उत्तराखंड की विस्तृत खबर (06 जून) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 6 जून 2015

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (06 जून)

सूबे के बारे में नौ जून को फैसला, दिल्ली में होनी है कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक
  • सीएम हरीश रावत भी करेंगे शिरकत, बाद में अलग से होती सूबे पर बात

देहरादून, 6 जून। कांग्रेस की एक अहम बैठक नौ जून को नई दिल्ली में होगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में कांग्रेस आलाकमान उत्तराखंड के बारे में भी कई अहम फैसले ले सकता है। इस बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी जा रहे हैं। सूत्रों ने कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक आगामी नौ जून को दिल्ली में होने जा रही है। इसमें कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित पार्टी के सभी बड़े नेता मौजूद रहेंगे। इस बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और प्रदेश अध्यक्षों को खास तौर पर बुलाया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस की भविष्य की रणनीति पर गंभीर चर्चा होने वाली है और कांग्रेस के शासन वाले राज्यों में जहां जहां कोई परेशानी है उसको दूर करने के साथ ही सरकारों को चुस्त दुरुस्त करने पर भी निर्णय होने की खबर है। जहां बदलाव करना है उस पर भी इस बैठक में फैसला लिए जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष की हाईकमान के साथ एक अलग से भी बैठक होनी है। माना जा रहा है कि इस बैठक में सरकार में पीडीएफ की साझीदारी और कैबिनेट रि-शफलिंग पर भी अंतिम मुहर लग सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में हाईकमान आपदा राहत राशि घोटाले के साथ ही आपदा पर आई कैग की रिपोर्ट पर भी सरकार से बात कर सकता है। ऐसे में सरकार के स्तर से जवाब की पूरी तैयारियां की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि नौ जून को होने वाली इस बैठक में उत्तराखंड के बारे में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि नौ जून के बाद सूबे की कांग्रेस सरकार का नया चेहरा कैसा होगा।

पीडीएफ का हो रहा है विरोध
पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि पीडीएफ कोटे के मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। इनका कहना है कि ये मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का अपमान किया जा रहा है। इसके कार्यकर्ताओं में निराशा है और आने वाले समय में हो रहे चुनाव में कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। देखना होगा कि कांग्रेस आलाकमान विजय और किशोर की इस बात पर कितनी तव्वजो देता है।

अवैध खनन के साथ ही अब सरकारी जमीन हथियाने का भी खेल शुरू, रुद्रपुर में एसडीएम ने लुटा दी तीन सौ बीघा जमीन
  • नियमित एसडीएम के अवकाश पर जाते ही कर दिया काम, दो-दो अदालतों में चल रहा है जमीन पर कब्जे का मामला
  • जिलाधिकारी अब कर रहे हैं मामले की जांच कराने की बात, बाजार भाव से ढाई सौ करोड़ रुपये है इस जमीन की कीमत

