राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उच्च सदन विधायी कार्य में बाधा नहीं डाल रहा है, बल्कि संविधान के दायरे में रहकर अपना कार्य कर रहा है। साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि कानूनों का लाभ जनता को मिलेगा या नहीं। यह बातें । निजी समाचार चैनल आजतक द्वारा आयोजित एक सम्मेलन 'मंथन' में बोलते हुए आजाद ने कहा, "हम राज्यसभा में वही कर रहे हैं जो उच्च सदन को करना चाहिए।" आजाद ने कहा, "सरकार विपक्ष की बात सुनना नहीं चाहती। लोकतंत्र में यह विपक्ष का अधिकार है। लोकसभा में ऐसा नहीं हो रहा है और अगर सरकार अपने अधिकारों का गलत उपयोग कर रही है तो हमें इस बात की जांच करनी होगी।" उन्होंने कहा, "राज्यसभा को कानून की कमियों को दूर करना होगा।"
आजाद ने कहा, "अगर केवल लोकसभा महत्वपूर्ण होती तो राज्यसभा का गठन ही नहीं किया गया होता।" गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यसभा का चयन चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है इसीलिए उसकी जिम्मेदारी दोगुनी हो जाती है। उन्होंने कहा, "राज्यसभा के सदस्यों का चयन विधायकों द्वारा किया जाता है। इसीलिए विधायकों और उन्हें चुनने वाली जनता के प्रति हमारी जिम्मेदारी दो गुनी हो जाती है।" लोकसभा में राहुल गांधी के नए अवतार पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "कांग्रेस का संदेश यह है कि अगर हम सरकार चला रहे हैं तो हम जिम्मेदार हैं और यही बात विपक्ष में रहने पर भी लागू होती है।"
नरेंद्र मोदी की सरकार की पिछली एक साल की उपलब्धियों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा, "अगर हम अच्छे दिनों की बात करें तो क्या यह 125 करोड़ लोगों के लिए हैं अथवा 'मैं और मुझे' के लिए?" उन्होंने सरकार पर सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बजट में कटौती का आरोप लगाया।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें