदूरों का जमावड़ा लगा रहता था, जबकि अब चैराहों व टैक्सी स्टैंडों पर सुबह के समय सरकारी मास्टरों का जमावड़ा भी देखा जा सकता है। देहरादून, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, कोटद्वार, श्रीनगर, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग आदि सभी शहरों से बड़ी संख्या में चलने वाली कथित ‘स्टाफ टैक्सियों‘ के जरिए सैकड़ों की संख्या में शिक्षक व शिक्षिकाएं हर रोज विद्यालयों तक आवाजाही कर रहे हैं। हैरान कर देने वाली बात यह है कि देहरादून से यमकेश्वर, विकासनगर से चकराता, कोटद्वार से सतपुली व ज्वाल्पा देवी, पौड़ी से थलीसैण तक घंटों का सफर कर रोज स्कूल पहुंच रहे हैं। कई शिक्षक टैक्सी से एक सौ किमी से अधिक का सफर कर और उसके उपरांत कुछ किमी पैदल चलकर अपने स्कूलों तक पहुंच रहे हैं। जाहिर है इस आवाजाही में उनका तीन से पांच घंटे का समय जाया हो रहा है। ऐसे में अनेक शिक्षक जहां एक डेढ़ घंटे देर से स्कूल पहुंच रहे हैं वही तय समय से एक डेढ़ घंटा पहले ही स्कूल से वापसी भी कर रहे हैं। घंटों वाहन का सफर व उसके बाद पैदल चलने के बाद मास्साब कितने तरोताजा रह पाते होंगे, यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। जाहिर है मास्साब केवल हाजिरी बजाने को ही स्कूल पहुंच रहे हैं जिससे कि महीने के आखिरी में उनके बैक अकाउंट में दसियों हजार का इजाफा हो सके। इधर, हमारे एक पूर्व मुख्यमंत्री जी द्वारा पुरुष व महिला शिक्षकों के लिए सीसीएल (चाइल्ड केयर लीव) स्वीकृत तक कर दी गई, जिससे वह शहरों में मंहगे पब्लिक स्कूलों में पढ़ रहे अपने पाल्यों की परीक्षा आदि तैयारियां करा सकें। भले ही इधर, सरकारी स्कूलों के बच्चें उन दिनों दाल भात खाकर बैरंग वापस अपने घरों को ही क्यों न लौटें। गौरतलब बात यह है कि करीब पचास हजार का मोटा वेतन लेने वाले मास्साब अपने बच्चों को उन स्कूलों में पढ़ा रहे हैं जिन स्कूलों के शिक्षकों को बामुश्किल दस पंद्रह हजार का मेहनताना मिल रहा है। साफ जाहिर है कि सरकारी मास्साब को अपनी शिक्षण व्यवस्था पर इतना यकीन नहीं रहा कि वे अपने पाल्यों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने की हिम्मत पैदा कर सकें। इधर, पिछले दिनों माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा सरकारी स्कूलों में मास्साब की कारस्तानियों की शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए सभी विद्यालयों में बायोमैट्रिक्स पद्धति से उपस्थिति दर्ज कराने का आदेश दिया गया था। जिसके तहत स्कूल में दाखिल होने व स्कूल से जाने से पूर्व शिक्षकों को फिंगर प्रिंट के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करनी थी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सुगबुगाहट नहीं सुनाइ दे रही है। मास्टरों की संख्या, राजनीति में उनके गहरे दखल, चुनाव प्रक्रिया में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि कोई भी सरकार न्यायालय के इस फैसले को लागू कर इस बिरादरी से पंगा लेने का जोखिम उठा सके। ऐसे में फिलहाल इस कारगर व्यवस्था के लागू होने की उम्मीदें न के बराबर ही हैं। और हां, कार्रवाई हो भी कैसे...  मंत्री, संतरी, बड़े पत्रकारों की पत्नियां, बेटे, बहू, बेटियां, भाई भी तो आड़े आ जाते हैं। कुल मिलाकर इस व्यवस्था में सुधार की उम्मीद लगाना बेमानी से बढ़कर कुछ नहीं है। दबे कुचले लोगों की औलादों के भरोसे कुछ लोगों के बच्चों ने भविष्य में इस मुल्क के तारणहार की भूमिका में विराजमान जो होना है। रही बात एमडीएम ढ़ाबों के जरिए भविष्य की किरण तलाशने वाले अभागों की तो चुनावी रैली, धरना प्रदर्शन के लिए भी तो पव्वा अध्या पीकर हुडदंग मचाने वालों की भी तो सख्त जरूरत हैं इस विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को। 

