प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस पर संसद के कामकाज में बाधा डालकर देश के विकास को रोकने का आरोप लगाए जाने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार विपक्ष को नजरअंदाज नहीं कर सकती. जीएसटी विधेयक रोकने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाने के लिए बीजेपी की आलोचना करते हुए राहुल ने कहा, ‘‘संसद में कामकाज होना चाहिए, लेकिन इसके लिए चर्चा की जरूरत है. यह आरएसएस शाखा की तरह नहीं है. भारत विविधताओं का देश है न कि कोई बंद व्यवस्था जहां फैसले थोपे जा सकते हैं.’’
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘बीजेपी नीत सरकार को समझना चाहिए कि संसद चर्चा के लिए मंच है और विपक्ष को अपनी बात और अपने विचार रखने की अनुमति दिए बिना कुछ भी थोपा नहीं जा सकता. उसे विपक्ष को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.’’ उन्होंने दावा किया कि बीजेपी नेतृत्व आम सहमति और चर्चा में भरोसा नहीं करता. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने उम्मीद की थी कि कांग्रेस किसी सत्तारूढ़ पार्टी के समान काम करे.
उन्होंने कहा, ‘‘ विपक्षी पार्टी होने के नाते, कांग्रेस को संसद में अपने विचार व्यक्त करने की आवश्यकता है क्योंकि यह लोगों और उनकी आवाज का प्रतिनिधित्व करती है. लेकिन बीजेपी हमें अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दे रही.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को जीएसटी पर अपनी बात रखने से रोका गया. राहुल ने कहा कि जीएसटी पर कांग्रेस ने पहल की थी और इस विधेयक में दो तीन मौलिक कमियां हैं जैसे 25 प्रतिशत की अधिकतम कर सीमा और विवाद समाधान तंत्र. इन मुद्दों के हल के लिए उचित चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक पारित कराना और इसका कार्यान्वयन दो भिन्न बातें हैं. उन्होंने कहा कि उचित तरीके से इसके कार्यान्वयन में कम से कम दो साल लगेंगे.
संसद के शीतकालीन सत्र के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने कहा कि कांग्रेस गरीबों, कमजोरों, आदिवासियों, दलितों, किसानों और श्रमिकों के हितों की रक्षा करती है और ऐसा करती रहेगी. उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना के बारे में पूछे गए एक सवाल को नजरअंदाज करते हुए राहुल ने कहा, ‘‘ जिस तरीके से मैं अपने काम को देखता हूं, यह पार्टी को संगठित करना और इसे शक्ति तथा उर्जा प्रदान करना है.’’ उन्होंने बीजेपी नीत सरकार पर देश को केंद्रीकृत तरीके से चलाने का आरोप लगाया और कहा कि भूमि विधेयक के संबंध में कांग्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और उस मोर्चे पर बीजेपी को शिकस्त दी.
मोदी सरकार पर बरसते हुए राहुल ने कहा कि एनडीए सरकार के शासनकाल में कई ‘‘खतरनाक’’ घटनाक्रम हुए हैं. धनी और गरीबों के बीच की खाई गहरी होती जा रही है. ‘‘समुदायों के बीच जहर फैलाया जा रहा है.’’ उन्होंने मोदी पर झूठ बोलने और खोखले वादे करने का आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी नेता की आदत है कि उनके मन में जो आता है, वह बोल देते हैं और ‘‘उनकी बातों की कोई सीमा नहीं है...’’ भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘‘ना खाउंगा और ना खाने दूंगा’’ लेकिन अब उन्होंने ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ ‘‘समझौता कर लिया है’’ और चिटफंड घोटाले की जांच धीमी हो गयी है.
राहुल ने कहा कि इसी प्रकार मध्य प्रदेश में व्यापमं के अलावा ललित मोदी मामला भी है जिससे विदेश मंत्री और राजस्थान की मुख्यमंत्री जुड़ी हुयी हैं. उन्होंने ‘‘सूट बूट की सरकार’’ टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि लोग ‘‘प्रधानमंत्री को 10 लाख रूपए का सूट पहने’’ देख सकते हैं. बिहार चुनाव के संबंध में राहुल ने कोई भविष्यवाणी करने से इंकार किया और कहा कि चुनावी प्रदेश में कांग्रेस का मजबूत गठबंधन है.

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