ग्रीनपीस मामले पर केंद्र सरकार को उच्च न्यायालय का नोटिस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 18 मई 2015

ग्रीनपीस मामले पर केंद्र सरकार को उच्च न्यायालय का नोटिस


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पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस की भारतीय इकाई द्वारा दायर की गई याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार के खिलाफ नोटिस जारी किया। ग्रीनपीस इंडिया ने याचिका में बंद किए गए अपने अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय बैंक खातों को शुरू करने की मांग की है, जिन्हें पिछले महीने गृह मंत्रालय के निर्देश पर बंद कर दिया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा ग्रीनपीस के एफसीआरए लाइसेंस को 180 दिनों के लिए निलंबित करने और बैंक खातों को बंद करने के फैसले को चुनौती देने वाली ग्रीनपीस की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायाधीश राजीव शकधर ने गृह मंत्रालय से 26 मई तक जवाब देने के लिए कहा है। न्यायालय ने केंद्र सरकार के वकील से यह निर्देश लेकर न्यायालय को अवगत कराने के लिए भी कहा कि क्या ग्रीनपीस के घरेलू बैंक खातों का रोज-ब-रोज संचालन की अनुमति दी जा सकती है, जिसमें ग्रीनपीस के कर्मचारियों को उनके वेतन का भुगतान भी शामिल है।

ग्रीनपीस ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके लाइसेंस को निलंबित करने और बैंक खातों को बंद करने का फैसला 'पूरी तरह अवैध और असंवैधानिक' है। ग्रीनपीस के वकील ने अदालत को बताया कि गृह मंत्रालय की कार्यवाही उसकी 'बदनीयती' को दर्शाती है तथा कोयला खनन, वायु प्रदूषण और कृषि में कीटनाशकों के इस्तेमाल के खिलाफ चलाए जा रहे व्यापक अभियान के कारण ग्रीनपीस की आवाज को दबाने की कोशिश है। न्यायालय ने इसके अलावा ग्रीनपीस के खाताधरक तीन अग्रणी बैंकों, आईडीबीआई बैंक, यस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक, से भी ग्रीनपीस की याचिका पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहा है। ग्रीनपीस ने अदालत से कहा कि इन बैंकों के पास अदालती आदेश के बगैर उनके खातों को बंद करने का कोई अधिकार नहीं है और उनकी यह कार्यवाही विश्वास तोड़ने वाली है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई 26 मई तक के लिए स्थगित कर दी।

ग्रीनपीस के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने कहा, "हम मानते हैं कि हमारा पक्ष मजबूत है। हम न्यायालय से गृह मंत्रालय द्वारा जारी मनमाने और असंवैधानिक कार्रवाई को खारिज करने की मांग कर रहे हैं। हमारे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बैंक खातों को बंद करना एफसीआरए और गृह मंत्रालय के दायरे से बाहर है।"

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