माननीय सर्वोच्च न्यायालय का बलात्कार के संबंध में एक बहुत ही सराहनीय निर्णय यह आया है की बलात्कार या यौनशोषण\यौनप्रतारणा जैसे गंभीर अपराधिक मामले में समझौता करके मामले को ख़त्म नहीं किया जा सकता । वैसे यह निर्णय जिस मामले में आया है , उस मामले में पीड़िता भी समझौता नहीं चाहती थी , लेकिन पीड़िता के इच्छा के खिलाफ बलात्कारी को उच्च न्यायालय द्वारा पीड़िता से समझौता करने के लिए बलात्कार के आरोपी को जमानत दिया जाना भी आश्चर्यजनक ही था । इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने बलात्कार तथा यौनशोषण को महिला के लिए उसके शरीर रूपी मंदिर को अपमान करने वाला, समाज में कलंकित करवाने वाला तथा हर तरह से महिला का जीवन को बर्बाद कर देने वाला मानते हुए इस तरह के मामलों में अपराधी के साथ किसी तरह का हमदर्दी को अन्याय माना है ,जो सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश अतिसुखद है ।
अब उम्मीद यह भी करनी चाहिए की सर्वोच्च न्यायालय के ही दो न्यायाधीशों के ऊपर अभी जो दो साल पहले दो युवती वकीलाईन ने यौनशोषण का आरोप लगाई थी , उसके मीडिया रिपोर्ट के ऊपर सर्वोच्चन्यायालय ने मात्र इसलिए बैन लगवा दी थी ,की मीडिया में रिपोर्ट होते रहने से यौनशोषक न्यायाधीशों के खिलाफ कार्यवाही करना आवश्यक हो जाता । साथ ही यदि आरोप फर्जी था तो सर्वोच्चन्यायालय ने यह भी खुलासा नहीं किया की दोषी युवती दोनों वकीलाईन के खिलाफ क्या एक्सन लिए गए ? क्योंकि शायद आईपीसी तथा सीआरपीसी इन दोनों में न तो सर्वोच्चन्यायालय के न्यायाधीशों के पास बलात्कार\यौनप्रतारना\यौनशोषण का विशेषाधिकार होगा , और नहीं ही किसी वकीलाईन युवती के पास ही सीआरपीसी या आईपीसी ने किसी न्यायाधीश के ऊपर बलात्कार इत्यादि का फर्जी आरोप लगवाने का विशेषाधिकार दिया होगा ।
अब जब माननीय सर्वोच्चन्यायालय ने ही खुद बलात्कार इत्यादि को इतना बड़ा गंभीर अपराध माना है , तो सर्वोच्चन्यायालय से यह भी उम्मीद की जानी चाहिए की आगे से यदि कोई सर्वोच्चन्यायालय के ही जज यदि यौनशोषण इत्यादि के आरोपी हों , तो उसके लिए मीडिया रिपोर्ट पर बैन नहीं लगाई जायेगी ताकि दोषी न्यायाधीश या दोषी युवती वकीलाईन या अन्य युवती के ऊपर कानूनी कार्यवाही की जा सके , ताकि बलात्कार इत्यादि की पीड़ित महिला के साथ इन्साफ हो सके ,जिससे समाज में कोई गलत मेसेज न जाकर एक सही मेसेज जाए ।
आमोद शास्त्री ,
दिल्ली
संपर्क : 9818974495,
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