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शनिवार, 23 मई 2015

भारतीय इकॉनमी के लिए ग्लोबल इकॉनमी, कृषि क्षेत्र चुनौतीः अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि पिछले एक साल के दौरान मंहगाई को नियंत्रण में लाया गया लेकिन ग्लोबल इकॉनमी और कृषि क्षेत्र की स्थिति के साथ-साथ घरेलू निवेश भारतीय इकॉनमी के लिए चुनौती बने हुए हैं।


केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार का एक साल पूरा होने पर सरकार की उपलब्धियों को बताने के लिए दो दिन के भीतर दूसरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि लोगों में अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए जो आतुरता है उसे कांग्रेस पर विकास और वृद्धि को बाधित करने के अजेंडे से हटने के लिए दबाव बनाना चाहिए।

जेटली ने यहां बीजेपी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, 'पिछले एक साल के दौरान महंगाई काफी हद तक नियंत्रण में रही है, कुल मिलाकर महंगाई की स्थिति पिछले एक दशक के मुकाबले काफी बेहतर रही है।' उन्होंने कहा कि इंटरनैशनल बाजार में कच्चे तेल और उपभोक्ता वस्तुओं के दाम घटने से महंगाई को शांत करने में काफी मदद मिली है लेकिन इसके साथ ही सरकार ने फूड इन्फ्लेशन को नियंत्रण में लाने के लिए कदम उठाए हैं जिसकी वजह से थोक के साथ-साथ रिटेल इनफ्लेशन भी 11 फीसदी की ऊंचाई से घटकर नीचे आ गया है।

अर्थव्यवस्था के समक्ष खड़ी चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा वैश्विक आर्थिक स्थिति और घरेलू कृषि परिदृश्य चुनौती बने हुए हैं। उन्होंने कहा, 'घरेलू निवेश को बढ़ना चाहिए, यह चुनौती है फिर भी आर्थिक मोर्चे पर हम कुछ क्षेत्रों में सफल हुए हैं... ये तीन क्षेत्र हैं जहां चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक स्थिति सरकार के नियंत्रण से बाहर है। सरकार की पहलों के बारे में बताते हुए जेटली ने कहा वित्तीय समावेश और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं काफी सफल रहीं हैं। इस दौरान बैंकों में 15 करोड़ जनधन खाते खोले गए और 7.5 करोड़ लोगों ने जन सुरक्षा और जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा कवर अपनाया है। 

उन्होंने कहा कि सरकार निकट भविष्य में बीमा कवर को दोगुना कर 40 से 50 फीसदी तक पहुंचाना चाहती है। देश में 11 फीसदी जनसंख्या के पास पेंशन योजना है। सरकार की अटल पेंशन योजना के जरिए भारत को और व्यापक पेंशन सोसायटी बनाया जाएगा। जेटली ने कहा, 'यदि भारत 7.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करता है तो देश इससे संतुष्ट नहीं होगा। हमें और वृद्धि की चाह होगी और लोगों की अधिक वृद्धि की इसी चाह को पार्टियों के ऊपर एक तरह का दबाव बनना चाहिए, खास तौर से कांग्रेस पर यह दबाव बनना चाहिए, जोकि विकास और वृद्धि के खिलाफ अजेंडे पर चल रही है।' अप्रैल माह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित इन्फ्लेशन शून्य से 2.65 फीसदी नीचे रहा जबकि रिटेल इन्फ्लेशन चार साल के निम्न स्तर 4.87 प्रतिशत पर रहा।

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