देहरादून, 6 जून। रुद्रपुर (ऊधमसिंह नगर) में अवैध खनन को लेकर खासे चर्चा में रहने वाले इस जिले में सरकारी जमीनों को कब्जाने का खेल भी शुरू हो गया है। सत्ता से नजदीकियां रखने वालों की निगाहें इन जमीनों पर लगी हैं। एक मामले में तो तीन सौ बीघा जमीन चार लोगों को दे दी गई। खेल इतना पुख्ता तरीके से खेला गया कि किसी को भनक भी नहीं लग सकी। मामला मीडिया में आया तो जिलाधिकारी इस आदेश को स्थगित करने की  बात कर रहे हैं। कुछ रोज पहले ही इस बात का खुलासा कर दिया था कि रुद्रपुर की बेशकीमती सरकारी जमीनों पर सियासी रसूखदारों की नजरें जम कई है। हालात ये रहे कि तमाम लोग पैरोकारी के लिए कई रोज तक देहरादून में जमे रहे। आखिरकार उनकी कोशिशें रंग लाई और तीन सौ बीघा नजूल की जमीन चार लोगों के नाम दर्ज कर दी गई। इस जमीन की बाजारी कीमत ढाई सौ करोड़ रुपये के आसपास बताई जा रही है। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने 1966 में लगभग 1200 एकड़ जमीन रुद्रपुर नगर पालिका के नियंत्रण में देकर इसकी व्यवस्था संभालने को कहा था। इसी जमीन का तीन सौ बीघा जमीन का हिस्सा ग्राम भदईपुरा में आता है। बताया जा रहा है कि इस तीन सौ बीघा जमीन पर इकबाल सिंह ने कब्जा कर खेती शुरू कर दी। इस अवैध कब्जे को हटाने के लिए नगर पालिका ने 1978 में एक बेदखली वाद दाखिल किया गया। यह मामला अभी तक एसडीएम की अदालत में विचारधीन है। इस बीच कब्जाधारी ने जमींदारी भू विनाश अधिनियम के तहत एक वाद करके जमीन अपने नाम दर्ज करने की मांग की। 1984 में इस दावे को खारिज कर दिया गया। इस खिलाफ इलाहाबाद राजस्व परिषद में अपील की गई। इस पर राजस्व ने परिषद ने 1990 में कहा कि वादी को भूमि हस्तांतरण का अधिकार नहीं होगा। इसे असंक्रमणीय भूमि घोषित कर दिया। दोनों ओर से हाईकोर्ट में मुकदमे किए गए। न्यायालय ने 2006 में इकबाल सिंह नैनीताल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इकबाल सिंह के नाम संक्रमणीय भूमि दर्ज करने का आदेश दिया। इस पर नगर निगम ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की। इसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया और साथ ही दोनों पक्षों को मुख्य राजस्व आयुक्त में जाने का आदेश दिया। राजस्व परिषद और विहित प्राधिकारी न्यायालय में यह बाद अभी तक विचाराधीन है। बताया जा रहा है कि रुद्रपुर के एसडीएम विजय कुमार जोगदंडे अवकाश पर गए तो यह चार्ज भू अध्यापित अधिकारी अनिल शुक्ला को दिया गया। हालात ये रहे कि सालों से अदालत में चल रहे इस मामले की असलियत को शुक्ला ने दो रोज में ही समझ लिया और आनन-फानन में यह जमीन कब्जाधाकरों के नाम दर्ज करने का आदेश लिख मारा। यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो जिलाधिकारी पंकज पांडे कह रहे हैं कि इस मामले की जांच एडीएम के कराई जा रही है। साथ ही एसडीएम के आदेश को स्थगित कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। अहम बात यह है कि इस एसडीएम का चार्ज रुद्रुपुर से साठ किमी. दूर बैठे एक भूमि अध्याप्ति अधिकारी को दिया गया। 

नेहरू युवा केंद्र की जमीन पर गिद्ध दृष्टि
हरिद्वार। इस शहर में नेहरू युवा केंद्र के पास कई एकड़ जमीन प्राइम लोकेशन पर है। इसकी देखभाल एक जोशी दंपति करते हैं। इस केंद्र परिसर के एक हिस्से में होस्टल बना हुआ है। इसके कुछ कमरे विभिन्न प्रकार की युवा गतिविधियों के लिए रखे गए हैं और कई कमरे एक कांग्रेसी नेता को लीज पर दिए गए हैं। इन कमरों को किराए पर दिया जाता है। दूसरे हिस्से में कई बीघा जमीन खाली पड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि इस जमीन की कीमत पचासों करोड़ रुपये है। इस जमीन पर सत्ता में गहरी पकड़ रखने वाले कुछ नेताओं की नजरें जम गई हैं। इस पर कब्जे की कोशिशें शुरू हो गईं हैं। लेकिन मामला सीधे तौर पर पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता एनडी तिवारी से जुड़ा होने की वजह से इन नेताओं को अभी कोई आसान रास्ता नहीं सूझ रहा है।

यह मामला बेहद गंभीर है। इस बारे में डीएम को जांच का आदेश दिया गया है। इस बारे में मुझे कोई जानकारी न दिया जाना और भी गंभीर मामला है। नजूल भूमि फ्रीहोल्ड प्रकरण में अनियमितता बरतने या जिम्मेदार पाए जाने वाले किसी भी स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध जाएगी एक्शन लिया जाएगा। ----यशपाल आर्य, राजस्व मंत्री

