आज 17 जून विश्व ’मरूस्थलीकरण विरूद्ध’(Combat desertification) दिवस है यानि पृथ्वी को सुखे से बचाना, उपजाऊ भूमि को मरूस्थल बनने से रोकना, जल भंडारों की क्षमता बनाए रखना, नदियों को सही स्थिति में रखना आदि और इस सबके लिए वृक्ष लगाना, वृक्ष बचाना व जल संरक्षण ही केवल उपाय है। पर्यावरणविद् व जल स्टार रमेेश गोयल ने कहा कि मरुस्थलीकरण रोकने का वृक्षारोपण व जल संरक्षण एक मात्र साधन है। विकास तथा आधुनिकता के नाम पर जंगल काटे जा रहे हैं। एक पेड़ 50 वर्ष में 17.50 लाख रूपये मुल्य की आक्सीजन देता है और पानी की रिसाईकलिंग अनुमानतः 41 लाख रूपये की बनती है। एक पेड़ हर वर्ष लगभग 3 किलो कार्बन डाईअक्साईड सोख लेता है जिसका वायु प्रदुषण नियन्त्रण खर्च अनुमान 35 लाख रूपये बैठता है। एक व्यक्ति पूरे जीवन में जितना प्रदूषण फैलाता है उसे शुद्ध करने में 300 वृक्षों की शक्ति लगती है।
एक व्यक्ति एक दिन में जितनी आक्सीजन लेता है उससे 3 आक्सीजन सिलेण्डर भरे जा सकते हैं जिसकी अनुमानित लागत 2100/- बनती है। इस प्रकार एक व्यक्ति (यदि औसत आयु 65 वर्ष मान लें) अपने जीवनकाल में 5 करोड़ रूपये से अधिक मुल्य की आक्सीजन प्रकृति से मुफ्त में प्राप्त करता है परन्तु बदले में प्रकृति को कुछ नहीं देता। व्यक्ति के अन्तिम सेस्कार में भी लगभग एक वृक्ष की लकड़ी जला दी जाती है। कम से कम एक पेड़ हर वर्ष अवश्य लगाएं व उपजाऊ भूमि को मरुस्थल बनने से रोकने में सहयोगी बनें।
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