झारखण्ड : बालिकाएँ सबल व सशक्त बनकर चाहती हैं अपने पैरों पर खड़ा होना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

झारखण्ड : बालिकाएँ सबल व सशक्त बनकर चाहती हैं अपने पैरों पर खड़ा होना

महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में अब पुरुषों से कम नहीं रहना चाहतीं। वे चाहती हैं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना। वे चाहती है अपना अलग अस्तित्व। एक गृहणि मात्र की सीमाओं में बंध कर नहीं रहना चाहतीं आज की बालिकाएँ। समाज के हर क्षेत्र से वे चाहती हैं पूरी निष्ठा के साथ जुड़ना। समाज के अनुभवों को आत्मसात करना। पढ़ाई के साथ-साथ अपने आत्मरक्षार्थ आज की बालिकाएँ सीख रहीं हैं मार्शल आर्टस ताकि भय के वातावरण से बाहर निकल स्वच्छंद जीवन वे जी सकें। कस्तुरबा गाँधी आवासीय विद्यालय, जामा में तैयार हो रही हैं ऐसी बालिकाएँ जिन्होनें जीवन में अपने लक्ष्य खोज रखे हैं। आर्थिक रुप से कमजोर दलित, हरिजन व पिछड़ी जातियों की बच्चियों के लिये कस्तुरबा गाँधी आवासीय विद्यालय  एक वरदान से कम नहीं। इस विद्यालय में बच्चियाँ क्या कुछ सोंचती हैं इसकी पड़ताल कर वापस लौटे वरिष्ठ पत्रकार अमरेन्द्र सुमन की कलम से जानिये इनके मन की बात।  
             

women-empowerment
खुद के बलबूते उड़ान भरने की चाहत ने बालिकाओं को काफी सबल बना दिया है। पुरुषों के भरोसे जिन्दगी जीने की असमर्थता को वे पूरी तरह खारिज कर देना चाहती हैं। वे चाहती हैं अपने दो पैरों पर खड़ा होकर जिन्दगी की गाड़ी खींचना। बिना किसी बाहरी सहायता व विरोध के। कस्तुरबा गाँधी बालिका विद्यालय जामा (दुमका) की छात्राओं ने अपने आत्मरक्षार्थ मार्शल आटर्स सीख कर विद्यालय में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रखी हैं। बिना सहायता के आगे बढ़ने की प्रेरणा से बालिकाएँ पूरी तरह लवरेज हैं। वे चाहती हैं प्राप्त करना जीवन में स्वच्छंदा। खुद निर्णय लेने की स्वतंत्रता।  पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की समानता। जीवन पथ पर आगे बढ़ने की पराकाष्ठा। कस्तुरबा गाँधी आवासीय विद्यालय, जामा की 10 वीं कक्षा की छात्रा सुमिता सोरेन कहती हैं पढ़ाई के साथ-साथ विद्यालय की बच्चियों को जहाँ एक ओर पेटिंग्स, कढ़ाई-बुनाई सिखाई जाती है वहीं उन्हें अपने आत्मरक्षार्थ मार्शल आटर्स भी सिखलाए जाते हैं। नवम्बर 2014 से विद्यालय की छात्राओं को मार्शल आटर्स का प्रशिक्षण भी दिया गया ताकि वे अपनी रक्षा खुद कर सकें।  पूरे धैर्य के साथ छः महीनें तक मार्शल आर्टस का कोर्स कर बालिकाओ ने भी दिखला दिया है कि मन में कुछ करने की तमन्ना उनमें अभी भी बची है। इस विद्यालय की बालिकाएँ कहती हैं, तमाम कठिनाईयों के बाद भी लोग चाहें तो अपने लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। 10 वीें कक्षा की अन्य छात्राएँ-किरण कुमारी, रोजमेरी सोरेन, पालती हाँसदा व सुनीता टुडू को मार्शल आटर्स सीख लेने की आत्मीय खुशी है। इन बालिकाओं का कहना है इस विद्यालय में उन्होनें वह सबकुछ प्राप्त कर लिया जो परिवार के बीच रहकर भी असंभव सा प्रतीत होता है। इसी तरह वर्ग नौ की छात्रा गीता कुमारी व कक्षा आठ की छात्रा सरिता कोलिन व मीना कुमारी ने भी खुद को धन्य बतलाया जो कस्तुरबा गाँधी आवासीय विद्यालय में निःशुल्क शैक्षणिक योग्यता प्राप्त कर रही हैं। विद्यालय की वार्डन रुपा कुमारी सहित अन्य शिक्षिकाओं की भूमिका पर भी विद्यालय की बालिकाएँ गर्व करती हैंैै उपरोक्त का कहना है माता-पिता अथवा अन्य किसी अभिभावक की कोई कमी नहीं खलती। एक परिवार में माँ-बाप व बच्चे जिस तरह रहते है, यह विद्यालय उनके लिये एक परिवार है जहाँ विभिन्न स्थानों से बच्चियाँ तो पढ़ने के निमित्त पहुँचती हैं किन्तु सभी एक रंग, एक संस्कृति में ढल जाती हैं। वार्डन रुपा कुमारी व अन्य शिक्षिकाएँ सुनीता टेरेसा हाँसदा, एलिसा टुडू, ज्ञानवती कुमारी बच्चियों में कोई भेदभाव नहंी करतीं। सभी बच्चियाँ शिक्षिकाओं के लिये एक समान हैं। भले ही सरकार की धरातल पर चल रही सैकड़ों योजनाओं की प्रतिदिन समीक्षा होती हो। योजनाओं की आलोचनाएँ विभिन्न स्तरों पर होती हो किन्तु आर्थिक रुप से कमजोर दलित, हरिजन व पिछड़ी जातियों के लिये शिक्षा का यह मंदिर एक वरदान है। 



अमरेन्द्र सुमन
दुमका 

कोई टिप्पणी नहीं: