देहरादून 22 अप्रैल, उत्तराखण्ड में पिछले एक माह से सियासी संकट गहराया हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की याचिका पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने केेन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुए कल राष्ट्रपति शासन हटाने का अादेश दिया था और अभी कांग्रेस में जश्न का माहौल शुरू ही हुआ था कि उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति शासन हटाने संबंधी नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश पर 27 अप्रैल तक आज रोक लगा दी। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को हिदायत दी है कि मामले की अगली सुनवाई तक राज्य से राष्ट्रपति शासन न हटाया जाये। राष्ट्रपति शासन हटाये जाने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी तथा तीन दिन तक चली कार्यवाही के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य में राष्ट्रपति शासन खत्म करने के मौखिक आदेश दिये। उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दस्तक दी तथा कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने भी अपनी सदस्यता बहाल करने के लिए शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की है। अब सबकी नजर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर टिकी हुई है और यह बहस तेज हो गयी है कि शीर्ष न्यायालय उच्च न्यायालय के आदेश को कायम रखती है या उसके आदेश को खारिज करके यथास्थिति बनाये रखने का आदेश देती है।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड में लगाये गये राष्ट्रपति शासन को हटाने के लिए कल मौखिक आदेश दिये। उच्च न्यायालय ने श्री रावत को 29 अप्रैल को सदन में बहुमत साबित करने का समय दिया हुआ है। केन्द्र सरकार ने अपनी बड़ी पैरवी करने के लिए खाका तैयार कर लिया था और यह बात उठ रही थी कि जब उच्च न्यायालय ने अपना लिखित फैसला दिया ही नहीं है तो कैसे श्री रावत अपने आप को मुख्यमंत्री समझकर सरकार चला रहे हैं। कांग्रेस के बागी विधायकों ने भी अपनी सदस्यता बहाल करने के लिए शीर्ष न्यायालय की शरण ली है।

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