- उच्च स्तरीय जांच की मांग की
”बी.पी.एस.सी. बिहार की प्रतिभाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। एक तो उसने गलत उत्तरों के आधार पर 56वीं से 59वीं सम्मिलित (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम घोषित किया। अब उनमें से कई अयोग्य छात्रों को आगे बढ़ाने के चक्कर में बी.पी.एस.सी. योग्य छात्रों के हितों का बलिदान कर रही है। बी.पी.एस.सी. द्वारा ‘संशोधित उत्तर कुंजी’ की त्रुटियों को दूर न करना और अतिरिक्त परिणाम प्रकाशित किए बगैर मुख्य परीक्षा हेतु फाॅर्म भरने की तिथि जारी करने से साफ पता चलता है कि यह संस्था प्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।“ ये बातें ए.आई.एस.एफ. के बिहार राज्य सचिव, सुशील कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहीं। सुशील कुमार ने यह भी कहा कि इस बात की पूरी संभावना है कि बी.पी.एस.सी. के अधिकारी और कर्मचारी अपने व्यक्तिगत हित-लाभ के कारण संशोधित उत्तर कुंजी और अतिरिक्त परिणाम प्रकाशित करना नहीं चाहते। ये लोग जान बूझ कर हर वर्ष परिणाम प्रकाशन में ऐसी गड़बडि़यां करते हैं जिससे विवाद उत्पन्न होने के साथ-साथ पूरी प्रक्रिया लंबी हो जाती है और छात्र न्यायालय का सहारा लेते हैं। अन्यथा कोई कारण नहीं है कि छात्रों की जायज आपत्तियों का निराकरण किए बिना बी.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षा के फाॅर्म भरने की तिथि घोषित कर देती। विदित हो कि 21 नवंबर 2015 को बी.पी.एस.सी. द्वारा जारी 56वीं से 59वीं सम्मिलित (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा के परिणाम और संशोधित उत्तर कंुजी पर सुशील कुमार ने आपत्ति जताई थी जिसे बिहार राज्य के समाचार पत्रों ने 3 दिसंबर 2015 को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अपनी आपत्ति में सुशील ने प्रश्न पुस्तिका सिरीज -ए के दो प्रश्नों क्रमशः 99 तथा 126 के उत्तरों को गलत बताया था तथा इसके सही उत्तर भी उन्होंने तर्कपूर्ण ढ़ंग से सुझाए थे।
ए.आई.एस.एफ. राज्य सचिव ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि बी.पी.एस.सी. ने न तो गलत उत्तर कुंजी में संशोधन करके अतिरिक्त परिणाम प्रकाशित किया और न ही इतनी गंभीर आपत्ति पर बी.पी.एस.सी. का कोई प्रतिवाद-पत्र ही कहीं देखने में नहीं आया। इससे स्पष्ट है कि बी.पी.एस.सी. उन आपत्तियों को स्वीकार कर रही है और उसके पास इन आपत्तियों का कोई जवाब नहीं है। ए.आई.एस.एफ. ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा है कि बी.पी.एस.सी., मुख्य परीक्षा का फाॅर्म भरे जाने की प्रक्रिया स्थगित कर पहले योग्य छात्रों के लिए अतिरिक्त परिणाम प्रकाशित करे। साथ ही बिहार सरकार से मांग की है कि बी.पी.एस.सी. द्वारा की जा रही गड़बड़ी की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। सुशील कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बी.पी.एस.सी. की छवि दांव पर लगी हुई है और छात्रों को उनका हक दिलाने के लिए ए.आइ.एस.एफ. लगातार संघर्ष करेगा।

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