आखिर कौन अफसर दिखाएगा अपने आका के खिलाफ कुछ लिखने की हिम्मत, आयोग की सूचना ने आगे नहीं बढ़ा कोई डीएम
  • भाजपा ने पहले ही उठाए थे सीएस से जांच पर सवाल, यूं तो कागजों में ही दफन हो जाएगा करोड़ों का घोटाला

देहरादून, 6 जून। आखिरकार भाजपा की आशंका सच ही साबित होती दिख रही है। मुख्य सचिव के आदेश पर कई जिलों के डीएम के आ रही रिपोर्ट सूचना आयुक्त के फैसले में बताए गए तथ्यों से एक कदम भी आगे बढ़ती नहीं दिख रही है। अब एक यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या कोई डीएम मौजूदा सरकार के खिलाफ कुछ लिखने की हिम्मत कैसे जुटा पाएगा। अब यह बात साफ हो गई है कि अगर इस आपदा राशि राशि में कथित घोटाले की सच्चाई सामने लानी है तो इसकी जांच सीबीआई जैसी किसी संस्था से ही करानी होगी। वरना 14 साल में हुए अन्य घोटालों की तरह ही यह भी फाइलों में ही कैद होकर रह जाएगा। सूचना आयुक्त अनिल शर्मा पर भले ही कांग्रेस तमाम आरोप लगा रही हो। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि शर्मा ने एक बड़े मामले को जनता की अदालत में पेश करने की हिम्मत जुटाई  और इसकी सीबीआई से जांच कराने की सलाह सरकार को दी। इसके बाद से ही यह मामला खासा सुर्खियों में है। सरकार के मुखिया हरीश रावत के इस मामले में दिए गए बयानों से साफ लगा कि वे अफसरों को बचाने की कोशिश में हैं। इस मामले में उनके सुर से सुर मिला दिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने। मामले में ज्यादा हो-हल्ला हुआ तो सीएम हरीश ने मुख्य सचिव एन. रविशंकर को इस मामले की जांच का आदेश देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। सीएम के मुख्य सचिव के आदेश पर भाजपा ने पहले दिन ही सवाल उठाए थे। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने साफ कहा कि अफसरों से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। लेकिन इस मामले को बेहद हल्के में ले रही सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब बात मुख्य सचिव की जांच की। मुख्य सचिव ने इस मामले में संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट उन्हीं बिंदुओं पर मांगी गई, जिनका सूचना आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है। नतीजा यह रहा कि सभी जिलाधिकारियों से आरोपों को सही ठहराया है। इस मामले में कोई डीएम किसी तरह की हेराफेरी करने की स्थिति में भी नहीं है,क्योंकि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत दस्तावेजी सबूत हासिल पहले ही हासिल कर लिए गए हैं। जाहिर है कि अगर कोई एक्शन होता भी है तो किसी छोटे कर्मी पर इसकी गाज गिराकर वाहवाही लूट ली जाएगी। इस पूरे मामले में एक अहम पहलू यह भी है कि सूचना आयुक्त ने कुछ उदाहरणों के साथ यह बताने की कोशिश की थी कि यह एक बड़ा घोटाला है। इसी वजह से उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सलाह सरकार को दी थी। अगर सूचना अधिकार अधिनियम के तहत पूरे मामले सामने आ गए होते तो किसी अन्य जांच की जरूरत थी भी क्या। जाहिर है कि इस जांच के नाम पर महज खानापूरी की गई है। किसी भी डीएम ने पहले से मौजूद तथ्यों से आगे जाकर जांच की कोई जहमत नहीं उठाई। वैसे भी एक अहम बात यह भी है कि किसी भी मौजूदा सरकार के खिलाफ तथ्य मिलने के बाद भी उन्हें जांच के दायरे में लाने का माद्दा विरले अफसरों में ही होता है। ब्यूरक्रेसी में चर्चा है कि हरियाणा में एक ईमानदार अफसर खेमका का मामला सबके सामने है। उनके साथ कांग्रेस सरकार के समय में ही जुल्म ढाया गया। ऐसे में कोई आईएएस अफसर अपनी मर्जी से जांच का दायरा बढ़ाकर खुद को मुश्किलों में क्यों फंसाना चाहेगा। जिलों से आई डीएम की रिपोर्ट का यूं तो अभी तक खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि किसी भी जिले की रिपोर्ट में कोई गंभीर अनियमितता नहीं पाई गई है। रहा सवाल आपदा राहत के समय चिकन औप मटन खाने का तो इस मामले में हरदा पहले ही अफसरों को न केवल क्लीन चिट दे चुके हैं, बल्कि इसकी ठीकरा राहत कार्य में जान की बाजी लगाने वाले सैन्य और अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों पर फोड़ चुके हैं। ऐसे में राहत राशि का यह कथित घोटला किस मोड़ पर जाने वाला है, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। अगर इस बात तो साफ-साफ लफ्जों में कहें तो राज्य में अब तक हुए तमाम घोटालों की तरह ही यह मामला भी फाइलों में कैद होकर रह जाएगा।