भूस्खलन के समाधान के लिए निजी कंपनी की मदद

देहरादून,19 अप्रैल। बदरीनाथ हाइवे पर परेशानी का सबब बने भूस्खलन जोन के स्थाई समाधान के लिए अब राजमार्ग मंत्रालय ने निजी कंपनी की मदद ली है। इन भूस्खलन जोन के स्थाई ट्रीटमेंट के लिए सर्वे का काम कर रही कंपनी ने भूस्खलन जोन में लामबगड़ समेत पांच जगहों पर भूमि टेस्टिंग सर्वे मशीन लगाई गई है। सीमा सड़क संगठन स्थाई ट्रीटमेंट से पहले भूस्खलन के कारण जानकर समाधान की दिशा में कदम उठाना चाहता है। साफ है कि इस वर्ष इन भूस्खलन जोन का स्थाई ट्रीटमेंट होने की उम्मीद फिलहाल नहीं है। बदरीनाथ हाइवे पर गौचर के कमेड़ा से बदरीनाथ तक दो दर्जन से अधिक भूस्खलन जोन हैं। इस मार्ग पर हल्की सी बारिश में भी भूधंसाव और भूस्खलन आम बात है। आए दिन हाइवे के अवरुद्ध होने से यात्रा पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ता रहा है। सीमा सड़क संगठन दो दशक से उभरे इन भूस्खलन जोन के स्थाई ट्रीटमेंट की दिशा में कार्य नहीं कर पाया था। आपदा के बाद तो इन भूस्खलन जोन का आकार बढ़ गया है। भूस्खलन जोन में अस्थाई ट्रीटमेंट के नाम पर भी प्रतिवर्ष लाखों खर्च होते रहे हैं। बावजूद इसके राहगीरों के सिर पर खतरा बरकरार रहा। अब सीमा सड़क संगठन इन भूस्खलन जोनों के स्थाई समाधान के लिए निजी कंपनी कास्ता की मदद ले रहा है। कास्ता ने पागलनाला, लामबगड़, बेनाकुली सहित पांच जगहों पर मिट्टी टेस्टिंग मशीन लगाई गई है। कास्ता कंपनी पहले भूस्खलन के कारण और भूगर्भीय हलचल का अध्ययन कर रही है, ताकि ठोस कार्ययोजना के माध्यम से इन भूस्खलन जोन के स्थाई ट्रीटमेंट की दिशा में काम किया जा सके। अभी जिस गति से सर्वे का काम चल रहा है, उससे इन भूस्खलन जोन के स्थाई ट्रीटमेंट में समय लग सकता है। जिससे इस वर्ष के यात्राकाल के दौरान राहगीरों को इन भूस्खलन जोनों पर मुसीबतों का सामना करना पड सकता है।

