सऊदी अरब ने रविवार को महिलाओं को लोकल इलेक्शंस में खड़े होने की मंजूरी दी। बेहद रूढ़िवादी माने जाने वाले सऊदी अरब में ऐसा पहली बार हुआ है। अभी हाल ही में महिलाओं को दिसंबर में होने वाले लोकल चुनावों में वोट डालने का अधिकार मिला है। बता दें कि यहां महिलाओं को गाड़ी ड्राइव करने, खुद को सिर से पांव तक ढककर रखने समेत कई तरह की बंदिशें हैं। इसके अलावा उन्हें यात्रा, नौकरी या पासपोर्ट के लिए अप्लाई करने और शादी के लिए घर के पुरुष गार्जियन की रजामंदी लेनी होती है।
सऊदी अखबार अल हयात के मुताबिक, करीब 200 महिलाओं ने इस साल 12 दिसंबर को होने वाले चुनाव में खड़े होने की इच्छा जताई है। कैंडिडेट्स का रजिस्ट्रेशन इस साल 17 सितंबर तक होगा। वोटर्स रजिस्ट्रेशन 14 सितंबर तक होंगे। 284 म्यूनिसिपैलिटीज में 1263 पोलिंग स्टेशंस हैं, जिसमें से 424 महिला वोटरों के लिए रिजर्व्ड है। बता दें कि दिवंगत किंग अब्दुल्ला ने 2011 में महिलाओं को इस साल के लोकल चुनावों में वोट डालने और चुनाव लड़ने की रजामंदी दी थी।
सऊदी की ब्लॉगर ईमान अल नफजन ने रियाद में बतौर वोटर रजिस्टर किया है। न्यूज एजेंसी एएफपी से बातचीत में उन्होंने कहा कि इलेक्शन में हिस्सा लेने की मंजूरी एक पॉजिटिव कदम है, लेकिन महिलाओं को दूसरी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, 35 साल की अमल मोहम्मद ने कहा कि वह चुनाव में अपनी साझेदारी को लेकर बेहद उत्सुक हैं। कुछ कट्टरपंथी संगठन महिलाओं को वोटिंग अधिकार देने के फैसले की आलोचना भी कर रहे हैं।
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