अब अदालत ही एक मात्र विकल्प
भाजपा के कई नेताओं की ओर से इस मामले की जांच के लिए भले ही मांग उठाई जा रही है। लेकिन अब एक बात साफ हो रही है कि इसमे सियासी खेल ज्यादा है। सरकार के अब तक के रूख से विपक्ष को यह समझ लेना चाहिए था कि बहुमत वाली यह सरकार उनकी सुनने वाली नहीं है। भाजपा नेता रोजाना नए-नए मुद्दे उठाकर बयानबाजी जरूर कर रहे हैं। लेकिन उनकी मंशा केवल विरोध दर्शाने भर की है। अगर भाजपा इस मामले में यकीनी तौर पर इतनी ही गंभीर है तो क्यों नहीं सबूतों के साथ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाती। भाजपा एक नेता के आफिस आफ प्राफिट मामले को तो अदालत में ले जा सकती है। लेकिन करोड़ों रुपये के इस कथित घोटाले पर उसने खुद को केवल बयानबाजी तक ही सीमित कर रखा है।

राजीव भवन से सीएम आवासः एक-दूसरे पर थम नहीं रहा लेटर बमबाजी का सिलसिला, दिलों में कुछ है या महज मुद्दों से भटाकाने की कोशिश
  • हरीश और किशोर एक-दूसरे को लगातार लिख रहे खत, कोई मुद्दा सामने आते ही शुरू हो जाती है यह बमबारी

