मनोरंजक फिल्म है ‘वेलकम बैक’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 22 सितंबर 2015

मनोरंजक फिल्म है ‘वेलकम बैक’

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फिल्म अभिनेता अनिल कपूर ने दर्शकों से फिल्म ‘वेल्कम बैक’ देखने का अनुरोध करते हुए कहा है कि फिरोज नाडियावाला की फिल्म ‘वेलकम बैक’ अगर बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो हम लोग एक अच्छा निर्माता खो देंगे। इसके पीछे अनिल का मनोविज्ञानिक तर्क दर्शकों फिल्म देखने के प्रति आग्रह है। 

एक्टर नाना पाटेकर, परेल रावल, व अनिल कपूर इस पार्ट में भी उन्ही रोल्स में दिखाई देंगे जिनमें पहले थे। लेकिन इस बार लीड रोल में अक्षय कुमार के स्थान पर जॉन अब्राहम हैं । कैटरीना कैफ जिन्होंने पिछली फिल्म में फीमेल लीड रोल किया था इस बार उन्हें श्रुति हसन ने रिप्लेस कर दिया । जबकि पहले  सोनाक्षी और असिन को भी इस रोल के लिए चुना गया पर डेट की समस्या के कारण फिल्म छोड़ दी।

   ‘वेलकम बैक’ 2007 में आई फिल्म ‘वेलकम’ का सीक्वल है, डाॅन उदय भाई (नाना पाटेकर) और डॉन मजनू भाई ( अनिल कपूर) अब अपराध की दुनियां को छोडकर होटल कारोबारी का व्यवसाय करते है, जो कभी दूसरो से उगायी करते थे,अब लोग उनसे पैसा एंेठते है। उनके जीवन में उस दिन मोड आता है,उदय के पिता अपनी तीसरी पत्नी से जन्मीं औलाद श्रुति हसन को  उसे सौंप कर चले जाते है। वह चाहते है,कि श्रुति का पति कोई शरीफ युवा हो। जबकि वह शरद गुप्ता ( जॉन अब्राहम ) को प्यार करतीं हैं,जो मुमंई का नामचीन डाॅन है और डा. घुमरू ( परेश रावल) का बेटा है। उदय और मंजनू, शरद से श्रुति का विवाह करने को तैयार है,लेकिन उन्हें जब उसकी रियल लाइफ का पता चलता है, मंजनू इसका विरोध करता है। इस बात से खिसियाये शरद को एक प्लान सूझता है। वह एक आईडिया के तहत् श्रुति से शादी करने की योजना बनाता हैं। इधर डाॅन का बेटा शइनी अरोडा भी श्रुति का दीवाना है। दूसरी तरह डिंपल और उसकी बेटी उदय और मंजनू को अपने प्रेमजाल में फंसाकर लूटती है। लेकिन फिल्म के अंत में सारे भेद खुल जाते है। फिल्म का क्लाईमैक्स तो ड्रामे से लबरेज है। बावजूद इसके यह फिल्म बांधे रखते है। कुल मिलाकर यह एक कामेडी फिल्म है।

‘वेल्कम बैक’ में दो अर्थी चुटकुलों का इस्तेमाल किए बिना यह एक साफ सुथरी मनोरंजक फिल्म है। अभिनय की बात करे तो सभी किरदारों ने कहानी के अनुरूप अभिनय किया है। नाना ,अनिल की जोडी दमदार है। श्रुति सहज लगी हैं, लेकिन जाॅन के साथ उनके सीन्स में जान कम दिखती है। इसके दूसरी ओर नसीरूद्दीन शाह बहुत लाउड लगे हैं। इस रोल को देखने के बाद फिल्म मोहरा के किरदार की यादें ताजा हो जाती हैं।  गीत-संगीत समान्य  है और क्लाईमैक्स तो ड्रामे से लबरेज है। इस फिल्म से निर्देशक अनीस बाजमी ने अपनी काबलियत को पूरी तरह से साबित कर दिया है। कुल मिलाकर यह एक कामेडी फिल्म है,जो अन्य किरदारों में  रंजीत, राजपाल यादव, शाइनी आहूजा साक्षी मग्गो भी है। 

निर्माता फिरोज नाडियाडवाला
एफ एम खान स्विस एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड 
लेखक व निर्देशक अनीस बाजमी
संगीत अनु मलिक और आनंद राज आनंद 
फोटोग्राफी कबीर 
संपादन स्टीवन 

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