सरकार करे ब्याज दर में कटौती: उद्योग जगत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 8 सितंबर 2015

सरकार करे ब्याज दर में कटौती: उद्योग जगत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग जगत से जोखिम लेने की अपनी ललक बढ़ाने तथा निवेश तेज करने का आज आहवान किया। मोदी की ओर से बुलाई गई एक बैठक में उद्योग जगत ने ब्याज दर में कटौती तथा कारोबार करने को आसान बनाने के लिये और नीतिगत कदम उठाये जाने की जरूरत पर जोर दिया।

मौजूदा वैश्विक आर्थिक वातावरण पर प्रधानमंत्री की कंपनियों और बैंकों के प्रमुखों, अर्थशास्त्रियों तथा अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद उद्योग मंडल सीआईआई के अध्यक्ष सुमित मजुमदार ने संवाददाताओं से कहा, प्रधानमंत्री ने कहा है कि उद्योग को जोखिम लेना चाहिए और निवेश बढ़ाना चाहिए, हमें निश्चित रुप से आगे बढ़ना चाहिए और निवेश करना चाहिए। उद्योगों की अपनी एक भूमिका है।

बैठक में उद्योग क्षेत्र के दिग्गजों ने ब्याज दर में कटौती की वकालत करते हुए कहा कि इससे उन्हें जोखिम लेने तथा निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी। फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्सना सुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह हमारे लिये लाभ उठाने और निवेश करने का एक मौका है, पूंजी की लागत काफी ऊंची है, लेकिन मुझे नहीं पता कि कितने लोग जोखिम उठाने और निवेश के लिये आगे आ सकते हैं, हम में से कई ने ब्याज दर का मुद्दा उठाया।

एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर के अनुसार प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत से कहा कि वह जोखिम लेने की अपनी क्षमता को उत्प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि को पूरा करने के लिये बैंकों की पूंजी जरूरत तथा बैंकों के फंसे कर्ज के वर्गीकरण की आवश्यकता का मामला भी चर्चा के लिये आया।

मजूमदार ने कहा कि जहां तक प्रस्तावित नई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को लागू करने का संबंध है, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जतायी कि इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भूमि विधेयक के बारे में चर्चा नहीं हुई। हाल का वैश्विक घटनाक्रम: भारत के लिए अवसर विषय पर मोदी के साथ बैठक में जो उद्योगपति शामिल हुए, वे रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी, टाटा समूह के प्रमुख सायरस पी मिस्त्री, आदित्य बिड़ला समूह के प्रमुख कुमार मंगलम बिड़ला, भारती एयरटेल के सुनील भारती मित्तल और आईटीसी के प्रमुख वाय सी देवेश्वर हैं।

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के साथ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, बिजली मंत्री पीयूष गोयल तथा पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी इसमें मौजूद थे। सेबी के पूर्व चेयरमैन जीएन बाजपेयी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उद्योग से उनके समक्ष उपलब्ध अवसर को भुनाने तथा बुनियादी ढांचा प्रणाली का लाभ उठाने को कहा। वहीं दूसरी तरफ उद्योग जगत ने अर्थव्यवस्था में सुधार तथा कारोबार करने को आसान बनाने के लिये कई सुझाव दिये।

सीआईआई के मजूमदार के अनुसार बैठक में जिन मुख्य मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमें यह मुद्दा भी था कि चीन में नरमी, मौजूदा वैश्विक स्थिति को अवसर में कैसे बदला जाए। इसके साथ ही देश में कारोबार करने की सुगमता बढ़ाने तथा कृषि को मजबूती प्रदान करने के मुद्दे पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि चीन पर चर्चा हुई। कैसे इससे निपटा जाना चाहिए और क्या यह हमारे लिये एक अवसर है। लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी की तकलीफ हमारे लिये लाभ नहीं होना चाहिए। इसीलिए हमें इसे एक अवसर के रूप में लेना चाहिए और हमें इस पर आगे बढ़ना चाहिए।

सीआईआई के अध्यक्ष ने कहा, यह माना गया कि कारोबार करने को आसान बनाने के मामले में हम 100 प्रतिशत पर नहीं पहुंचे हैं, लेकिन हमने इस मामले में कुछ प्रगति की है। फिक्की की ज्योत्सना सुरी ने कहा कि बातचीत घरेलू निवेश, बुनियादी ढांचा, कौशल विकास को कैसे बढ़ाया जाए, स्टार्ट -अप कंपनियों को बढ़ावा तथा निवेश को गति देने के लिये पूंजी की लागत में कमी पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा, हमने यह अनुरोध किया कि पूंजी की लागत कम की जानी चाहिए, बुनियादी ढांचा विकास में तेजी लायी जानी चाहिए और नये उद्यमियों को कर प्रोत्साहन मिलना चाहिए। हालांकि ज्योत्सना और मजुमदार दोनों ने कहा कि भूमि अध्यादेश पर चर्चा नहीं हुई।

बैठक में सरकारी कंपनी गेल इंडिया के अध्यक्ष बी सी त्रिपाठी और भेल प्रमुख बी प्रसाद राव, आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर और एसबीआई की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य भी इस बैठक में थीं। बैठक में शामिल हुए अर्थशास्त्रियों-विशेषज्ञों में आदित्य बिड़ला समूह के मुख्य अर्थशास्त्री अजित रानाडे, जेपी मार्गन के मुख्य अर्थशास्त्री जहांगीर अजीज और ब्रूकिंग्स इंस्टीच्यूट के सुबीर गोकर्ण भी थे।

इस बैठक में सरकार की ओर से शामिल अधिकारियों में वित्त सचिव रतन पी वटल, वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम और नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिम्या भी शामिल हुए। यह बैठक ऐसे समय हुई है जबकि चीन की अर्थव्यवस्था में नरमी, युआन के हाल के अवमूल्यन और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना से जुड़ी चिंता से वैश्विक बाजार में उठा-पटक का माहौल है।

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