नई दिल्ली। फोर्टिस एस्काॅट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट (एफईएचआई) का पीडिएट्रिक कार्डियक केयर ने नैरोबी, केन्या से आई एक माह के नवजात की दुर्लभ ओपन हार्ट सर्जरी को एफईएचआई में पीडिएट्रिक एंड कन्जेंटल हार्ट डिज़ीज के कार्यकारी निदेशक डाॅ. के. एस. अय्यर के नेतृत्व में सर्जिकल टीम ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। समान्य वजन के दो जुड़वां बच्चांे में के दिल में कई तरह की समस्याएं दिखीं। उसका गहरा रंग और हथेलियां नीली थीं, जो इस बात का संकेत दे रही थीं कि हृदय में पर्याप्त मात्रा में रक्त का प्रवाह नहीं हो पा रहा है। नियमित जांच के दौरान चिकित्सकों को उसके दिल में कई तरह की समस्याओं- महाधमनी के स्थानांतरण (टीजीए), वीएसडी (वेंट्रीक्यूलर सेप्टल डिफेक्ट) और पीडीए (पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस) का पता चला।
महाधमनी के स्थानांतरण (टीजीए) एक चिकित्सकीय स्थिति है, जिसमें फेफड़े और हृदय की धमिनयां जन्म के समय से ही एक-दूसरे बदल जाती हैं,आमतौर पर जन्म के बाद यह नलिका खुद-ब-खुद बंद हो जाती है)। इसकी वजह से आॅक्सीजन रहित और आॅक्सीजन युक्त रक्त मिश्रित होने लगता है। ऐसी स्थिति में तत्काल सर्जरी की जरूरत होती है। इसमें सांस लेने में गंभीर कठिनाई पैदा होती है। बच्चे के पिजा यूसुफ मोहम्मद के लिए दो महाद्वीपों की यात्रा कर अपने बच्चों को डाॅ. अय्यर की देखभाल के लिए लाना किसी भावनात्मक यात्रा से कम नहीं थी। प्रारंभिक जांच के बाद चिकित्सकों ने ओपन हार्ट सर्जरी करने का निर्णय किया। इसमें नवजात के सीने को चीर कर हृदय की मांसपेशियों, वाल्व और धमनियों की जटिल सर्जरी करना शामिल था। बच्चे के जीवित रहने की काफी कम संभावना के साथ यह सर्जरी 7 घंटे से भी ज्यादा समय तक चली। फोर्टिस एस्काॅट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डाॅ. अशोक सेठ ने कहा, ‘‘यह संस्थागन पिछले कई वर्शों से बहुत सारी जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा करने में अग्रणी रहा है। एक माह के बच्चे के हृदय की बेहद जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा करना संस्थान के जन्मजात हार्ट सर्जरी के क्षेत्र में अंतरराश्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति और सराहनीय उत्कृष्टता की पुष्टि करती है। यह कार्डियक सर्जरी में सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण सर्जरी में से एक थी। सच तो यह है कि इस सर्जरी ने केवल एक बच्चे को जीवन ही नहीं दिया बल्कि पूरे महाद्वीप के बच्चे के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है और सभी महाद्वीपों में ऐसे कई बच्चों में आशा की किरण जगाई है कि भारत में कार्डियक उपचार की सर्वश्रेष्ठ विश्व-स्तरीय सुविधा उपलब्ध है।’’
