- तत्काल कदम नहीं उठाये जाने पर शिक्षा के सवाल पर माले राज्यव्यापी आंदेालन करेगा.
पटना 18 जून 2016, पटना आटर््स काॅलेज, टाॅपर घोटाला और अन्य शैक्षणिक सवालों पर भाकपा-माले विधायक सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में माले-आइसा व इनौस का एक प्रतिनिधिमंडल आज बिहार के शिक्षा मंत्री से मिलकर 4 सूत्री ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल में काॅ. सुदामा प्रसाद के अलावा इनौस के राष्ट्रीय महासचिव ओम प्रसाद, आइसा के राज्य सचिव अजीत कुशवाहा, इनौस के राज्य सचिव नवीन कुमार, आइसा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य आकाश कश्यप आदि शामिल थे. शिक्षा मंत्री पटना आर्ट्स काॅलेज मामले में एक उच्चस्तरीय जांच कमिटी का गठन करके 5 दिनों के अंदर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. यदि इस पर कार्रवाई नहीं होती तो हम पूरे बिहार में शिक्षा के सवाल पर आंदोलन में जायेंगे.
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने विस्तार से अपनी बातें शिक्षा मंत्री के समक्ष रखीं. पटना आटर््स काॅलेज का मामला हो या फिर पटना विश्वविद्यालय के अन्य विभागों का, छात्र आंदोलन के प्रति प्रशासन का रवैया बेहद संवेदनहीन है. पटना आटर््स काॅलेज में अपनी जायज मांगों को लेकर छात्र कई दिनों से आंदोलनरत हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें लाठी-गोली के सिवा कुछ नहीं दिया. यहां तक कि सत्ताधरी पार्टी जदयू के छात्र संगठन ‘छात्र समागम’ द्वारा आंदोलनकारियों पर हमले करवाए गए, उनपर फर्जी मुकदमे लादे गये और उन्हें जेल भेज दिया गया. इन तमाम परिस्थितियों से तंग आकर आटर््स काॅलेज का दलित समुदाय से आने वाला छात्र नीतीश कुमार ने आत्महत्या करने की कोशिश की. .उन्होंने मांग की एआईएसएफ के राज्य सचिव सुशील कुमार सहित सभी छात्र नेताओं पर से मुकदमा वापस लेते हुए उनकी अविलंब रिहाई करवाई जाए.
वार्ता में नेताओं ने कहा कि टाॅपर घोटाले की वजह से आज बिहार की जगहंसाई हो रही है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की डिग्री की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान उठ खड़े हुए हैं, यह बिहार के छात्रों के लिए बेहद अपमानजनक और घातक है. पिछले 10 वर्षों से बिहार के शैक्षणिक क्षेत्र में राजनीतिक संरक्षण व कनेक्शन में खुलकर फर्जीवाड़ा का खेल जारी है. सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए मुचकुंद दूबे आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर तो ध्यान नहीं ही दिया, उलटे फर्जीवाड़े का खेल बेधड़क जारी रहा. टाॅपर घोटाले ने इस शैक्षणिक फर्जीवाड़े पर से पर्दा हटाया है, लेकिन इसकी संपूर्णता में जांच होनी चाहिए. हमारी मांग है कि इसके राजनीतिक कनेक्शन व संरक्षण को भी जांच के दायरे में लाया जाए और किसी शिक्षाविद् की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन करके इस मामले की संपूर्णता में जांच करायी जाए. कैंपस में बचे-खुचे लोकतंत्र को भी समाप्त कर देने की नीयत से आइसा के राज्य उपाध्यक्ष तारिक अनवर सहित आंदोलनकारी छात्रों को ‘आतंकवादी’ कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है. यदि जेएनयू में छात्रा नेताओं को ‘देशद्रोही’ और यहां ‘आतंकवादी’ कहा जा रहा है, तो केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों में क्या अंतर रह जा रहा है? यह बेहद चिंताजनक है.

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