देहरादून, 6 जून। पिछले कुछ समय पर नजर डालें तो साफ दिखेगा कि कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच खतों के जरिए बात हो रही है। अहम बात यह है कांग्रेस दफ्तर राजीव भवन और मुख्यमंत्री आवास बीजापुर गेस्ट हाउस के बीच तीन किमी से भी कम का फासला है। इसके बाद भी दोनों आपस में बात करने की बजाय खतो-किताबत के जरिए बात करते हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि दोनों को बीच दिलों में कोई खटास है या फिर कोई अहम मुद्दा आने पर सूबे के अवाम को भटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत की दून के लेकर दिल्ली दरबार तक अपनी पकड़ है। इतना ही नहीं हरदा अपनी सियासी काबलियत की दम पर संगठन पर भी अपनी कब्जा जमा चुके हैं। यूं तो संगठन के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय हैं। लेकिन होता वही है जो हरदा चाहते हैं। इसकी बानगी के तौर पर कुछ बातों का उल्लेख किया जा सकता है। कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी के मुखिया तो किशोर हैं। लेकिन बाकी सारी टीम हरीश की मर्जी से शामिल की गई है। बात किशोर की करें तो वो भी हरीश से अलग नहीं दिखते हैं। सीएम ने भरी महफिल में सदस्यता अभियान को लेकर ललकार लगाई को किशोर तत्काल हरकत में आ गए। इसके बाद भी कई बार दोनों के बयानों से यह अहसास होता है कि सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के बीच ताल्लुकात सामान्य नहीं हैं। इसका नजारा दोनों की ओर से एक दूसरे को लिखे जा रहे खतों से हो रहा है। किशोर से कांग्रेस विधायकों और नेताओं को चारधाम यात्रा पर जाने का फरमान सुनाया। इसी बीच हरीश की ओर से एक खत मीडिया को जारी कर दिया गया। इसमें कहा गया था कि संगठन को ऐसा नहीं करना चाहिए। इसके तुरंत बाद किशोर बैकफुट पर आ गए और अपना फरमान वापस ले लिया। यह अलग बात है कि चंद रोज बाद ही हरदा ने न केवल कांग्रेस बल्कि विपक्षी विधायकों तक को चारधाम यात्रा का आमंत्रण दे डाला। उस वक्त लगा कि दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अब मामला आपदा राहत राशि में कथित घोटाले का सामने आया तो किशोर मुस्तैदी के साथ हरदा के साथ खड़े नजर आए। इतना ही नहीं, कई मौके पर पर तो वो सीएम से भी आगे बढ़कर बयानवीर साबित हुए। इसके बाद भी मामला संभलता नहीं दिखा तो किशोर ने एक बार फिर से लेटरबम का इस्तेमाल कर डाला। राजीव भवन से बीजापुर गेस्ट हाउस एक खत भेजा गया। इसमें कहा गया कि आपदा राहत राशि में कहां-कहां से कितना पैसा आया, इसका खुलासा सरकार को करना चाहिए। इस खत से एक बार फिर यहीं लगा कि अब दोनों के बीच तन गई है। लेकिन खत का मजमून किशोर के इरादों को जाहिर करने के लिए काफी है। इस खत में इस बात का जिक्र किया गया है कि पैसा कहां से आया यह बताया जाए। लेकिन किशोर यह पूछना भूल गए कि वो पैसा खर्च कहां किया गया। जाहिर है कि दोनों के बीच यह खतो-किताबत कुछ खास मौकों पर ही होती है। सरकार कहीं घिरने लगती है तो या तो किशोर का खत मीडिया में आ जाता है या फिर मुख्यमंत्री का। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि तीन किमी के बीच पहले तो खत लिखने और फिर इसे मीडिया में जारी करने के पीछ दोनों का मकसद क्या है। सूचना तकनीक के इस जमाने में सीएम प्रदेशभर के डीएम से तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सीधे रूबरू हो रहे हैं और राजीव भवन में बैठे अध्यक्ष को उन्हें खत लिखने की जरूरत पेश आ रही है। इसी तरह किशोर न्यूज चैनलों में तो फोन से ही आन लाइन हो रहे हैं। लेकिन अपनी पार्टी की सरकार के मुखिया से बात करने के लिए उन्हें चिट्ठी लिखनी पड़ रही है। सब कुछ साफ होने के बाद भी आखिर सूबे के अवाम को कब तक गुमराह किया जाता रहेगा।

दून क्लब पर कसा शिकंजा, महिला से रेप की कोशिश के मामले को था छुपाया
  • पुलिस ने अब शुरू की इस गंभीर प्रकरण की जांच, दून क्लब में महिलाओं की सुरक्षा पर उठे सवालात

देहरादून,6 जून (निस)। शहर के सबसे प्रतिष्ठित दून क्लब में एक महिला से दुराचार की कोशिश के मामले को दबाने की प्रबंधन की कवायद आखिरकार फेल हो गई। इस मामले का खुलासा किया तो एसएसपी ने इसकी जांच का आदेश दिया है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या दून क्लब में महिलाओं की आरजू सुरक्षित नहीं है। दून क्लब के कमरे में ठहरी दिल्ली निवासिनी एक महिला के साथ क्लब के ही एक वेटर ने रात में दुराचार का प्रयास किया। किसी तरह से बची महिला सुबह होते ही वापस दिल्ली चली गई। महिला ने दिल्ली जाकर ई-मेल के जरिए इस वारदात की सूचना क्लब प्रबंधन को दी। प्रबंधन ने पता नहीं किस दबाव में आरोपी वेटर को निलंबित कर दिया और मामले की जांच के लिए एक आंतरिक कमेटी का गठन कर दिया। पिछले दिनों यह मामला संज्ञान में आया तो समाचार पत्र से इस वारदात का प्रमुखता से खुलासा किया। इसके बाद पुलिस अफसरों के कान खड़े हुए। एसएसपी का कार्यभार देख रहे डीआईजी पुष्पक ज्योति ने सीओ डालनवाला को इस मामले की जांच का आदेश दिया है। सीओ से इस मामले में क्लब से पूछताछ शुरू कर दी है। 