बदरीनाथ में आधारभूत सुविधाएं बहाल
बदरीनाथ धाम में बिजली, पानी और संचार से बहाल कर दी गई हैं। यात्रा का जायजा लेने के लिए डीएम और एसपी भी धाम पहुंचे। जिलाधिकारी अशोक कुमार व पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा गोपेश्वर स्पोट्र्स स्टेडियम से हेलीकॉप्टर में बदरीनाथ धाम पहुंचे। जिलाधिकारी ने बताया कि बदरीनाथ धाम में बिजली, पानी, दूरसंचार की सुविधा बहाल कर दी गई है। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर, मंदिर मार्ग, दो हेलीपैडों से बर्फ पूरी तरह से हटा दी गई है। धाम में बर्फ को गलाने के लिए यूरिया का छिड़काव भी किया जा रहा है। उन्होंने मंदिर समिति, नगर पंचायत समेत अन्य सरकारी विभागों के यहां मौजूद कर्मचारियों निर्देश दिए कि युद्ध स्तर पर कार्य कर कपाट खुलने से पहले बदरीनाथ धाम में सभी व्यवस्थाएं चाक चैबंद करें जिससे कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कोई समस्या न हो।

बदरीनाथ धाम मंे पूजा के लिए अग्रिम बुकिंग  शुरू
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे ही पूजा के लिये आनलाईन बुकिंग ने भी जोर पकड लिया है। आंकडों के अनुसार अब तक 37 लोग दो लाख की धनराशि जमा कर पूजाएं अग्रिम बुक करा चुके हैं। ये सभी पूजाएं कपाट खुलने के बाद के लिये बुक कराई गयी हैं। 26 अप्रैल को बदरीनाथ के कपाट खुलने के मौके पर पूजा के लिए सभी लोगों ने ऑनलाइन बुकिंग की है। इनमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, चेन्नई के यात्री शामिल हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के एक परिवार ने 30 हजार रुपये की विशेष पूजाएं केदारनाथ धाम के लिए बुक कराई हैं। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी अनुसार मंदिर समिति के ऋषिकेश, बदरीनाथ, श्रीनगर, केदारनाथ सहित अन्य धर्मशालाओं में भी अग्रिम बुकिंग की गई हैं। उन्होंने कहा कि अब तक सात हजार से अधिक लोग टेलीफोन, मेल, पत्र सहित अन्य माध्यमों से बदरीनाथ, केदारनाथ की यात्रा में मौसम, मार्ग व पूजा की जानकारी ले चुके हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाली यात्रा में श्रद्धालूओं की अच्छी तादाद रहेगी। बीती रात 11ः30 बजे उत्तराखंड के चमोली जिले में भूकंप के आने से किसी तरह के कोई जानमाल के नुक्सान की खबर तो नहीं लेकिन पांडूकेश्वर से बद्रीनाथ तक की सड़क के जगह-जगह बोल्डर आने से बाधित होने की खबर है

अब भी गंगोत्री-यमुनोत्री में पसरा है सन्नाटा

देहरादून,19 अप्रैल। अक्षय तृतीया के दिन 21 अप्रैल को गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने हैं, लेकिन अभी तक दोनों धाम में पसरा सन्नाटा नहीं टूटा है। दोनों धामों में अब भी अधिकांश दुकानें बंद हैं। देर तक हुई बर्फबारी के कारण बाजार में दुकानों के आगे से बर्फ के ढेर भी नहीं हटाए जा सके हैं। पूजा सामग्री की कुछ दुकानों को छोड़कर अधिकांश दुकानें अभी तैयार नहीं हो सकी हैं। वर्ष 2013 में जून माह बाढ़ के चलते गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में सीजनल व्यापारियों का बड़ा नुकसान हुआ था। कपाट खुलने के महज डेढ़ माह बाद ही आपदा के कारण व्यापारियों को सामान वहीं छोड़कर वापस लौटना पड़ा था। पूर्व में दोनों धामों में यात्रियों की आमद का जो आंकड़ा चार लाख से ऊपर पहुंचता था। वर्ष 2014 में घटकर 58 हजार ही रहा। इस कारण धाम में पचास फीसदी दुकानें ही खुल सकी। उनमें भी बरसात शुरू होने तक कई व्यापारी वापस लौट गए थे। हालांकि इस बार यात्रियों के बड़ी तादाद में पहुंचने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन अभी तक दोनों धामों के बाजार में चहल पहल शुरू नहीं हो सकी है। जबकि वर्ष 2013 तक कपाट खुलने से पंद्रह दिन पहले ही गंगोत्री धाम व्यापारियों, साधुओं और तीर्थ पुरोहितों से गुलजार हो जाता था। वहीं जानकीचट्टी बाजार के साथ ही यमुनोत्री धाम तक यात्रा के लिए माहौल तैयार हो जाता था। पांच किमी के पैदल मार्ग में भी इस बार दुकानें तैयार नहीं हो सकी हैं। अब हालात यह है कि बाजार में व्यापारियों ने तैयारी तो की है, लेकिन उम्मीद है कि कपाट खुलने के दिन से ही व्यापारी अपना कारोबार जमाना शुरू करेंगे।

