नयी दिल्ली 29 अप्रैल, भारत और पाकिस्तान के पूर्व राजनयिकों ने आज यहां दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य करने के लिए बातचीत की प्रक्रिया काे जारी रखने पर जोर दिया। अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) अनंत एस्पेन सेंटर द्वारा भारत-पाक रिश्तों पर आयोजित कार्यक्रम में पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्तों और भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्तों ने भाग लिया जिसमें दोनों देशों के राजनयिकों ने इस बात पर सहमति जतायी “ एक पड़ोसी के रूप में हमारे पास एक दूसरे के प्रति संवेदनशील होने के अलावा कोइ दूसरा विकल्प नहीं है और यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक कि हम मुख्य मुद्दों का संज्ञान ना ले। डर के साये में बातचीत करने के बजाए हमें बातचीत करने में कभी संकोच नहीं करना चाहिये।” इस बैठक में के शंकर बाजपेयी, सलमान बशीर, सतीश चंद्र, अजीज अहमद खान, डॉ हुमायूं खान, रियाज एच खोखर, एसके लांबा, शाहिद मलिक, शिवशंकर मेनन, सत्यब्रत पाल, जी पार्थसारथी, अशरफ जहांगीर काजी, टीसीए राघवन, शरत सभरवाल और नटवर सिंह जैसे पूर्व राजनयिको ने भाग लिया।
दोनों देशों के भविष्य के संबंधों पर अशरफ जहांगीर काजी ने कहा “ हमारे लिए यह दिलचस्प समय हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध कभी भी एक जैसे नहीं रहे है। हम एक ऐसे चौराहे पर खड़े है जहां किसी को नहीं पता की हमारे रिश्ते आगे बढेगे या पीछे जाएंगे। ऐसी स्थिति में दोनाें ओर से विश्वास बहाल करना महत्वपूर्ण है। पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान की संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की हाल की भारत यात्रा संदर्भ में शिव शकर मेनन ने कहा “पठानकोट हमले के बाद हमें पाकिस्तान से मिला-जुला संकेत मिला है। इस हमले पर इस्लामाबाद का क्या रुख रहेगा, इस पर कुछ कहना बहुत जल्दी होगा। साकारात्मक पहलू यह है, बातचीत का आगे लेजाने की संभावनाए मौजुद है, बशर्ते राजनीतिक इच्छाशक्ति हो। ” हाल ही में दोनों देशों के विदेश सचिवाें की बैठक पर एसके लांबा ने कहा “ विदेश सचिव स्तर की वार्ता की कथित विफलता पर निराशा के बावजूद भी अच्छी बात यह है कि पठानकोट हमलों के बाद टाली गयी वार्ता एक बार फिर शुरू हुई।”
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