प्रबंधन ने क्यों छुपाई आपराधिक वारदात
इस मामले में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि प्रबंधन ने इस आपराधिका मामले की सूचना पुलिस को क्यों नहीं दी। क्या क्लब के किसी आपराधिक मामले की जांच का अधिकार है। जाहिर है कि क्लब प्रबंधन से क्लब परिसर में ही लगभग डेढ़ महीने पहले की इस वारदात को छिपाने के लिए ही ऐसा किया।

पीछे बैठी सवारी को भी पहनना पड़ सकता है हैल्मेट, एक बार विफल हो चुका है पुलिस का प्रयास

देहरादून,6 जून (निस)। उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के उद्देश्य से पुलिस मुख्यालय स्तर पर सड़क सुरक्षा सेल का गठन किया गया, इस सेल के अध्यक्ष पुलिस अध्ीक्षक मानवाधिकार नोडल अधिकारी, सिटी पेट्रोल यूनिट, उत्तराखण्ड पुलिस मुख्यालय उत्तराखण्ड है तथा अपर पुलिस अधीक्षक, यातायात, जनपद देहरादून, पुलिस उपाधीक्षक, कार्मिक, पुलिस मुख्यालय उत्तराखण्ड सदस्य है। सडक दुर्घटनाओं मे कमी लाने हेतु पुलिस विभाग के द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 3 शहरों हरिद्वार, देंहरादून, हल्द्वानी मे सिटी पेट्रोल यूनिट का पहले ही गठन किया जा चुका है। इस सम्बन्ध में परिवहन आयुक्त, उत्तराखण्ड ने राज्य में विभिन्न विभागों द्वारा अब तक की गई कार्यवाही उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित सडक सुरक्षा समिति नई दिल्ली को भेजा है जिसके बाद उत्तराखंड के तीन जनपदों मंे चल रही सिटी पेट्रोल यूनिट को एक अभिनव प्रयोग मानते हुए इसकी सराहना की है। इसको आधर बनाते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में सिटी पेटोल यूनिट का गठन करने का सुझाव दिया गया है। इस क्रम में सिटी पेट्रोल यूनिट का चार जनपदांे में स्थायी रुप से गठन करने, राज्य के अन्य सभी जनपदो में हाईवे पेट्रोंलिंग यूनिट का गठन करने के साथ यातायात पुलिस कर्मियांे से संख्या बढ़ाने एवं आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराने के लिये प्रस्ताव तैयार कर उत्तराखण्ड शासन को भेजा जा रहा है। दुपहिया वाहनों पर पीछे बैठने वाली सवारियों की सुरक्षा के उद्देश्य से उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि दुपहिया वाहनों में पीछे बैठने वाले सवारी का भी हैलमेट पहनना सुनिश्चित किया जाए। शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर वैधानिक कार्रवाई करने के लिए एल्कोहमीटर व स्पीड गन आदि भी उपलब्ध कराई जाएं। इन उपकरणों के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि वह केंद्र को इस संबंध में प्रस्ताव भेजें। 

