उज्जैन, 06 मई, मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ के दौरान कल आई प्राकृतिक आपदा 24 घंटे बीतने के पहले ही श्रद्धा के आगे बौनी नजर आ रही है। बैशाख माह की अमावस्या पर सिंहस्थ में आज हो रहे पर्व स्नान के मौके पर कल मध्यरात्रि से लेकर आज सुबह तक लगभग पांच लाख श्रृद्धालु क्षिप्रा नदी में डुबकी लगा चुके हैं। ये आंकडा दिन चढने के साथ बढता जा रहा है। इसके पहले कल अपराह्न तेज बारिश के साथ आए तूफान से प्रभावित लोगों का हाल-चाल जानने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज तडके उज्जैन पहुंचे। उन्होंने रात भर मेला क्षेत्र में, विशेष रूप से मंगलनाथ क्षेत्र में पैदल घूम-घूम कर विपदा प्रभावित तीर्थ यात्रियों से मुलाकात कर उन्हें राहत सुनिश्चित की। उन्होंने जिला अस्पताल जाकर भी पीड़ित व्यक्तियों को ढाँढस बँधाया और उनका त्वरित इलाज करने के आदेश दिए। श्री चौहान ने साधु-संतों से चर्चा कर सरकार का पूरा सहयोग करने की बात कही। उन्होने मेला क्षेत्र में आंधी और वर्षा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए मंगलनाथ जोन का निरीक्षण करने के पश्चात अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्देश दिये। निरीक्षण के दौरान उनके साथ प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह, नगरीय प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य, मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा, नगरीय प्रशासन प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव, नगरीय प्रशासन सचिव विवेक अग्रवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार मेला क्षेत्र के निरीक्षण के पश्चात मुख्यमंत्री ने सर्किट हाऊस में प्रभारी मंत्री सहित संबधित अधिकारियों को कल तक मंगलनाथ क्षेत्र को पुन: स्थापित करने और वर्तमान हालात को बदलने के निर्देश दिये। उन्होंने नगरीय प्रशासन सचिव श्री अग्रवाल को टूटे हुए टेन्ट और अन्य सामग्रियों को अलग करवा कर पुन: स्थापित करने के निर्देश दिये। मेला क्षेत्र में कीचड को साफ करने के लिए चूरी की पर्याप्त व्यवस्था कर आवश्यक स्थानों पर डलवाने की बात कही। गंदे नालों से सीवरेज के पानी को साफ करने के लिए जितनी सक्शन मशीन की आवश्यकता हो व्यवस्था करने को कहा। उन्होने अधिकारियों से कहा कि जिन साधु-संतों के पास खाद्य सामग्री खराब हुई है, उन्हें अलग कराकर पर्याप्त आवश्यक खाद्य सामग्री हर हाल में उपलब्ध कराई जाये। उन्होंने मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार आने वाले समय में भी सावधानी बरतने और आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिये।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक संभागायुक्त डॉ रवींद्र पस्ताेर ने बताया कि तेज आंधी और बरसात से मेला क्षेत्र में बुनियादी व्यवस्थाओं के प्रभावित होने के बाद बिजली, पेयजल, शौचालय, सड़कों की दुरूस्ती आदि की बहाली का काम तेजी से चल रहा है। भूखीमाता क्षेत्र में एक सीवेज लाइन के लीकेज होने की सूचना मिलते ही दत्त अखाड़ा झोन के अमले ने सीवेज लाइन की मरम्मत कराते हुए गन्दे पानी को शिप्रा में मिलने से पूरी तरह रोक दिया गया है। वहीं रामघाट पर सीवेज के खुलने की सूचना पर महाकाल झोन के सफाई अमले ने चेम्बर को बन्द किया। मेला क्षेत्र में जहां कहीं भी कीचड़ हुई है, वहां गिट्टी का चूरा डालकर मार्गों को आवागमन के लिये ठीक करने का काम आज रात भर जारी रहेगा। साधु-सन्तों के पांडालों की मरम्मत में भी सरकारी अमला कार्यरत है। जानकारी के मुताबिक दूसरे पर्व स्नान पर यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों की आवास की व्यवस्था के लिये शहर के सभी स्कूल्स खोल दिये गये हैं, जहां उनके ठहरने की व्यवस्था की गई है। सभी साधु-सन्तों के पांडालों में श्रद्धालुओं को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आपदा में मरने वाले सात श्रद्धालुओं के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। गंभीर रूप से घायलों को पचास-पचास हजार दिये जायेंगे और मामूली घायलों को 25 हजार रूपये की तत्काल सहायता दी जायेगी। सरकार घायलों के उपचार का पूरा खर्चा भी उठायेगी। मेला क्षेत्र एवं उज्जैन शहर में कल शाम तेज बारिश एवं तूफान से सात लोगों की मृत्यु हो गई थी। इनमें पांडाल गिरने से छह तथा बिजली गिरने से एक महिला की मृत्यु हुई थी। मरने वालों में एक होमगार्ड जवान भी शामिल है। संभागायुक्त डॉ.पस्तोर ने बताया कि मौसम विभाग द्वारा एक घंटे वर्षा की चेतावनी जारी की गई थी। वह समय बीत चुका है। श्रद्धालुओं को अब घबराने की कतई भी जरूरत नहीं है। बारिश के दौरान बन्द बिजली को पुन: चालू कर दिया गया है। पंचक्रोशी यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था वॉटरप्रूफ टेन्टों में की गई है। टोलफ्री नंबर-1100 पर कॉल कर कोई भी व्यक्ति मदद ले सकता है। आपदा से प्रभावित एवं जिला चिकित्सालय में उपचार हेतु दाखिल लोगों के उपचार और सहायता के लिए शहर के नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपने दरवाजे खोल दिए हैं। कल के बाद से अब तक बड़ी संख्या में लोगों ने जिला अस्पताल पहुंचकर रक्तदान समेत अन्य सहायताओं की पेशकश की।
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