पटना में कन्हैया के कार्यक्रम के दौरान व्यवधान पैदा करने की कोशिश निंदनीय : माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 1 मई 2016

पटना में कन्हैया के कार्यक्रम के दौरान व्यवधान पैदा करने की कोशिश निंदनीय : माले

  • राज्य सचिव कुणाल सहित वरिष्ठ माले नेताओं ने की कन्हैया से मुलाकात, कहा-
  • छात्र-युवा उभार को ग्रामीण स्तर पर व्यापक विस्तार देने की है जरूरत.
  • व्यापक छात्र-युवा उभार और सच्चे जनवादी-लोकतांत्रिक व आंदोलन की ताकतों की एकता के बल पर ही सांप्रदायिकता को दी जा सकती है मुकम्मल शिकस्त

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पटना 1 मई 2016, भाकपा-माले ने 1 मई 2016 को पटना में आयोजित जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार के कार्यक्रम में भाजपा व आरएसएस द्वारा व्यवधान डालने की कोशिशों की निंदा की है. माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि किसी भी तरह के लोकतांत्रिक आयोजन में किसी को भी व्यवधान डालने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. यह इस बात का एक और सबूत है कि भाजपा घोर लोकतंत्र विरोधी पार्टी है. उन्होंने आगे कहा कि जेएनयूएसयू अध्यक्ष के कार्यक्रम में छात्र-युवाओं की उपस्थिति ने यह साबित किया है कि मोदी सरकार के खिलाफ देश के छात्र-नौजवानों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है. बिहार की जनता ने तो विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को गहरी शिकस्त देकर इस आक्रोश को अभिव्यक्त किया था.

इससे पूर्व 30 अप्रील की शाम में माले राज्य कार्यालय में माले नेताओं से मिलने आए जेएनयूएसयू अध्यक्ष का स्वागत माले नेताओं ने काॅ. विनोद मिश्रा की संकलित रचनाओं की प्रति देकर की. माले राज्य सचिव कुणाल, केंद्रीय कमिटी सदस्य सरोज चैबे और राज्य स्थायी समिति के सदस्य काॅ. राजाराम ने कन्हैया से मुलाकात की. माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि हमारी पार्टी हैदराबाद और जेएनयू के छात्र आंदोलन का भरपूर समर्थन करती है. इस छात्र-युवा उभार ने मोदी सरकार के असली चरित्र को बेनकाब किया है. इस उभार को व्यापक पैमाने पर ग्रामीण गरीबों, खासकर दलित छात्र-युवाओं तक विस्तार देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसी बुनियाद पर खड़े होकर  सच्चे जनवादी, धर्मनिरपेक्ष और आंदोलनकारी ताकतों की एकता के बल पर सांप्रदायिक ताकतों को मुकम्मल तौर पर हराया जा सकता है. 

उन्होंने लालू-नीतीश राज में बिहार में भाजपा के बढ़ते मनोबल का भी सवाल उठाया. कहा कि बिहार में तो जनता ने भाजपा के खिलाफ नीतीश कुमार को वोट दिया है, लेकिन दलितों व आंदोलनकारियों की हत्या का सिलसिला रूका नहीं है. उन्होंने कहा कि कन्हैया बिहार के जिस बेगूसराय जिले से आते हैं, उसी जिले में भूमि अधिकार के सवाल पर आंदोलनरत सामंती-सांप्रदायिक ताकतों ने तीन माले नेताओं (जो दलित पृष्ठभूमि से आते हैं) की निर्मम हत्या कर दी. इन हत्याओं पर नीतीश कुमार व लालू प्रसाद की चुप्पी हमें चुभती है. उन्होंने कहा कि भाजपा से लड़ने का नीतीश-लालू का दावा चाहे जितना हो, लेकिन हकीकत यह है कि संघ परिवार द्वारा गरीबों के खिलाफ जो संगठित हमले चल रहे हैं, उसे रोक पाने में सरकार पूरी तरह से अक्षम साबित हुई है. यहां तक कि जिस जेएनयू आंदोलन पर नीतीश व लालू इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, जब रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या और जेएनयू प्रकरण पर संघी हमले के खिलाफ माले विधायकों ने विधानसभा से निंदा प्रस्ताव लाने की मांग की, तो जदयू-राजद भाग खड़े हुए. मुजफ्फरपुर में भी ‘मैं जेएनयू बोल रहा हूं’ कार्यक्रम में प्रशासन की भूमिका निंदनीय थी.

उन्होंने आगे कहा कि जेएनयू छात्रों के आंदोलन के समर्थन में पूरे बिहार में आइसा व इनौस के बैनर तले छात्र-युवा 2-3 मई केा दो दिवसीय अनशन पर बैठेंगे और आने वाले दिनों में छात्र-युवाओं के उभार को संगठित करने का दूसरा दौर चलेगा. जिसके दौरान काॅलेज, हाॅस्टल, ग्रामीण स्कूल, ग्रामीण युवाओं खासकर दलित युवाओं के बीच सघन अभियान चलाते हुए संघी हमले के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाया जाएगा.

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