चारधाम यात्रा को लेकर सरकार के हवाई दावेः भट्ट

देहरादून,19अप्रैल(निस)। नेता प्रतिपक्ष उत्तराखण्ड विधानसभा अजय भट्ट ने गंगोत्री धाम से लौटने के बाद कहा कि सरकार ने चारधाम यात्रा से संबंधित अधिकांश दावे हवाई किये हैं, दावों की अपेक्षा सरकार ने धरातल पर कोई भी कार्य नहीं किये। उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा सुचारू रूप से चलनी चाहिए इसमें जितनी नैतिक जिम्मेदारी सरकार की है उतनी ही विपक्ष की भी। श्री भट्ट ने कहा कि सरकार ने गंगोत्री धाम में कार्य करने के लिए रू0 6 करोड़ 26 लाख की भारी भरकम धनराशि मात्र 20 दिन पूर्व जारी की है, यदि यह कार्य तीन-चार माह पूर्व में दिये जाते तो वास्तविक स्थिति कुछ और होती पहले सरकार लगातार हवा में तीर मारकर आये दिन अपनों के ही झगड़ों को सुलझाने में व्यस्त रही और अब आनन-फानन में बंदरबाॅट कर लीपा-पोती करने का कार्य कर रही है। श्री भट्ट ने कहा कि गंगोत्री धाम में युद्ध स्तर पर कार्य किये जायं ताकि आने वाले यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो और न ही उन्हें किसी प्रकार का धोखा हो तथा इससे पूरे देश में ही नहीं बल्कि विश्व में प्रदेश की छवि धूमिल होती है।

10 करोड़ सदस्यता पार होने पर भाइपाइयों ने मनाया जश्न

देहरादून, 19 अप्रैल (निस)। भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता देश में 10 करोड़ पार होने की खुशी में कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी मुख्यालय में जश्न मनाया गया। कार्यकर्ताओं द्वारा ढोल-दमाऊ के साथ आतिशबाजी की गई और मिठाइयां बांटी गईं। कार्यकर्ताओं का कहना था कि 10 करोड़ की सदस्यता के साथ भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। इससे पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी 8 करोड़ 60 लाख की सदस्यता के साथ विश्व की सबसे बड़ी पार्टी थी। इस मौके पर भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी उमेश अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड में पार्टी का सदस्यता लक्ष्य 15 लाख पूर्ण होने की ओर है। देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सफलता के प्रति जनता में असीम उत्साह को देखते हुए सदस्यता अभूतपूर्व हुई है। इस मौके पर सौरभ थपलियाल, खजान दास, विश्वास डाबर, उर्बादत्त भट्ट, नीलम सहगल, सत्यपाल वासन, शारदा गुप्ता, महेश्वर बहुगुणा, गोपाल पुरी, रहीस खान, रमजान अली, सतीश कपूार, रतन चैहान, सचिन गुप्ता, सीमा डोरा, अजय सिंघल आदि मौजूद रहे।    

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