टेलीविजन हो या फिर रेडियो या समाचार पत्र, होर्डिंग्स और नुक्कड़ नाटक के जरिए भी लगातार लोगों के बीच इस बात की जागरुकता फैलाने की कोशिश की जा रही है कि शौचालयों का प्रयोग कीजिए, खुले में शौच से बचिए। जिसके साथ ही लोगों की इस बात की भी जानकारी दी जाती है कि खुले में शौच से लोग कई सारे रोगों की गिरफ्त में फंस सकते हैं। लेकिन आज भी लोग पूरी तरह से जागरूक नहीं हैं। पर, इन सभी के लिए अब यह गांव उदाहरण बन रहा है। जानने के लिए पढ़िये रिपोर्ट-
''खुले में शौच'' मुक्त होने का दावा !
दरअसल लखनऊ जिले के अंतर्गत आने वाले ब्लॉक मलिहाबाद के गांव मुजासा के बारे में डीएम लखनऊ नाम से बने एफबी अकाउंट के जरिए इस बात की आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई कि यह गांव खुले में शौच से पूर्णतया मुक्त है। साथ ही यह भी लिखा गया कि हमारी टीम द्वारा किया गया यह कार्य सकारात्मक एवं प्रेरणास्पद है।
अनूठी पहल में रही इन सभी की भूमिका
इस उपलब्धि में खास तौर पर सीडीओ, डीपीआरओ, एडीओ (पंचायत) मलिहाबाद स्वामीदीन ( ग्रामपंचायत अधिकारी ), शिवशंकर सिंह ( प्रधान मुजासा) और मुजासा के स्थानीय निवासियों का सहयोग रहा। इनके इतर इस पहल में कई एनजीओ और विकास विभाग के विभाग के वॉलंटियर्स का भी योगदान रहा।
ज़रा ये भी जानिए !
क्या आपको पता है कि भारत का पहला ''खुले में शौच'' से मुक्त गांव कौन सा है। शायद नहीं। हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की। इस जिले को बाकायदा यूनीसेफ और वर्ल्ड बैंक ने प्रमाणित किया है। अक्टूबर 2013 को शुरू हुई जिला प्रशासन की 'शोबार शौचागर' यानि की सबके लिए शौचालय मुहिम के तहत नदिया के शहरी और ग्रामीण इलाकों में 3,55,000 शौचालय बनवाए गए। मार्च 2015 तक प्रशासन ने सभी के घरों में शौचालय बनवाने में कामयाबी हासिल की। 30 अप्रैल को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नदिया को देश का पहला खुले में शौच मुक्त ज़िला घोषित किया।

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