उज्जैन, 22 अप्रैल, मध्यप्रदेश के उज्जैन में आज हनुमान जयंती पर ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हुए सिंहस्थ कुंभ के दौरान शुरूआती सात घंटे में ही लगभग दस लाख लोग पवित्र क्षिप्रा नदी में स्नान कर चुके हैं। क्षिप्रा नदी के तट पर महाकाल की नगरी उज्जैन में सुबह पांच बजे से दत्त अखाडा क्षेत्र में शैव संप्रदाय के नागा साधुओं के एकत्रित होने का क्रम शुरू हाे गया था। सबसे पहले नागा साधुओं ने क्षिप्रा में डुबकियां लगायीं। इसके बाद जूना अखाडा के पीठाधीश स्वामी अवधेशानंद महाराज ने परंपरा के अनुरूप मंत्रोच्चारण के साथ डुबकी लगायी। इस दौरान सिंहस्थ के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह के अलावा वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। कांग्रेस के राष्ट्रीस महासचिव और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी सिंहस्थ के पहले दिन क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाई। उन्होंने सुबह लगभग साढे आठ बजे नदी में सिंहस्थ स्नान किया।
विभिन्न अखाडों के साधु-संत धर्मध्वजाएं और त्रिशूल लेकर घाटों पर पहुंचे। सभी घाट सिंहस्थ के पहले दिन धार्मिक नारों से गूंज रहे हैं। दोपहर एक बजे तक सभी अखाडों का स्नान पूरा होने की संभावना है। इसके बाद घाट खाली होंगे। हालांकि कडी सुरक्षा के बीच अब तक लगभग नौ किलोमीटर मेें फैले मेला क्षेत्र के कई घाटों पर आम जनता का स्नान भी शुरू हो चुका है। स्नान के लिए लगभग सभी अखाडों के महामंडलेश्वर ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर आए। हरिद्वार आधारित स्वामी सत्यमित्रानंद गिरीजी महाराज कार में सवार होकर क्षिप्रा स्नान के लिए आए। सिंहस्थ के पहले दिन अब तक पायलट बाबा, गोल्डन बाबा और नित्यानंद स्वामी के अपने अनुयायियों के साथ स्नान करने की खबर है। नित्यानंद स्वामी के साथ बहुत से विदेशी अनुयायी भी मौजूद थे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सिंहस्थ कुंभ का आयोजन 21 मई तक यानी एक माह तक चलेगा। इस दौरान दूसरा शाही स्नान नौ मई (अक्षय तृतीया) और तीसरा व अंतिम शाही स्नान 21 मई को प्रस्तावित है। एक माह की अवधि में पांच करोड लोगों के आने की संभावना के मद्देनजर राज्य सरकार ने तैयारियां की हैं। विभिन्न सुविधाओं को विकसित करने के लिए लगभग साढे तीन हजार करोड रूपए व्यय किए गए हैं। अखिल भारतीय अखाडा परिषद की अगुवायी में शैव और वैष्णव संप्रदाय के तेरह अखाडों के लाखों साधु संत शाही स्नान में शिरकत करेंगे। सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने प्रत्येक व्यवस्थाएं की हैं। करोडों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना के मद्देनजर उज्जैन के आसपास अनेक उपनगर भी बसाए गए हैं।

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