तिब्बत के धर्म गुरु और 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजी को मुद्रा संग्रहण मामले में उच्च न्यायालय से झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को मुलतवी करते हुए बुधवार को राज्य सरकार से करमापा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया। गौरतलब है कि निचली अदालत ने उनके खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया था।
न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने 48 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा, "21 मई 2012 को ऊना के दंडाधिकारी द्वारा दिए गए फैसले को रद्द किया जाता है और मुलतवी किया जाता है।" गंगटोक स्थित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) डेंजोंग नंग-तेन सुंग-क्यूब त्सोग्पा की याचिका का निपटारा करते हुए उन्होंने कहा, "परिणामस्वरूप, निचली अदालत के समक्ष करमापा के खिलाफ अभियोजन पक्ष से नाम वापस लेने की सरकारी वकील द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज किया जाता है।"
न्यायाधीश ने सरकार और पुलिस महानिदेशक से करमापा के खिलाफ कानून के अनुसार आगे की कार्यवाही करने का आदेश दिया है। करमापा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत आपराधिक षडयंत्र रचने का मामला दर्ज किया गया था। धर्मशाला की बाहरी सीमा पर स्थित मठ से 28 जनवरी, 2011 को 26 देशों की मुद्राएं मिली थीं। इसमें 120,197 चीनी युआन मिले थे। ज्ञात हो कि यहां पर तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय है। इस मामले के 10 आरोपियों में करमापा का भी नाम शामिल है।

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