आज भी  बिखरी हैं केदारनाथ में लाशें: निशंक

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देहरादून, 6 जून (निस)। पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड, हरिद्वार क्षेत्र से सांसद डाॅ0 रमेशपोखरियाल ‘निशंक‘ शनिवार को केदारनाथ पहुंचे। वहां के वर्तमान हालातों का जायजा लेने के उपरान्त डाॅ0 निशंक ने कहा कि अभी भी भवनों के अन्दर दो साल से पड़ी लाशों को हटाया नहीं जा सका है, जिनमें से अधिकतर तीर्थ पुरोहितों के परिजन है। डाॅ0 निशंक ने तुरन्त मुख्य सचिव से वार्ता कर इस संबध में त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश दिये। मौके पर तीर्थ पुरोहितों एवं स्थानीय लोगों ने डाॅ0 निशंक से मिलकर समय पर लोगों को मुआवजा नही मिलने की शिकायत की। स्थानीय तीर्थ पुरोहितों ने डाॅ0 निशंक को बताया कि श्री बांकेलाल बग्वाड़ी का पूरा परिवार मकान के अन्दर मलबे में दफन है एवं लाशें साफ दिखायी दे रही है लेकिन सरकार द्वारा उन लाशों को बाहर निकालने की जहमत नहीं उठायी जा रही है। डाॅ0 निशंक ने कहा कि केदारनाथ के स्थानीय लोगों एवं पुरोहित समाज के साथ सरकार द्वारा अन्याय किया गया है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। डाॅ0 निशंक ने मुख्यमंत्री जी से वार्ता करने की कोशिश की लेकिन वार्ता हो नहीं पायी। अन्त में डाॅ0 निशंक ने मुख्य सचिव से वार्ता कर मुआवजा, भवनों के निर्माण तथा लाशों को तत्काल बाहर निकालने के लिए तत्काल कार्यवाही करने के लिए कहा। डाॅ0 निशंक ने कहा कि एक ओर सरकार चारधाम यात्रा के सफल संचालन का दावा कर रही है, लेकिन मौके पर इसके विपरित स्थिति हैै। डाॅ0 निशंक ने कहा कि केदारनाथ त्रासदी में अपनों को खो चुके लोगों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा।  

प्रथम बार, राज्य के प्रतिभाशाली विद्यार्थी ‘ गवर्नर्स एवार्ड’ से सम्मानित

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देहरादून,6 जून (निस)। उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद् द्वारा घोषित परिषदीय परीक्षा 2015 में कक्षा 10 वीं तथा 12 वीं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले 25 विद्यार्थियों को राज्य गठन के बाद आज प्रथम बार राज्यपाल डा0 कृष्ण कांत पाल द्वारा ‘गवर्नर्स एवार्ड’ से सम्मानित किया गया। बच्चों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक सोच को विकसित करने की दृष्टि से राज्यपाल की विशेष पहल पर प्रथम बार शुरू की गई इस अभिनव योजना का आज राज्यपाल ने स्वयं शुभारंभ किया। राजभवन के प्रेक्षागृह में आयोजित इस ऐतिहासिक सम्मान समारोह में बच्चों के लिए अपने प्रेरणात्मक सम्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि- ‘‘निरन्तर प्रगति के लिए आवश्यक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को जागृत करने की दृष्टि से मैंने इस योजना के बारे में सोचा जिसे आज इस उम्मीद के साथ प्रारम्भ किया कि यह प्रेरणात्मक वार्षिक आयोजन उत्तराखण्ड की युवा प्रतिभाओं को नई ऊर्जा व दिशा देने और अन्य विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहित करने में मददगार साबित होगा।’ राज्यपाल ने आज सम्मानित विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों तथा शिक्षकों को बधाई दी और कहा - ‘‘अच्छी शिक्षा वही है जिसमें संस्कार भी शामिल हांे। संस्कारित युवा ही समाज में सकारात्मक बदलाव लाकर राज्य और देश के निर्माण में सहायक हो सकते हैं।’’राज्यपाल ने बच्चों के चरित्र निर्माण पर विशेष बल देते हुए स्वामी विवेकानन्द द्वारा शिकागो में दिए गए ऐतिहासिक सम्बोधन के उस अंश का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था ‘‘ भारत में व्यक्ति का चरित्र ही, उसको विशिष्टता प्रदान करता है, उसका परिधान नहीं।’’ 

