सरकार ने गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड मौद्रीकरण योजनाओं को मंजूरी दे दी। इसका मकसद भौतिक रूप से धातु की मांग में कमी और घरों और दूसरी ईकाइयों के पास पड़े बेकार सोने को बाजार में निकलवाना है। इस योजना के तहत भौतिक रूप से सोना खरीदने के बजाए, भारतीय नागरिक गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि दोनों योजनाएं उपयोग के नजरिए से सुरक्षित और आर्थिक रूप से ज्यादा स्थिर हैं।
स्वर्ण बॉन्ड योजना में सालाना सीमा 500 ग्राम प्रति व्यक्ति होगी और इस प्रकार के बॉन्ड को 5 से 7 साल की अवधि के लिए जारी किया जाएगा। वित्त वर्ष 2015—16 के बजट में सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) शुरू करने का प्रस्ताव किया था ताकि गोल्ड के विकल्प के रूप में इसे वित्तीय संपत्ति के रूप में विकसित किया जा सके।उन्होंने कहा कि गोल्ड बॉन्ड 2, 5 और 10 ग्राम स्वर्ण या अन्य मात्रा में जारी किया जाएगा और इसकी अवधि 5 से 7 साल हो सकती है। इसका मकसद यह निवेशकों को सोने कीमतों में मध्यम अवधि में उतार—चढ़ाव से बचाना है।
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि लोग अपने पास निष्क्रिय पड़े सोने को बैंकों में अल्प अवधि, मध्यम अवधि या दीर्घकाल के लिए जमा कर सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या यह छूट योजना है, जेटली ने कहा कि यह काला धन छूट योजना नहीं है और इस पर सामान्य कर कानून लागू होगा।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि सालाना करीब 1,000 टन सोने का आयात किया जाता है और लोग हर साल केवल निवेश के इरादे से सोना खरीदते है जो निष्क्रिय पड़ा रहता है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण मौद्रीकरण योजना का लाभ उठाते हुए लोग अधिकत एजेंसियों के पास निष्क्रिय सोना जमा कर सकते है और सोने की कीमत में वृद्धि का लाभ उठा सकते हैं। साथ ही जमा पर ब्याज प्राप्त कर सकते हैं।
जेटली ने कहा कि जमा की अवधि अल्प, मध्यम और दीर्घकाल होगी और अगर निष्क्रिय सोना बैंकों में जमा किया जाता है तब भुनाने के समय लोग सोने का वास्तविक मूल्य प्राप्त कर सकते हैं और अगर अल्प अवधि के लिये जमा किया गया है तो वे भौतिक रूप से भी सोना प्राप्त कर सकते हैं। स्वर्ण मौद्रीकरण योजना की घोषणा 2015—16 के बजट में की गई थी। वित्त मंत्री ने कहा कि स्वर्ण मौद्रीकरण योजना की अधिसूचना और क्रियान्वयन की तारीख की घोषणा जल्दी ही की जाएगी।

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