महागठबंधन ने डर के कारण छठा उम्मीदवार नहीं उतारा : सुशील मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 31 मई 2016

महागठबंधन ने डर के कारण छठा उम्मीदवार नहीं उतारा : सुशील मोदी

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पटना 31 मई(वार्ता) बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी  के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि विधान परिषद के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के डर के कारण राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन ने अपना छठा उम्मीदवार नहीं उतारा । श्री मोदी ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्वीटर पर ट्वीट कर कहा कि विधान परिषद के चुनाव में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग होने के डर के कारण राज्य में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन :संप्रग: (महागठबंधन) ने अपना छठा उम्मीदवार नहीं उतारा और भाजपा के दोनों उम्मीदवारों की जीत का मार्ग प्रशस्त किया । परिषद की सात सीटों के चुनाव के लिए आज नामांकन पत्र दाखिल करने के अंतिम दिन तक कुल सात उम्मीदवारों ने ही नामांकन पत्र दाखिल किया । इसके कारण मतदान की नौबत नहीं आयी । अंतिम दिन आज भाजपा की ओर से दो उम्मीदवार विनोद नारायण झा और अर्जुन सहनी ने पर्चा भरा । इससे पूर्व कल महागठबंधन में शामिल जनता दल यूनाइटेड :जदयू: की ओर से सी पी सिन्हा और मौजूदा राज्यसभा सदस्य गुलाम रसूल बलियावी, राष्ट्रीय जनता दल :राजद: की ओर से रणविजय सिंह, एस.एम. कमर आलम तथा कांग्रेस की ओर से तनवीर अख्तर ने नामांकन दाखिल किया था । 

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पूर्व में परिषद चुनाव में अपनी पार्टी से तीसरा उम्मीदवार देने की घोषणा की थी लेकिन कल ही उन्होंने कह दिया कि उनकी पार्टी तीसरा उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी । उधर राज्यसभा की पांच सीटों के हो रहे चुनाव के लिए भी पांच ही उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है । इसके कारण राज्यसभा और विधान परिषद के सभी प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना अब तय हो गया है । गौरतलब है कि 243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन में शामिल जनता दल यूनाइटेड :जदयू: के 71, राष्ट्रीय जनता दल :राजद: के 80 और कांग्रेस के 27 जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल भाजपा के 53, लोक जनशक्ति पार्टी  और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी  के दो-दो तथा हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के एक सदस्य हैं । इसके अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा माले) के तीन और चार निर्दलीय सदस्य हैं। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर महागठबंधन ( जदयू, राजद और कांग्रेस) को पांच सीटें और भाजपा को एक सीट आसानी से मिल सकती थी । विधान परिषद चुनाव में एक उम्मीदवार की जीत के लिए प्रथम वरीयता के 31 मत की आवश्यकता थी । इस लिहाज से महागठबंधन के छठे उम्मीदवार की जीत के लिए प्रथम वरीयता के आठ मतों की, वहीं भाजपा के दूसरे उम्मीदवार की जीत के लिए राजग के मतों के 
अतिरिक्त चार अन्य मतों की जरूरत होती । 

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