बाबा हज़ारी के दर्शन से हज़ारों अभिलाषाएं पूर्ण
प्रद्योत कुमार,बेगूसराय।बाबा हज़ारी के दर्शन से और जलाभिषेख करने से श्रद्धालु की सारी अभिलाषाएं पूर्ण एवं कष्ट दूर हो जाता है,ये है उनकी महिमा।बाबा हज़ारी का मन्दिर कोशी कमशनरी के सुपौल ज़िला के गढ़ बरुआरी रेलवे स्टेशन से उतरकर लगभग 3.5 किलोमीटर पूरब मोहनियां गांव के चौघटिया में स्थित है।सहरसा ज़िला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है गढ़ बरुआरी,मोहनियां।बाबा हज़ारी एक ऐसा अनोखा शिवलिंग है जिसमें एक हज़ार शिवलिंग की स्थापना एक ही शिवलिंग में है यानि कि एक बार जलाभिषेख या रुद्राभिषेख करने से एक हज़ार अलग-अलग शिवलिंग के पूजन का फल बस एक बाबा हज़ारी के शिवलिंग पूजन के बराबर है,इसीलिए इनका नाम बाबा हज़ारी पड़ा। यह मन्दिर 18वीं शताब्दी के मध्य में गढ़ बरुआरी के राजा तेजेन्द्र नारायण सिंह ने बनवाया था और शिवलिंग की स्थापना जगत गुरु शंकराचार्य ने विधिवत कराई थी और राज ने इस मन्दिर की देख रेख के लिए लगभग 24 बीघा ज़मीन मन्दिर को दान में दिया था,चूँकि कालांतर में इसको देखने वाला कोई नहीं था इसीलिए मोहनियां एवं गढ़ बरुआरी के भू माफियाओं ने मन्दिर की ज़मीन को अपने कब्ज़े में कर लिया है,सरकार को या बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल को चाहिए कि मन्दिर की सम्पत्ति को भू माफियाओं से मुक्त कराई जाय और उस सम्पत्ति को इस इलाके की जनता की भलाई में लगाई जाय,साथ ही सरकार को इस जगह को पर्यटक स्थल के रूप में प्रमोट करना चाहिए ताकि बाबा हज़ारी की कृपा दृष्टि का लाभ आम जनमानस को मिलता रहे। एक और अहम बात बता दूं कि सन् 1934 के महाप्रलयंकारी भूकम्प में यहां का पौराणिक मन्दिर पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका था,तब से लेकर 1994 तक शिवलिंग खुली आकाश के नीचे ही छोटा सा मन्दिर परिसर में पड़ा रहता था लेकिन इतने बरसों के बाद रामफल दास नाम के एक गृहस्थ को बाबा हज़ारी की प्रेरणा मिली और वो सेवक बन वहां पहुँच गए और आज 22 वर्षो के बाद उनके अथक प्रयास से वहां एक छोटे सा मन्दिर का निर्माण हुआ है और वो जगह फिर से गुलज़ार होने लगा है।देखें कब तक सरकार और आचार्य कुणाल किशोर को बाबा हज़ारी अपने दर पर बुलाते हैं।

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