नयी दिल्ली 11 मार्च, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी 25 और गोपनीय फाइलें संसद सत्र के बाद सार्वजिनक की जायेंगी। यह जानकारी केन्द्रीय संस्कृति मंत्री डा. महेश शर्मा ने आज यहां नेहरू संग्रहालय एवं पुस्तकाल में आयोजित राष्ट्रीय अभिलेखागार की स्थापना के 125 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह का समापन करते हुए दी। समारोह में डा. शर्मा को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाई अमिया नाथ बोस के दुलर्भ दस्तावेजों की एक सीडी भी नेताजी के परिजनों ने भेंट की। इस अवसर पर डा. शर्मा ने राष्ट्रीय अभिलेखागार 125 रूपये का एक स्मारक सिक्का तथा दस रूपये का एक अलग सिक्का एवं नया प्रतीक चिन्ह भी जारी किया। इसके अलावा अभिलेखागार पर पांच रूपये का एक स्मारक डाक टिकट तथा प्रथम आवरण भी जारी किया गया। इसके साथ ही डा. शर्मा ने अभिलेखागार के बारे में दो पुस्तकें भी जारी की जिनमें एक कॉफी टेबल बुक भी शामिल हैं। संस्कृति मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 23 जनवरी को नेताजी की गोपनीय फाइलें जारी करने के बाद लोग मुझसे पूछते रहते हैं कि उनकी और फाइलें कब सार्वजिनक की जायेंगी। उन्होंने कहा कि अभी संसद का सत्र चल रहा है। सत्र खत्म होने के बाद जल्द ही 25 और गोपनीय फाइलें सार्वजिनक कर दी जायेंगी।
डा. शर्मा ने राष्ट्रीय अभिलेखागार के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अभिलेख राष्ट्र की स्मृति होता है और इस इतिहास को संरक्षित तथा पोषित करते हैं क्योंकि वह हमारी नींव होता है। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में दुनिया की दिलचस्पी का पता इस बात से चलता है कि एक साल के भीतर 112 देशों के लोगों ने राष्ट्रीय अभिलेखगार के गत वर्ष बने पोर्टल पर हिट किया है। उन्होंने कहा यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय अभिलेखागार देश और समाज तथा शोधार्थियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक बन गया है। संस्कृति सचिव एन के सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास दुलर्भ दस्तावेजों के अरबों पृष्ठ हैं। अभी हम केवल 50 हजार पृष्ठों को डिजिटल कर पाए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न मंत्रालय की छह लाख 63 हजार फाइलें हमारे पास हैं और हम अब बेहतर तरीके से दस्तावेजों का प्रबंधन कर रहे हैं तथा उनका संरक्षण भी तेज गति से कर रहे हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक पंकज राग ने कहा कि अभिलेखागार के पास 45 लाख से अधिक दस्तावेज हैं और 7550 माइक्रो फिल्म हैं। उन्होंने बताया कि यह अभिलेखागार 18 मार्च 1891 से कोलकाता की राइटर बिल्डिंग में इम्पीरियस रिकार्ड के रूप में था जो 1911 में कोलकाता से जब देश की राजधानी दिल्ली बनी तो कोलकाता से यहां स्थानान्तरित किया गया और छह वर्ष में सारे दस्तावेज यहां लाए गए। राष्ट्रीय अभिलेखागार का वर्तमान भवन 1926 में बना था।
डा. शर्मा ने राष्ट्रीय अभिलेखागार के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अभिलेख राष्ट्र की स्मृति होता है और इस इतिहास को संरक्षित तथा पोषित करते हैं क्योंकि वह हमारी नींव होता है। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में दुनिया की दिलचस्पी का पता इस बात से चलता है कि एक साल के भीतर 112 देशों के लोगों ने राष्ट्रीय अभिलेखगार के गत वर्ष बने पोर्टल पर हिट किया है। उन्होंने कहा यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय अभिलेखागार देश और समाज तथा शोधार्थियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक बन गया है। संस्कृति सचिव एन के सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास दुलर्भ दस्तावेजों के अरबों पृष्ठ हैं। अभी हम केवल 50 हजार पृष्ठों को डिजिटल कर पाए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न मंत्रालय की छह लाख 63 हजार फाइलें हमारे पास हैं और हम अब बेहतर तरीके से दस्तावेजों का प्रबंधन कर रहे हैं तथा उनका संरक्षण भी तेज गति से कर रहे हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक पंकज राग ने कहा कि अभिलेखागार के पास 45 लाख से अधिक दस्तावेज हैं और 7550 माइक्रो फिल्म हैं। उन्होंने बताया कि यह अभिलेखागार 18 मार्च 1891 से कोलकाता की राइटर बिल्डिंग में इम्पीरियस रिकार्ड के रूप में था जो 1911 में कोलकाता से जब देश की राजधानी दिल्ली बनी तो कोलकाता से यहां स्थानान्तरित किया गया और छह वर्ष में सारे दस्तावेज यहां लाए गए। राष्ट्रीय अभिलेखागार का वर्तमान भवन 1926 में बना था।

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