(भावार्थ)
राज्यपाल ने बच्चों के चरित्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका को सर्वाधित महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि विषयों का ज्ञान कराना पर्याप्त नहीं है अपितु बच्चों का सही दिशा के लिए मार्गदर्शन करना शिक्षक का प्राथमिक दायित्व है। चारित्रिक विकास से मानसिक शक्ति तथा सकारात्मक सोच की ऊर्जा मिलती है जिससे व्यक्ति को स्वावलम्बी बनने में मदद मिलती है, इन्हीं गुणों से एक स्वस्थ, समृद्ध व उन्नतिशील परिवार, समाज व देश का निर्माण  होता है। स्वामी विवेकानन्द जैसे युगपुरूष का उदाहरण देकर बच्चों को प्रेरित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अपने भीतर की योग्यता व क्षमताओं को पहचान कर सही दिशा में बढ़ने का प्रयास जारी रखो। बच्चों की सफलता का श्रेय उनके कठिन परिश्रम, समर्पण व लगन को देने के साथ ही राज्यपाल ने अभिभावकों व शिक्षकों को भी सराहा और कहा कि बच्चो को उनकी अभिरूचि के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करने के लिए घर और स्कूल में अपेक्षित वातावरण तैयार किया जाना जरूरी है। कादमिक क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान प्राप्त न कर पाने वाले विद्यार्थियों के लिए भी राज्यपाल ने प्रोत्साहन भरे संदेश में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर ने कुछ न कुछ विशिष्टता दी है जो पढ़ाई में अव्वल नहीं है वह बेहतर खिलाड़ी, बेहतर कलाकार, अन्य किसी क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर सकते हैं, बस जरूरत है अपनी क्षमताआंें को पहचानने की। सम्मान समारोह में शिक्षा मंत्री श्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने राज्यपाल की इस पहल को उत्तराखण्ड के शिक्षा जगत में ‘स्वर्णिम अध्याय’ की शुरूआत बताकर उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में और सुधार की आवश्यकता भी व्यक्त की। अपर मुख्य सचिव एस.राजू जिनके पास राज्य की शिक्षा का दायित्व है ने भी राज्यपाल की अभिनव पहल को विद्यार्थियों के लिए बहुत प्रेरणादायक बताया है और राज्य में सरकारी शिक्षा प्रणाली में और सुधार की जरूरत पर बल दिया। शिक्षा निदेशक राकेश कुंवर ने स्वागत सम्बोधन में राज्यपाल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि भविष्य में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा और अच्छा परिवेश देने का प्रयास किया जायेगा, जिससे आगामी परीक्षा परिणामों के आधार पर प्रतिभाशाली बच्चों की संख्या बढे़गी। अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा श्री एन.एन.बहुगुणा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इण्टरमीडिएट के विभिन्न वर्गों में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को राज्यपाल द्वारा क्रमशः 05 हजार, 03 हजार तथा 02 हजार, रूपये की धनराशि के बैंक ड्राफ्ट तथा ‘गवर्नर्स एवार्ड’ - प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। इसी प्रकार हाईस्कूल के मेधावी छात्र- छात्राओं को भी सम्मानित किया गया।  सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने वाले 06 स्कूलों की लाइब्रेरी के लिए भी मैरिट के आधार पर क्रमशः 50 हजार, 30 हजार तथा 20 हजार की धनराशि के ड्राफ्ट संबंधित स्कूलों के प्राचार्यों को प्रदान किये गए। वैदिक मंत्रोचारण के बीच दीप प्रज्जवलित कर राज्यपाल द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। समारोह में राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी/सचिव श्री अरूण ढ़ौंडि़याल, सचिव शिक्षा डा0 एम.सी.जोशी सहित सम्मानित विद्यार्थियों के अभिभावक सम्बन्धित स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षक तथा शिक्षा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी व गणमान्य महानुभाव भी मौजूद थे।  स्मृति चिन्ह के रूप में छात्राओं द्वारा राज्यपाल सहित सभी अतिथियों को पौधे भेंट किए गए। 

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