नालसा के 7 अलग-अलग स्कीमों के सफल संचालन के लिये डीएलएसए के तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 30 जनवरी 2016

नालसा के 7 अलग-अलग स्कीमों के सफल संचालन के लिये डीएलएसए के तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण पीडि़तों के लिये विधिक सेवाएँ, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकोें के लिये विधिक सेवाएँ बच्चों को मैत्रपूर्ण विधिक सेवाएँ और उनके संरक्षण के लिये, मानसिक रुप से बीमार और मानसिक रुप से विकलांग व्यक्तियों के लिये विधिक सेवाएँ, गरीबी उन्मूलन योजनाओं के प्रभावी  क्रियान्वयन, आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण व प्रवर्तन तथा नशा पीडि़तों को विधिक सेवाएँ एवं नशा उन्मूलन के लिये विधिक सेवाएँ के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा) द्वारा लाँच सात योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु मेडिटेशन संेटर (सिविल कोर्ट परिसर) दुमका में दिन शनिवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुमका ने दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। पीएलए के चेयरमेन अनन्त सिंह, डीजे-3 आशुर्तोष दूबे, सीजेएम राधा कृष्ण, एसीजेएम एस0एन0मिश्रा, डीएलएसए के सचिव अमरेश कुमार, एसडीजेएम सचिन्द्र बिरुआ, डीडीसी चितरंजन कुमार, सिविल सर्जन सहित अधिवक्ताओं, पत्रकारों, स्वयंसेवी/स्वैच्छिक संस्थाओं से जुड़े प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कार्यपालक पदाधिकारियों, पारा लिगल वोलेन्टियर्स व पैनल लाॅयर्स मी मौजूदगी में  प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा भारतीय संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि अपने साथ-साथ दूसरों पर भी ध्यान दे। 

उन्होनें कहा नालसा व झालसा से प्राप्त निर्देशों के आलोक में उपरोक्त सात स्कीम्स  के सफलतापूर्वक संपादन के लिये 9-9 व्यक्तियों के कुल सात टीमों का गठन किया गया है जो विषयवार सूक्ष्तम जानकारियों को तो हासिल करेगें ही, क्षेत्र विशेष की समस्याओं के निष्पादन में भी महती भूमिका अदा करेगें। विदित हो प्रत्येक टीम में एक न्यायिक पदाधिकारी वतौर टीम लिडर काम करेगें जबकि उपायुक्त स्तर से चयनीत एक कार्यपालक पदाधिकारी को नोडेल आॅफिसर बनाया गया है। इस अवसर पर डीडीसी चितरंजन कुमार ने कहा भारतीय संविधान में श्वांस लेने से लेकर तमाम चीजों के लिये अधिकार और एक्ट बने हुए हैं। बिना संविधान के कोई भी कार्य करना किसी के लिये भी मुमकिन नहीं। उन्होनें कहा कोई भी योजना ऐसा नहीं जो सरकार व संविधान से अलग-थलग हो। सभी के लिये उपर से लेकर नीचे तक उसके क्रियान्वयन के लिये टीम होती है। उन्होनें कहा आजादी के बाद भी कोई विकास इस देश में नहीं हुआ कहना गलत है। आजादी के बाद इस देश में काफी कुछ बदलाव आया है। उन्होनें कहा अधिकार व कर्तव्य को एक साथ समझने की जरुरत है। 

इस अवसर पर एसडीजेएम सचिन्द्र बिरुआ ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 29 तक में मौलिक अधिकारों से लेकर अन्य अधिकारों की संपूर्ण व्याख्या की गई है। उन्होनें कहा अभिव्यक्ति के अधिकारों में  शिक्षा, समानता, आपसी भाईचारा तथा अन्य का जिक्र है। उन्होनें कहा हमारा संविधान कई देशों के संविधान का अध्ययन व उसका अवलोकन है। जहाँ एक ओर कुछ चीजें अमेरिका के संविधान से ली गई तो कुछ चीजें इंग्लैंण्ड व अन्य देशों से ली गई है। डीएलएसए के सचिव अमरेश कुमार ने कार्यशाला की औपचारिकता व नालसा द्वारा लाँच किये गए स्कीमों की विस्तृत जानकारी देते हुए क्षेत्रीय स्तर पर एक टीम भावना से किये जाने वाले कार्यों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होने कहा अधिक से अधिक लोगों तक सुलभ न्याय पहुँच सके और लाभुक वर्ग निःशुल्क न्याय लोग पा सकें इसके लिये काफी कुछ न्यायिक स्तर पर प्रयास जारी हैं। डीजे-3 आशुर्तोष दूबे, पीएलए के अध्यक्ष अनंत ंिसंह अधिवक्ता पारस कुमार सिन्हा, अल्फ्रेड चेस्नेय ने भी प्रतिभागियों के समक्ष अपनी-अपनी बातें रखीं। इस अवसर पर प्रशिक्षण कार्यशाला में सारे प्रतिभागी मौजूद थे। 

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