एफईएचआई में पीडिएट्रिक एंड कन्जेंटल हार्ट डिज़ीज के कार्यकारी निदेशक डाॅ. के. एस. अय्यर ने कहा, ‘‘पिछले कुछ दशकों में पीडिएट्रिक कार्डिक सर्जरी के क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास ने बच्चों में हृदय संबंधी जन्मजात विकारों का पता लगाने और उसके उपचार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आज के समय में उपलब्ध डायग्नाॅस्टिक टूल्स बच्चे के पैदा होने से पहले ही एकदम सटीक डायग्नोसिस करने का मार्ग प्रशस्त किया है। लेकिन इस क्षेत्र में चिकित्सा विषेशज्ञता, कुशलता और सुविधाएं आसानी से और पहुंच में उपलब्ध नहीं होना बड़ी चुनौती है और इसकी वजह से मरीज को समय पर उपचार नहीं मिल पाने का ज्यादास जोखिम होता है। यूसुफ के बच्चे को दिल की बीमारी का पता लगा था लेकिन उन्हें उनके शहर में उपचार उपलब्ध नहीं हो पाया। भारत में भी इस तरह की चुनौती है। वर्तमान में उपलब्ध उपचार के उपायों से जन्म से दिल संबंधी बीमारी के साथ पैदा हुए 75 प्रतिशत नवजातों जन्म के एक साल बाद भी जीवित रह सकते हैं और उनमें से कई उसके बाद भी सामान्य जीवन जी सकते हैं। हालांकि इसके लिए शुरूआती जांच में बीमारी का पता नहीं लगने और समय पर उसका उपचार नहीं होने से मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है।’’
एफईएचआई के जोनल डायरेक्टर डाॅ. सोमेश मित्तल ने कहा, ‘‘फोर्टिस एस्काॅट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट हमेशा से ही अपने मरीजों को उन्नत और नवीनतम उपचार की पेशकश करता रहा है। इस संस्थान को देश में कार्डियक केयर के क्षेत्र में नंबर 1 निजी अस्पताल का दर्जा हासिल है। हमारे चिकित्सकों के पास उपचार के लिए काफी संख्या में अंतरराष्ट्रीय मरीज आ रहे हैं जो वैश्विक मानचित्र पर हमारी प्रतिष्ठा को साबित करता है।’’ बच्चे के पिता यूसुफ मोहम्मद ने कहा, ‘‘मेरे बच्चे को एक नया जीवन का उपहार देने के लिए मैं डाॅ. अय्यर और उनकी टीम का ऋणी हूं। हमलोग खुश थे कि हमें जुड़वां बच्चे हुए हैं लेकिन जब बड़े बच्चे की स्थिति के बारे में हमें पता चला तो हमारी खुशी काफूर हो गई। डाॅ. अय्यर के पास पहुंचने में देरी के बावजूद उन्होंने तत्काल उपचार की प्रक्रिया शुरू कर दी और उनकी बदौलत ही हमारे परिवार में दोबारा खुशियां लौटी है।’’
जन्मजात हृदय की बीमारी (कन्जेंटल हार्ट डिज़ीज- सीएएचडी) से तात्पर्य दिल की कार्यात्मक या ढांचागत बीमारी से है, जो जन्म के समय से ही होती है। भारत में पैदा होने वाले कुल जीवित बच्चों की संख्या सालाना करीब 2.8 करोड़ है। दुनिया भर में हृदय की जन्मजात बीमारी प्रति 1000 बच्चों में से 8 से 10 प्रतिशत को होती है, वहीं भारत में हर साल करीब 220,000 बच्चे जन्म के साथ ही हृदय संबंधी विकास से ग्रस्त रहते हैं और उनमें से करीब 33 प्रतिशत बीमारी काफी गंभीर होती है, जिन्हें जन्म के पहले साल में ही उपचार की जरूरत होती है। इनमें से करीब 60,000 से 90,000 बच्चे गंभीर कार्डियक बीमारी से पीड़ित होते हैं और उन्हें तत्काल उपचार की जरूरत होती है।
एफईएचआई का पीडिएट्रिक विभाग दो दशक से भी लंबे समय से इस तरह की जटिल बीमारियों की विषेशज्ञ सर्जरी मुहैया करा रहा है। इस तरह की सुविधाएं एवं विषेशज्ञता की कमी के कारण देष भर और दुनिया के कई हिस्सों से मरीज यहां उपचार के लिए आते हैं। यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश और कई विकासशील देशों में जन्मजात हृदय रोग के साथ पैदा हुए 10 प्रतिशत से भी कम बच्चों को समुचित उपचार उपलब्ध हो पाता है।

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