पटना 16 जून 2016, भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य अमर ने कहा है कि बिहार में शिक्षा की हालत बद से बदतर होते जा रही है. टाॅपर्स घोटाले ने इस हकीकत को पूरी तरह खोल दिया है, इसमें बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ शामिल हैं. इस घोटाले की न्यायिक जांच करायी जानी चाहिए. वहीं पटना आटर््स काॅलेज मामले में सरकार को पूरे मामले की न्यायिक जांच करानी चाहिए. इन सवालों को लेकर 17 जून को आइसा-इनौस और भाकपा-माले द्वारा राज्यव्यापी प्रतिवाद दिवस आयोजित किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि पटना आटर््स व क्राफ्ट काॅलेज में दलित समुदाय से आने वाले छात्र नीतीश कुमार द्वारा आत्महत्या की कोशिश ने रोहित वेमुला परिघटना को पूरी तरह से ताजा कर दिया है. बिहार में पिछले कई वर्षों से तथाकथित सामाजिक न्याय की ही सरकार चल रही है, लेकिन इस सरकार ने भी कैंपसों को छात्रों और खासकर दलित छात्रों के लिए कत्लगाह बना दिया गया है. दलित समुदाय से आने वाले छात्र सामाजिक तौर पर उत्पीड़ित हो रहे हैं और उन्हें आत्महत्या की ओर धकेला जा रहा है. यह बेहद शर्मनाक है.
शैक्षणिक अराजकता की अगली कड़ी में बिहार में टाॅपर्स घोटाला भी शामिल है. इस घोटाले में अब राजनीतिज्ञों के भी नाम आ रहे हैं. इससे जाहिर होता है कि पिछले 10 वर्षों से बिहार के शैक्षणिक क्षेत्र में राजनीतिक संरक्षण व कनेक्शन में खुलकर फर्जीवाड़ा का खेल जारी है. बिहार की नीतीश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कोई प्र्रयास तो नहीं ही किया, यहां तक कि मुचकुंद दूबे आयोग की सिफारिश को भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया, उलटे फर्जीवाड़े का खेल बेधड़क जारी रहा. टाॅपर्स घोटाले ने इस शैक्षणिक फर्जीवाड़े पर से पर्दा हटाया है, लेकिन इसकी संपूर्णता में जांच होनी चाहिए. हमारी मांग है कि इसके राजनीतिक कनेक्शन व संरक्षण को भी जांच के दायरे में लाया जाए और किसी शिक्षाविद् की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन करके इस मामले की संपूर्णता में जांच करानी जाए.
आटर््स काॅलेज मामले में गिरफ्तार सभी छात्रों की रिहाई, छात्र नेताओं पर किये गये फर्जी मुकदमे व निलंबन की वापसी, पुनः परीक्षा का आयोजन, प्राचार्य की बर्खास्तगी ऐसी मांगें हैं, जिस पर सरकार को अविलंब हस्तक्षेप करना चाहिए और छात्रों की मांगें माननी चाहिए. साथ ही पटना विश्ववि़़द्यालय के कुलपति को भी जांच के दायरे में लाना चाहिए.

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